अज्ञान को दूर कर सही मार्ग दिखाते हैं गुरु : साध्वी
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान कपूरथला आश्रम में सप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिक्ष्या साधवी अपाला भारती जी ने अपने प्रवचनों में सद़गुरु की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि एक मनुष्य का सर्वोच्च कुल, उसके सद्गुरु ही है। गुरु अज्ञान की जड़ को उखाडने वाले होते है। जन्म-जन्मांतरों के कर्मो को निवारने वाले होते है। ज्ञान और वैराग्य को सिद्ध करने वाले होते है।
संवाद सहयोगी, कपूरथला : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान कपूरथला आश्रम में सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी अपाला भारती जी ने अपने प्रवचनों में सदगुरु की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि एक मनुष्य का सर्वोच्च कुल, उसके सद्गुरु ही है। गुरु अज्ञान की जड़ को उखाड़ने वाले होते हैं। जन्म-जन्मांतरों के कर्मो को निवारने वाले होते है। ज्ञान और वैराग्य को सिद्ध करने वाले होते है। इस मौके पर अपाला भारती ने कहा कि गुरु भक्ति ही सबसे श्रेष्ठ तीर्थ है। उसकी तुलना में अन्य तीर्थ तो निरर्थक ही है। जिनके ऊपर श्री गुरुदेव की कृपा नही है, उनकी विद्या, धन, बल, भाग्य-सब निरर्थक ही है। उनका अध:पतन होता ही है। मनुष्य चाहे चारों वेद पढ लें, अध्यात्म शास्त्र आदि अन्य सब शास्त्र पढ़ लें, परन्तु गुरुदेव के बिना ज्ञान सम्भव नही। इस संसार में शिष्य के धन को हरने वाले गुरु तो बहुत है। पर शिष्य के हदय-संताप को हरने वाले श्री सद्गुरुरु दुर्लभ ही हैं। ऐसे तत्त्वनिष्ठ गुरु का परिचय देते हुए भगवान शिव कहते है-
अखण्डैकरसं ब्रम्हा नित्यमुक्तं निरामयम्।
स्वस्मिन संदर्शितं येन स भवेदस्य देशिक:।।
जो एक जिज्ञासु को अखण्ड, एकरस, नित्यमुक्त और निरामय ब्रम्हा उसके भीतर ही दिखाते है, वे ही वास्तव में सद्गुरु है। जो दीक्षा काल में ही ईश्वर का प्रत्यक्ष दर्शन करा दें - उन्हें ही वे पूर्ण गुरु मानें। इस कसौटी के आधार पर सद्गुरु को परखें, अन्य कोई नही। साथ ही साधवी रमन भारती जी ने सुंदर भजनों का गायन किया।