श्री कृष्ण कथा में किया भगवान की बाल लीलाओं का वर्णन
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वावधान में सतसंग आश्रम डिप्स कॉलोनी सुलतानपुर रोड़ शेखुपुर कपूरथला में श्री राम कृष्ण आराधना मंच की ओर से गरीब बचों की शिक्षा के लिए चलाए जा रहे प्रकल्प मंथन को समर्पित पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के तीसरे दिन श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री रूपेश्वरी भारती जी ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया। कथा का आरंभ विधिवत पूजन से हुआ।
संवाद सहयोगी, कपूरथला : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वावधान में सतसंग आश्रम, डिप्स कॉलोनी, सुलतानपुर रोड़, शेखुपुर, कपूरथला में श्री राम कृष्ण आराधना मंच की ओर से गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए चलाए जा रहे प्रकल्प मंथन को समर्पित पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के तीसरे दिन श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री रूपेश्वरी भारती जी ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया। कथा का आरंभ विधिवत पूजन से हुआ। इसमें शीतल ¨सह (युएसए) और कमल सहगल जी (सीए) परिवार सहित शामिल हुए। साध्वी जी ने बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि प्रभु श्रीकृष्ण ने जनकल्याण के लिए द्वापर युग में अवतार लिया। प्रभु जब कोई कार्य करते हैं तो वह लीला कहलाती है। प्रभु द्वारा की गई प्रत्येक लीला में आध्यात्मिक रहस्य छिपे होते हैं, लेकिन समय के गर्त में वे धूमिल हो जाते हैं, जिससे मनुष्य सत्य के मार्ग से भटक जाता है। समय-समय पर संत-महापुरूष इस धरा पर आकर उन रहस्यों को उजागर करते हैं। ज्योति प्रज्ज्वलित करने की रस्म में अरुण खोसला मेयर फगवाड़ा, रणजीत ¨सह खोजेवाल (पूर्व अध्यक्ष मार्केट कमेटी कपूरथला), डॉ.जेएस ¨थद (जे जे टरोमा सेंटर एंड ¨थद होस्पिटल कपूरथला), मान ¨सह धम्म (डायरेक्टर, लार्ड कृष्णा पालीटेक्निक कॉलेज), पवन धन्ना, सत¨वदर कौर ¨थद, चेयरपर्सन, कांग्रेस महिला ¨वग पंजाब), डॉ. प्रभजोत ओलख (लैपरोस्कोपिक ऐंड बैरिऐटरिक सर्जन), विकास सिद्धी (सेकेटरी बीजेपी),र¨वदर ¨सह (टोरंटो, कैनेडा), र¨जदर राजू (प्रधान, महामंत्र प्रचार मंडल पंजाब), श्री राधे श्याम सेवा मंडल कपूरथला के चेयरमैन संजीव गुप्ता व प्रेजिडेंट कुनाल सूध, व¨रदर सूध, केवल सूध, केके अरोड़ा (संस्कार भारती कपूरथला) शामिल हुए। कथा में साध्वी बहनों ने सुमधुर भजनों का गायन किया । उन्होंने कहा कि ज्ञान की प्राप्ति किसी पूर्ण गुरू की शरण में जाकर ही होगी। यही कारण है कि शास्त्रों में जब भी इस ज्ञान-प्रकाश के लिए मानव जाति को प्रेरित किया गया तो इसकी प्राप्ति हेतु गुरू के सान्निध्य में जाने का उपदेश दिया । उन्होंने यह भी कहा कि ज्ञान की प्राप्ति किसी पूर्ण गुरू की शरण में जाकर ही होगी। यही कारण है कि शास्त्रों में जब भी इस ज्ञान-प्रकाश के लिए मानव जाति को प्रेरित किया गया तो इसकी प्राप्ति हेतु गुरू के सान्निध्य में जाने का उपदेश दिया ।
भीतर के अंधकार को दूर करें सभी लोग
अपने भीतर के अंधकार को दूर कीजिए ताकि ज्ञान-प्रकाश को पाकर हम अपने जीवन को सुंदर बना सकें। जब तक मानव अज्ञानता के गहन अंधकार से त्रस्त रहेगा, तब तक उसका सर्वागीण विकास संभव नहीं है। अंधेरा हमें भ्रमित भी करता है और भयभीत भी। प्रकाश में सब कुछ स्पष्ट दिखता है। न कोई भ्रम रहता है, ना ही भय। जिस प्रकार बाहर के प्रकाश से बाह्य अंधकार दूर होता है, उसी प्रकार आंतरिक ज्ञान-प्रकाश से आंतरिक अज्ञानता नष्ट होती है।