Move to Jagran APP

जिद से मिली एेसी जीत, पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पैदावार भी बढ़ाई

जसवंत सिंह ने पिछले साल पराली को खेत में मिलाते हुए आलू की बिजाई की और करीब 20 से 25 क्विंटल अधिक पैदावार हासिल की।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 08 Nov 2018 04:26 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 08:58 AM (IST)
जिद से मिली एेसी जीत, पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पैदावार भी बढ़ाई
जिद से मिली एेसी जीत, पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पैदावार भी बढ़ाई

कपूरथला [हरनेक सिंह जैनपुरी]। गांव दीपेवाल के किसान जसवंत सिंह व उनके युवा भतीजे मनजीत सिंह ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर पिछले पांच वर्षों में गांव में 50 फीसद किसानों से पराली जलाना बंद करवा दिया। इस बार गांव में 90 फीसद किसानों ने पराली को आग नहीं लगाई, बल्कि उसे खेत में मिलाकर आलू, गाजर व गेहूं की बिजाई की। जसवंत सिंह ने पिछले साल पराली को खेत में मिलाते हुए आलू की बिजाई की और करीब 20 से 25 क्विंटल अधिक पैदावार हासिल की।

loksabha election banner

चाचा जसवंत सिंह एवं अपने दादा महिंदर सिंह से प्रेरणा लेकर मनजीत व उसके साथियों ने घर-घर जाकर गांव के किसानों को जागरूक किया। उन्हें पराली न जलाने के लिए प्रेरित किया। जसवंत व मनजीत ने अपनी 70 एकड़ जमीन पर मशीनों का प्रयोग किया, फिर दूसरे किसानों को इन्हें अपनाने को कहा। जसवंत सिंह व मनजीत सिंह ने बताया कि वह करीब 70 एकड़ में खेती करते हैं।

पिछले साल उन्होंने ट्रायल के तौर पर पराली को खेत में मिला कर आलू की बिजाई की थी। जिस खेत से 90-95 क्विंटल आलू की पैदावार होती थी, उन खेतों से 110-115 क्विंटल उत्पादन हुआ है। इस बार उन्होंने आलू की करीब 25 एकड़ जमीन में बिजाई की और 6 एकड़ में गाजर लगाई। बाकी में हैप्पी सीडर से गेहूं की बिजाई की।

100 एकड़ में हो रही आलू की खेती

गांव दीपेवाल की आबादी लगभग एक हजार है। यहां का कुल रकबा 700 एकड़ है। इसमें करीब 100 एकड़ जमीन में आलू की बिजाई हो रही है और 20 एकड़ में गाजर व गोभी आदि की खेती की जा रही है। इसी गांव के युवा किसान हरविंदर सिंह भी 50 एकड़ जमीन में खेती करते हैं।

30-35 एकड़ जमीन में उन्होंने पराली को आग लगाए बिना आलू की बिजाई की है। हरविंदर सिंह का कहना है कि उन्होंने गांव के युवाओं को इकट्ठा कर अपने गांव में घर-घर जाकर दस्तक दी और किसानों को पराली न जलाने के लिए राजी किया। हालांकि, बुजुर्ग मुश्किल से इस बात के लिए राजी हुए।

अभी तक नहीं मिली मशीनों की सब्सिडी

हरविंदर व मनजीत ने बताया कि गांव के बुजुर्ग किसान पुरानी विचारधारा के हैं, जिन्हें पराली को आग न लगाने के लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी, लेकिन इस बार गांव में 90 फीसद आग नहीं लगी है, जिसकी उन्हें बेहद खुशी है। उन्होंने बताया कि वह लाखों रुपया खर्च करके हैप्पी सीडर, मल्चर, प्लो व रोटावेटर आदि लेकर आए हैं, लेकिन उन्हें अभी तक सरकार से सब्सिडी नहीं मिल सकी है, जिससे वह काफी निराश हैं।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.