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मजदूर की कमी, डीजल के दाम बढ़ने से अन्नदाता बेहाल

कपूरथला कोरोना काल में पेट्रोल व डीजल की कीमतों में रोजाना हो रही बढ़ोतरी से धान की रोपाई में मुश्किल हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Jun 2020 01:48 AM (IST)Updated: Fri, 26 Jun 2020 01:48 AM (IST)
मजदूर की कमी, डीजल के दाम बढ़ने से अन्नदाता बेहाल
मजदूर की कमी, डीजल के दाम बढ़ने से अन्नदाता बेहाल

हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला कोरोना काल में पेट्रोल व डीजल की कीमतों में रोजाना हो रही बढ़ोतरी से धान की रोपाई में मुश्किल हो रही है। मजदूरों की कमी एवं डीजल के रेट में हो रहे इजाफे से अन्नदाता बेहद बेहाल है। खेती के काम में लागत बढ़ रही है और किसानों का मुनाफा दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है। डीजल के अलावा डीएपी, यूरिया व नदीन व कीटनाशक दवाओं तथा कृषि ओजारों की कीमतें बढ़ रही है लेकिन किसानों को उसकी फसल की पूरी कीमत नही मिल रही है। अब डीजल के रेट में रिकार्ड बढ़ोतरी ने किसानों पर भारी बोझ डाल दिया है जिससे धान की रोपाई भी प्रभावित होने लगी है।

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इन दिनों धान की रोपाई का काम तेजी से चल रहा है। इस बार डीएपी खाद, यूरिया और कीटनाशक की कीमतों में सैकड़ों रुपये की बढ़ोतरी हो गई है। कोरोना के चलते मजदूरों का पहले ही अभाव है। इससे प्रति हेक्टेयर करीब छह हजार रुपये धान की रोपाई में बढ़ोतरी झेलनी पड़ रही है। वहीं, दिन-रात मेहनत करने वाले किसान की धान पर लागत बढ़ने से सरकार द्वारा निर्धारित किए गए न्यूनतम मूल्य में मामूली बढ़ोतरी की गई है।

सरकार ने जनता पर महंगाई का बोझ डाला : रंधावा

गांव ढ़पई के किसान हरबीर सिंह रंधावा का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहद सस्ता तेल होने के बावजूद देश में लगातार पेट्रोल और डीजल की बढ़ रही कीमतों से मंहगाई फिर से आसमान छूने लगी है। डीजल में 11.50 रुपये से ज्यादा का इजाफा होने से किसानों के लिए ट्रेक्टर व जरनेटर चलाना मुशकिल हो गया है। रंधावा ने कहा कि देश में पेट्रोलियम पर्दाथों को लेकर सरकार की नीति बेहद दोष पूर्ण है। अंतर राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत लगभग 39 डालर प्रति बैरल है जबकि देश में पैट्रोल साढ़े 82 और डीजल 72.54 रुपये से पार पहुंच गया। इससे इसका सारा बोझ आम जनता को झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि तेल कंपनियों की इस बात में कोई दम नही है कि कोरोना संकट के समय उन्होंने रेट नही बढ़ाए। लाकडाउन व क‌र्फ्यू के कारण तेल की कोई खपत नही हो रही थी। जैसे ही तेल की खपत बढ़ी कंपनियों ने पेट्रोल व डीजल के रेट में बेहिसाब इजाफा कर आम जनता पर महंगाई का बोझ डाल दिया है।

महंगा डीजल खरीदने को मजबूर हैं किसान : हरप्रीत

गांव बरिदपुर के किसान हरदेव सिंह ढोट कहते है कि एक ट्रैक्टर में प्रति घंटे के हिसाब से सात से आठ लीटर तेल की खपत है। पिछले कुछ दिनों में लगभग साढ़े 12 रुपये प्रति लीटर की बढोतरी हुई है। किसान महंगा तेल फूंक कर कर्ज के नीचे दबते जा रहे है। उधर, किसानों को बिजली भी पूरी नही मिल रही और डीजल खर्च कर उन्हें अपनी फसल बचानी पड़ रही है। इस समय धान का सीजन चल रहा है, जिसमें डीजल की खपत सबसे ज्यादा होती है और हर सुबह एक डेढ़ रुपया डीजल का रेट बढ़ने से किसान दुखी है।

धान की सीधी बिजाई करें किसान : डॉ. जुगराज सिंह

खेती विशेषज्ञ डॉ. जुगराज सिंह का कहना है कि धान में पानी की लागत अधिक होती है। डीजल के मूल्य में बढ़ोतरी का सीधा असर किसानों पर पड़ता है। धान की रोपाई में किसान सबसे अधिक डीजल की खपत कर रहे हैं। किसानों को धान की सीधी बिजाई कर लागत को कुछ कम करने की कोशिश करनी चाहिए।


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