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अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ घोटाला, बैंक ने की पीड़ित का घर नीलाम करने की तैयारी

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सैक्टर-17 चंडीगढ़ की ब्रांच के अधिकारियों की मिलीभगत से साढ़े सात करोड़ों रुपये का घोटाला बेनकाब हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Jul 2019 02:18 AM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2019 02:18 AM (IST)
अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ घोटाला, बैंक ने की पीड़ित का घर नीलाम करने की तैयारी
अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ घोटाला, बैंक ने की पीड़ित का घर नीलाम करने की तैयारी

सात करोड़ का घोटाला

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- पीड़ित महिला का आरोप, आरबीआइ लोकपाल ने दी थी घोटाले की संज्ञा, एसबीआइ नहीं मान रहा

- घोटाले में एसबीआइ के तीन एजीएम व दो ब्रांच मैनेजर जा चुके हैं जेल

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हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला : स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चंडीगढ़ के सेक्टर-17 स्थित ब्रांच के अधिकारियों की मिलीभगत से हुए साढ़े सात करोड़ के घोटाले में बैंक पीड़ित का घर नीलाम करने की तैयारी में है। पीड़ित महिला सोनिया बाबा का आरोप है कि आरबीआइ लोकपाल ने इस पूरे मामले को घोटाले की संज्ञा दी है लेकिन एसबीआइ इसे घोटाला नहीं मान रहा है। इसके विपरीत बैंक उनका मकान नीलाम करने जा रहा है। मकान बचाने के लिए वे कभी आरबीआइ तो कभी पुलिस के पास गुहार लगा रही हैं। गौरतलब है कि इस घोटाले के सामने आने के बाद एसबीआइ के तीन एजीएम और दो ब्रांच मैनेजर जेल भी जा चुके हैं। फिलहाल वे जमानत पर हैं।

कपूरथला के माल रोड की रहने वाली सोनिया बावा का कहना है कि वर्ष 2011 में सुखविदर सिंह नाम के व्यक्ति से मिलकर उन्होंने एकम इंपैक्स कंपनी का गठन किया। कंपनी में 80 फीसद उनका और 20 फीसद सुखविदर सिंह का हिस्सा था। उन्होंने केनरा बैंक कपूरथला से चार करोड़ रुपए का लोन लिया। पति किरनजीत बावा ने वहां गारंटी दी। जनवरी 2012 में लोन मंजूर हो गया, जिसमें दोनों पार्टनर ने हस्ताक्षर किए। सोनिया बावा ने बताया कि जुलाई 2012 में वह विदेश चली गई। पार्टनर सुखविदर सिंह ने एसबीआइ चंडीगढ़ में लोन बढ़ाने के लिए एक पत्र दिया। एसबीआइ के करीब आधा दर्जन कर्मचारियों के साथ मिलकर उनके कपूरथला में 66 मरले के घर जिसकी कीमत पांच करोड़ 77 लाख रुपए आंकी गई थी की एवज में सात करोड़ 50 लाख रुपए लोन और मंजूर कर वा लिया। सितंबर में सुखविदर सिंह ने कहा कि कपूरथला में बैंक की ब्रांच छोटी होने के कारण कई तरह की दिक्कतें आती हैं। यह लोन केनरा बैंक से एसबीआइ अपने पास लेने को तैयार है। सोनिया बावा ने भी सहमति पत्र पर अपने हस्ताक्षर कर दिए लेकिन बैंकरों ने खाली कागज बीच में लगाकर धोखे से हस्ताक्षर करवा लिए जिन्हें बैंक अधिकारी सोनल गुप्ता ने अपनी सुविधा के अनुसार भर लिया। बैंक के लोन की बढ़ी हुई राशि के बारे में उन्हें मार्च 2014 में तब पता चला जब बैंक ने कर्ज अदा ना करने पर नोटिस जारी कर दिया।

उस समय डीजीपी से शिकायत के बाद एसआइटी ने मामले की जांच की थी। जांच में तीन एजीएम समेत पांच बैंक कर्मियों समेत 14 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी में चार्जशीट फाइल की गई।

पंजाब व केंद्र सरकार करे जांच :

सोनिया का आरोप है कि बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से हुए घोटाले के बावजूद बैंक उनकी संपत्ति नीलाम करने जा रहा है। सोनिया ने मांग की है कि पंजाब और केंद्र सरकार बैंक प्रबंधकों के खिलाफ कार्रवाई करे। जब उन्होंने एसबीआइ से लोन लिया ही नहीं तो उनका घर क्यों नीलाम किया जाए।

लोकपाल को भेज दिया है जवाब :

आरबीआइ के मुंबई स्थित डीजीएम राकेश पोश का कहना है कि इस संबंध में रिकॉर्ड ब्रांच के पास है। मामला उनके ध्यान में है। एसबीआइ की ओर से आरबीआइ के लोकपाल को जवाब दे दिया गया है। बैंक की ओर से अपनी रिकवरी बारे कारवाई की जाएगी।


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