संगत की निस्वार्थ सेवा से स्वच्छ बनीं काली बेई : सीचेवाल
काली वेईं की कार सेवा के 20 साल पूरे होने पर निर्मल कुटिया सुल्तानपुर लोधी में समारोह आयोजित किया गया।
संवाद सहयोगी, सुल्तानपुर लोधी : पवित्र काली वेई की कार सेवा के 20 साल पूरे होने पर गुरु ग्रंथ साहिब जी की छत्रछाया में निर्मल कुटिया सुल्तानपुर लोधी में समारोह आयोजित किया गया। सोशल मीडिया के माध्यम से 20 वीं वर्षगांठ समारोह का लाइव प्रसारण किया गया जिसको देश-विदेश की संगत ने देखा। इस अवसर पर पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने संगत से अपील की कि वह सरकार की ओर से जारी हिदायतों का पालन करें। उन्होंने दो दशकों से बाबा नानक की वेई की निस्वार्थ सेवा के लिए संगत का धन्यवाद दिया।
संत सीचेवाल ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण सरकार द्वारा जारी हिदायतों का संगत ने पालन किया। पहले की तरह कोई बड़ी सभा आयोजित नहीं की गई थी। यह याद किया जा सकता है कि पहले सालगिरह समारोह में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, तख्त के जत्थेदार, मुख्यमंत्री, शिरोमणि समिति के अध्यक्ष और अन्य राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक नेता शामिल हुए थे। संक्रांति के दिन पर श्री अखंड पाठ साहिब के भोग निर्मल कुटिया सुल्तानपुर लोधी और सीचेवाल में डाला गया। भाई तेजिदर सिंह, निर्मल कुटिया के रागी और सीचेवाल विद्यालय के छात्रों ने कीर्तन कर संगतों को निहाल किया।
इस अवसर पर पंजाबी सत्थ के प्रमुख डॉ निर्मल सिंह लांबड़ा ने कहा कि मानव इतिहास में सदियों के बाद ऐसे चमत्कार शायद ही कभी हुए हैं जो किसी विशेष क्षेत्र, राष्ट्र या धर्म तक सीमित नहीं हुए हों बल्कि पूरी दुनिया के लिए सोचने का नया तरीका दिखाएगा। आज से ठीक 20 साल पहले काली वेईं की कारसेवा प्रदूषण उन्मूलन अभियान के माध्यम से गुरु नानक देव जी की गुरमति विचारधारा को व्यावहारिक रूप देने का यह महान कार्य वर्ष 2000 में संत बलबीर सिंह सीचेवाल की ओर से शुरू किया गया था। इसी दिन संत सीचेवाल के नेतृत्व में कार सेवा शुरू की गई थी। कार सेवा किसी भी सरकारी या गैर-सरकारी संगठन के संरक्षण के बिना शुरू की गई थी। 20 वर्षों में यह अभियान न केवल पंजाब, भारत या एशिया के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बन गया है। ग्रंथों में इस कार्य का विस्तार से वर्णन किया गया है और इसकी चर्चा तथाकथित विकसित देशों के संसदों से लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ और अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संगठनों तक की जा रही है। उन्होंने गिद्दड़पिडी रेलवे पुल के नीचे 12 से 18 फीट मिट्टी निकालने व सतलुज की सफाई करने के लिए संगत का आभार जताया।