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तन से नहीं कर्म से श्रेष्ठ बनता है इंसान : गौरी भारती

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से श्री गुरु रविदास महाराज जी के प्रकाशोत्सव पर हजारीलाल वाली गली न्यू मॉडल टाउन फगवाड़ा स्थित आश्रम में सत्संग करवाया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 01:21 AM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 01:21 AM (IST)
तन से नहीं कर्म से श्रेष्ठ बनता है इंसान : गौरी भारती
तन से नहीं कर्म से श्रेष्ठ बनता है इंसान : गौरी भारती

संवाद सूत्र, फगवाड़ा : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से श्री गुरु रविदास महाराज जी के प्रकाशोत्सव पर हजारीलाल वाली गली, न्यू मॉडल टाउन फगवाड़ा स्थित आश्रम में सत्संग करवाया गया। संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी गौरी भारती ने श्री गुरु रविदास महाराज जी को नमन करते हुए कहा कि श्री रविदास महाराज ने सत्य की जो आवाज बुलंद की, उससे शोषित हो रही जनता में एक नई जागृति पैदा हुई। उन्होंने अपने विचारों में सभी को यही उपदेश दिया कि जिसको भी मानव तन मिला है, वह उस भगवान की बंदगी करने का अधिकारी है। जात-पात और छुआछूत की अज्ञानता वाली सोच ही हमारी सामाजिक एकता को खंडित कर रहा है। उन्होंने धार्मिकता के नाम पर हो रहे पाखंड का डटकर विरोध किया। ईश्वर के प्रति सभी प्रकार के वहम को मिटाते हुए कहा कि वह सबका साझा है और सबके हृदय में निवास करता है। जब यही जान लिया कि मेरे मन मंदिर में परमात्मा का निवास है तो फिर सभी प्रकार के भ्रम का नाश अपने आप हो जाता है। परमात्मा से एकाकार होने के कारण उनकी सोच बहुत विशाल थी। उनके हृदय की पवित्रता का प्रमाण इस बात से लगाया जा सकता है कि गंगा मैया को भेंट की गई तमड़ी को लेने के लिए खुद गंगा मैया प्रगट हो जाती है। उस समय गुरु रविदास महाराज जी ने गुलामी की जंजीरों को तोड़ने, सामाजिक एकता और धर्म की वास्तविकता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए बहुत संघर्ष किया। उनकी वाणी का मूल आधार है कि मानव अपने मनुष्य तन के कारण श्रेष्ठ नहीं बल्कि कर्मो के कारण श्रेष्ठ बनता है। आज मानव समाज का पतन इसी कारण हो रहा है कि हमारे पास उनके द्वारा प्रदान की गई दिव्य दृष्टि भाव तृतीय नेत्र नहीं है। जिसके द्वारा हम श्री गुरु रविदास महाराज जी के प्रकाश रूप के दर्शन कर सके और उस स्थान में बास कर सकें जिसे उन्होंने बेगमपुरा कहा है। साध्वी सुश्री कृष्णा भारती और सुसंगीता भारती ने श्री गुरु रविदास महाराज जी की रचित वाणी शबद रूप में श्रद्धालुओं के समझ पेश किया।

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