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इराक में न वर्क परमिट मिला न नौकरी, छिपकर गुजारने पड़े आठ महीने

वदेश गया फगवाड़ा के मोहल्ला कौलसर का रहने वाला 28 साल का युवक कोमलजोत दर दर की ठोकरें खाने के बाद अपने वतन लौटा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Jul 2019 02:02 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jul 2019 06:28 AM (IST)
इराक में न वर्क परमिट मिला न नौकरी, छिपकर गुजारने पड़े आठ महीने
इराक में न वर्क परमिट मिला न नौकरी, छिपकर गुजारने पड़े आठ महीने

अमित ओहरी, फगवाड़ा

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घर की आर्थिक तंगी को दूर करने व रोजी रोटी कमाने के चक्कर में विदेश गया फगवाड़ा के मोहल्ला कौलसर का रहने वाला 28 साल का युवक कोमलजोत दर दर की ठोकरें खाने के बाद बेहद मुश्किल से वापस अपने वतन लौटा है। कोमलजोत घर की आर्थिक तंगी को दूर करने, रोजी रोटी कमाने के साथ साथ खूब पैसा कमाकर बढि़या जिंदगी जीने का सपना लेकर दिसंबर 2018 में फगवाड़ा से इराक गया था। उसे क्या मालूम था कि वहां उसे वहां न तो नौकरी मिलेगी, न रहने का ठिकाना होगा, उलटा दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ेगा। अब केंद्र सरकार की मदद से बड़ी मुश्किल से कोमलजोत की अपने वतन वापसी तो हो गई है और वे शनिवार मध्य रात्रि के बाद फगवाड़ा के कौलसर मोहल्ला में स्थित अपने घर पर भी पहुंच गया है, लेकिन अब उसे घर चलाने और विदेश जाने के लिए लोगों से लिए गए कर्ज को उतारने की चिंता भी सता रही है।

कोमलजोत के पिता मोहन लाल ने बताया कि वे दिहाड़ीदार का काम करता है। उसके दो बेटे हैं वो भी उसके साथ लेबर का काम करते थे। दिहाड़ी का काम अधिक न होने के चलते उन्होंने अपने छोटे बेटे कोमलजोत को दिसंबर 2018 में 2.80 लाख का कर्जा लेकर इराक भेज दिया। उन्होंने कहा कि घर में कोई भी पढ़ा लिखा नहीं था, इसलिए वे एजेंट के बहकावे में आ गए। एजेंट ने कहा था कि इराक में पहुंचते ही कोमलजोत कौर को वर्क परमिट व नौकरी मिल जाएगी लेकिन वहां पहुंचकर कोमलजोत को न तो वर्क परमिट मिला और न ही नौकरी मिली। उन्होंने बताया कि कोमलजोत पिछले आठ माह से इराक के इरबिल शहर में छिप-छिप कर रहने को मजबूर था। इसके अलावा कोमलजोत को प्रति दिन 20 डालर की पैनेल्टी भी देनी पड़ रही थी।

कोमलजोत के घर पहुंचने पर खुशी का माहौल

पंजाब के इराक में फंसे सात युवकों में फगवाड़ा के मोहल्ला कौलसर का रहने वाला कोमलजोत भी शामिल था। ऐसे में कोमलजोत का पूरा परिवार बेहद चिंतित था और उन्हें अपने बेटे के भविष्य की चिंता सता रही थी। केंद्रीय कैबिनेट मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस मामले को केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के समक्ष उठाया और उनसे सभी युवकों को वापस भारत लाने के लिए प्रयास करने की अपील की। इन्हीं प्रयासों के चलते फगवाड़ा का कोमलजोत वापिस अपने घर लौट आया है। कोमलजोत के लौटते ही घर में रौनक लौट आई है। बेटे के घर पहुंचते ही पारिवारिक सदस्यों ने कोमलजोत का माथा चूमा और भगवान का शुक्रिया अदा किया। पारिवारिक सदस्यों का कहना है कि अब वे कभी भी अपने बेटे को विदेश नहीं भेजेंगे।

उल्लेखनीय है कि इराक से लौटे कोमलजोत का कुछ वर्ष पहले ही विवाह हुआ है। कोमलजोत की दो बेटियां है, जिनमें उसकी बड़ी बेटी तान्या की उम्र दो साल और छोटी बेटी सोफिया की उम्र सिर्फ चार माह है। इसके अलावा परिवार में कोमलजोत की पत्नी सिमरन, माता सुरजीत कौर और पिता मोहन लाल और भाई मनजिंदर शामिल है।

भेजना था अमेरिका, भेज दिया इराक

कोमलजोत के भाई मनजिंदर कुमार शम्मी ने बताया कि जब उनके भाई कोमलजोत ने दिसंबर 2018 में विदेश जाना था तो एजेंटों ने उसे अमेरिका भेजने की बात कहीं थी, लेकिन बाद में उसे अमेरिका भेजने की बजाय इराक भेज दिया।


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