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क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट के विरोध में ओपीडी व इमरजेंसी सेवाएं रहीं ठप

मंगलवार को क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट के विरोध में ना तो निजी अस्पतालों में ओपीडी हुई और ना ही इमरजेंसी सेवाएं दी गई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 01:25 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 01:25 AM (IST)
क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट के विरोध में ओपीडी व इमरजेंसी सेवाएं रहीं ठप
क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट के विरोध में ओपीडी व इमरजेंसी सेवाएं रहीं ठप

जागरण संवाददाता, कपूरथला : मंगलवार को क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट के विरोध में ना तो निजी अस्पतालों में ओपीडी हुई और ना ही इमरजेंसी सेवाएं दी गई। आइएमए से जुड़े निजी अस्पतालों के डॉक्टर पूर्ण रूप से हड़ताल पर रहे। ऐसे में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा और सरकारी अस्पतालों में काफी भीड़ देखने को मिली। सरकारी और निजी अस्पतालों में रोजाना की तरह मंगलवार को ओपीडी कम देखी गई।

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पंजाब सरकार की ओर से एक जुलाई को प्रदेश भर में लागू किए जा रहे क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट के विरोध में कपूरथला के सभी प्राइवेट अस्पतालों ने इमरजेंसी सहित सभी प्रकार की मेडिकल सेवाएं पूर्ण तौर पर बंद कर पंजाब सरकार के खिलाफ रोष जताया। क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट के विरोध में डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से अस्पताल एकदम से सुनसान पड़े रहे और इमरजेंसी सेवाएं बंद होने के चलते दूर-दराज से अपना इलाज करवाने के लिए आए मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वहीं लैब टेक्नीशियनों ने अपनी लैब बंद करके सरकार के खिलाफ रोष जताया, सिविल अस्पताल कपूरथला के स्टाफ द्वारा भी काले बिल्ले लगा कामकाज जारी रख रोष जाहिर किया। इस अवसर पर प्रधान अर्जुन सिंह, चेयरमैन सुरजीत सिंह सहोता, कैशियर अशोक कुमार, गुरिदर सिंह, सचिव अखिल कौड़ा, सुरजीत सिंह, रमेश कुमार, टहल सिंह आदि उपस्थित थे। डॉक्टरों की सहमति के बिना किया जा रहा एक्ट लागू : मधू

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने एक्ट को बिना किसी देरी के रद करने की मांग की। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष मधू सूदन ने बताया कि क्लीनिकल एस्टेबलिशमेंट एक्ट को डॉक्टरों की सहमति के बिना ही लागू किया जा रहा है। यहीं नहीं इस बिल को ऐसे समय में लागू किया जा रहा है, जब पंजाब सहित पूरे देश में कोविड-19 बीमारी ने पैर जमा रखे हैं व मेडिकल सेवाओं को बेहतर करने में हर कोई जुटा हुआ है, ताकि लोगों की जान बचाई जा सके। पंजाब सरकार इसे जबरन थोपने में लगी है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि उक्त एक्ट लागू होता है, तो इससे आधे से अधिक अस्पताल व क्लीनिकल बंद हो जाएंगे।


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