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एसजीपीसी प्रधान बनने के बाद ढिलवां पहुंची जगीर कौर का भव्य स्वागत

बीबी जगीर कौर एसजीपीसी प्रधान बनीं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 09:55 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 01:29 AM (IST)
एसजीपीसी प्रधान बनने के बाद ढिलवां पहुंची जगीर कौर का भव्य स्वागत
एसजीपीसी प्रधान बनने के बाद ढिलवां पहुंची जगीर कौर का भव्य स्वागत

जागरण संवाददाता, कपूरथला : विरासती जिले के बेगोवाल स्थित गुरुद्वारा संत बाबा प्रेम सिंह मुरालेवाला की संचालक बीबी जगीर कौर के एसजीपीसी प्रधान बनने पर उनके पैतृक जिले में खुशी का माहौल है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अमृतसर में हुई बैठक के दौरान एसजीपीसी प्रधान चुने जाने के बाद बीबी जगीर कौर का देर रात ढिलवां पहुंचने फूल मालाएं पहना कर स्वागत किया गया। इसके अलावा नडाला, भुलत्थ व बेगोवाल में भी बीबी जगीर कौर का समर्थकों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। बेगोवाल में लोगों की तरफ से लड्डू बांटे गए एवं आतिशबाजी कर खुशी मनाई गई। जिले के अलग-अलग पार्टियों के नेताओं की तरफ से बीबी जगीर कौर को बधाईयां दी गई।

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जिला परिषद के पूर्व चेयरमैन एवं बीबी जगीर कौर के दामाद युवराज भुपिदर सिंह ने खुशी जाहिर करते हुए शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल एवं सरपरस्त व पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का आभार जताया है।

शिरोमणि अकाली दल के स्त्री विग की प्रधान व डेरा संत बाबा प्रेम सिंह मुराले वाले की संचालक बीबी जगीर कौर के पति का 1983 में निधन हो गया था। इसके बड़ी बेटी हरप्रीत कौर की 20 अप्रैल 2000 को हुई मौत ने बीबी जगीर कौर को पूरी तरह से झंझोर कर रख दिया था। उस वक्त बीबी जगीर कौर एसजीपीसी की पहली महिला प्रधान थी और उन्होंने नैतिकता के अधार पर त्यागपत्र दे दिया था। इसके करीब 12 साल बाद सीबीआइ की विशेष अदालत के फैसले ने उनका राजनीतिक करियर ही चौपट कर दिया। उस वक्त वह पंजाब सरकार में वाटर सप्लाई एवं सेनीटेशन मंत्री बनी थी। इसके करीब 12 दिन बाद ही सीबीआइ की अदालत की तरफ तरफ से पांच साल की सजा सुनाए जाने पर उन्हें कैबनिट मंत्री का पद भी त्यागना पड़ा। उन्हें करीब छह महीने तक जेल में भी रहना पड़ा। इसके बाद ने सीबीआइ की तरफ से सजा सुनाने के मामले को पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी और करीब छह साल तक यह मामला उच्च न्यालय में चलता रहा। इस सजा की वजह से बीबी जागीर कौर 2017 में हुए पंजाब विधान सभा के चुनाव नही लड़ सकी और अंतिम समय में उन्हें अपने दामाद युवराज भूपिदर सिंह को चुनाव मैदान में उतारना पड़ा लेकिन वह विरोधी पक्ष के साबका नेता सुखपाल सिंह खैहरा से हार गए थे।

इससे पहले बीबी जगीर कौर ने 1996 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इससे पहले वह बादल सरकार में समाज भलाई व टूरिजम मंत्री भी रह चुकी है लेकिन केस के चलते उन्हें यह पद भी छोडना पड़ा था। बीबी जगीर कौर भुलत्थ से लगातार एसजीपीसी की मेंबर चुनी जा रही है।


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