संत की सेवा को संगत ने मिशन बनाकर बदल दी तस्वीर
- पर्यावरण प्रहरी संत बलवीर सिंह सीचेवाल के प्रयासों को नीर फाउंडेशन ने सराहा
- पर्यावरण प्रहरी संत बलवीर सिंह सीचेवाल के प्रयासों को नीर फाउंडेशन ने सराहा
हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला।
महरूम शायर मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखा था 'मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजि़ल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।' पर्यावरण प्रहरी संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने भी वर्ष 2000 में प्राकृतिक जलस्त्रोतों को प्रदूषण से बचाने का जो बीड़ा उठाया था आज दुनिया उसकी मुरीद है। एक नेक काम के लिए शुरू किए संघर्ष में लोग खुद उनके साथ आकर जुड़ते गए और संत की सेवा संगत के लिए मिशन बन गई। संत सीचेवाल के प्रयासों और मॉडल को देश व दुनिया मान चुकी है। कई सम्मान मिल चुके हैं। इसी कड़ी में अब एक और तमगा जुड़ने जा रहा है। नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए सीचेवाल की ओर से किए उल्लेखनीय कार्यो के लिए नीर फाउंडेशन उन्हें 26 जुलाई को सम्मानित करने जा रही है।
संत सीचेवाल ने उस वक्त काली बेई को बचाने का बीड़ा उठाया था जब वह पूरी तरह प्रदूषण की चपेट में आ चुकी थी। पवित्र बेई में श्रद्धालु स्नान करने से कतराते थे। छह से ज्यादा नगरों और 40 गावों का कूड़ा और सीवरेज का पानी इसमें फेंका जाता था। इस लापरवाही से क्षेत्र के 93 गावों की 50 हजार एकड़ जमीन सूखे की चपेट में आ गई थी। संत ने सेवा शुरू की और लोगों ने इसे मिशन बना लिया। लोगों ने खुद पैसा इकट्ठा किया। सैकड़ों लोगों की महीनों की मेहनत से पवित्र बेई फिर से स्वच्छ हो गई। संत सीचेवाल कहते हैं कि प्रदूषण से लड़ाई आखिरी सांस तक जारी रहेगी। जो अधिकारी अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभाते उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिए। पानी को ट्रीट कर सिंचाई में लगाया :
नदी तो साफ होने लगी पर एक सवाल फिर सामने खड़ा हो गया कि गंदे पानी का क्या किया जाए। सीवरेज और फैक्ट्रियों का गंदा पानी जहां भी फेंका जाएगा पर्यावरण को नुकसान ही पहुंचाएगा। इस पानी को साफ कर सिंचाई के लिए प्रयोग करने का देसी तरीका निकाला। यही देसी तरीका सीचेवाल मॉडल बनकर उभरा। कई राज्य सरकारों ने इसे अपने यहां लागू किया।
क्या है सीचेवाल मॉडल
संत सीचेवाल ने काली बेई में सीवरेज के गंदे पानी को जाने से रोकने के लिए सीवर लाइन बिछाई। नदी के गंदे पानी को एक बड़े तालाब में जमा करना शुरू किया। तालाब में डालने से पहले पानी को तीन गड्ढों से गुजारा गया। देसी तरीके से बना यह सीवरेज प्लाट पूरी तरह सफल रहा। इस प्लाट के जरिये साफ हुए पानी का खेती में इस्तेमाल होने लगा।
अब सतलुज को साफ करने में लगे : काली बेई व चिट्टी बेई के बाद संत सीचेवाल लुधियाना के बुड्ढा नाला और सतलुज नदी को साफ करने के प्रयास कर रहे हैं। गिंदड़पिंडी रेलवे पुल के आस पास से मिट्टी निकाल कर दरिया को साफ किया जा रहा है। इस मिट्टी को निकालने से रेलवे पुल तो बचेगा साथी इससे दरिया के किनारों के बांध को भी मजबूत बनाया जा रहा है। नदी के दोनों ओर 50 किलोमीटर लंबा और 30 फीट चौड़ा बाध बनाया जा रहा है। इससे इस बार बरसात में बाढ़ का खतरा नहीं होगा।