किसानों, मजदूरों और महिलाओं ने दूसरे दिन डीसी दफ्तर के बाहर जिला स्तरीय धरना
डीसी कार्यालयों की घेराबंदी के तहत वीरवार को बड़ी संख्या में किसानों मजदूरों और महिलाओं ने दूसरे दिन डीसी दफ्तर के बाहर जिला स्तरीय धरना दिया।
संवाद सहयोगी, कपूरथला : किसान मजदूर संघर्ष समिति पंजाब के आह्वान पर डीसी कार्यालयों की घेराबंदी के तहत वीरवार को बड़ी संख्या में किसानों, मजदूरों और महिलाओं ने दूसरे दिन डीसी दफ्तर के बाहर जिला स्तरीय धरना दिया। इस दौरान गिरफ्तारी देने के लिए 11 सदस्य रवाना हुए, लेकिन पुलिस ने किसानों को गिरफ्तार करने की बजाए उनके साथ धक्का मुक्की की। इस दौरान गिर जाने से एक किसान की टांग टूट गई। इस पर आक्रोष में आए किसानों की तरफ से पंजाब सरकार, केंद्र की मोदी सरकार व जिला प्रशासन खिलाफ जोरदार नारेबाजी की गई। आंदोलनकारियों ने किसान विरोधी आर्डिनेंस एवं बिजली संशोधन बिल का तीखा विरोध जताया।
बेशक पंजाब सरकार द्वारा धरने प्रदर्शन पर रोक लगा कर अपनी जान बचाने की कोशिश की गई है। इसके बावजूद केंद्र व राज्य सरकार की किसान, मजदूर, कर्मचारी, कारोबारी व व्यापारी विरोधी नीतियों के चलते लोग धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। इसके चलते कहीं किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, तो कहीं अध्यापक तो कही कोविड से लड़ रहे सेहत विभाग से संबंधित कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर कोविड-19 के बावजूद जान जोखिम में डाल कर अपना भविष्य बचाने में लगे है। इसी कड़ी के तहत वीरवार को किसानों व मजदूरों का डीसी दफतर के बाहर धरना प्रदर्शन चौथे दिन भी जारी रहा।
इस दौरान जत्थेबंदी के राज्य कोषाध्यक्ष गुरलाल सिंह पंडोरी एवं रण सिंह ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार की किसान, मजदूर विरोधी नीतियों के चलते लोग भूखमरी का शिकार हो रहे हैं जबकि सत्ता पर आसीन लोग गरीबों का गलाघोंट कर अमीर उद्योगपतियों के फायदे के लिए नीतियां बना रह हैं। उन्होंने कहा कि जेल भरो आंदोलन के चौथे दिन भी कपूरथला में 11 सदस्यों को जेल भरो मोर्चा के लिए प्रशासन को सौंपा गया, लेकिन प्रशासन ने उन्हें जेल ले जाने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि जिला कपूरथला हर दिन 11 सदस्यों की गिरफ्तारी जारी करेगी।
जिला अध्यक्ष सरवन सिंह बाऊपुर ने कहा कि जिला कपूरथला के प्रशासनिक परिसर में राज्य के आह्वान पर तीन अध्यादेशों और बिजली संशोधन बिल के खिलाफ विरोध अनिश्चितकाल तक जारी रहेगा। प्रशासन ने हमारे सदस्यों के लिए शौचालय व पीने के पानी के स्त्रोत बंद कर दिए है जो एक सार्वजनिक उपद्रव है। यह जिला प्रशासन की बुरी मानसिकता है। किसान नेताओं ने कहा कि यदि पंजाब के किसी भी सांसद ने अध्यादेश के समर्थन में संसद में मतदान किया, तो उन्हें पंजाब के गांवों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। किसान नेताओं ने कहा कि जब तक इन अध्यादेशों और बिजली संशोधन बिल 2020 को निरस्त नहीं किया जाता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा। इस अवसर पर हरपाल सिंह सिधवां, मुख्तियार सिंह मुंडी चन्नान, जसवंत सिंह अमितपुर, परमजीत जाबोवाल, सुखजीत सिंह रमे, शेर सिंह महिवाल, अमर सिंह चन्नान शेर सिंह, बलजिदर सिंह शेरपुर, गुरभेज सिंह तोती और सैकड़ों अन्य लोग उपस्थित थे।