मेहनत की भट्ठी में तप कुंदन बनी हरसिमरन, NBA के ग्लोबल कैंप में चयनित होने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी बनी
कपूरथला की हरसिमरन कौर कड़ी मेहनत के बूते दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित एनबीए के ग्लोबल कैंप में चयनित होने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी बनी हैं।
कपूरथला [हरनेक सिंह जैनपुरी]। रेल कोच फैक्ट्री (आरसीएफ) कपूरथला की हरसिमरन कौर कड़ी मेहनत के बूते दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित नेशनल बास्केटबॉल एसोसिएशन (एनबीए) के ग्लोबल कैंप में चयनित होने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी बनी हैं।
15 वर्षीय हरसिमरन ने 2013 में बास्केटबॉल खेलना शुरू किया। पिता बास्केटबॉल टीम के कोच थे तो हरसिमरन की अधिकतर प्रैक्टिस लड़कों के साथ हुई। इस प्रैक्टिस से हरसिमरन स्टेमिना और फुटवर्क बहुत अच्छा हुआ। लड़कों को बास्केटबॉल में टक्कर देकर मिले आत्मविश्वास ने हरसिमरन के पैर फिर कभी रुकने नहीं दिए।
एनबीए के ग्लोबल कैंप तक पहुंचने के लिए हरसिमरन ने कभी प्रैक्टिस नहीं छोड़ी। बारिश हो या सर्दी या फिर कड़ी धूप लगातार मेहनत की भट्टी में तप कर हरसिमरन कुंदन बनीं। एनबीए अकादमी ने मई 2019 में ट्रायल लिए थे। 24 में से सिर्फ चार खिलाड़ी इसमें चयनित हुए थे। बाद में चार में से दो का ही चयन हुआ। एनबीए लीग में शानदार खेल की बदौलत अब एनबीए ग्लोबल कैंप के लिए भारत से सिर्फ हरसिमरन का चयन हुआ है।
खेल की प्रेरणा हरसिमरन घर से ही मिली। मां सुमनप्रीत कौर अंतरराष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी रही हैं। वह दो बार देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। हरसिमरन के पिता सुखदेव सिंह आरसीएफ की बास्केटबॉल टीम के कोच हैं। वह ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी गोल्ड मेडल विजेता हैं। कोच बनने के बाद अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी बनने के उनके सपने को बेटी हरसिमरन साकार कर रही हैं।
हरसिमरन की छोटी बहन जसनीत कौर भी छह फीट लंबी है और वह भी बास्केटबॉल खिलाड़ी है। छह फीट ढाई इंच लंबी हरसिमरन कौर आरसीएफ स्थित केंद्रीय विद्यालय में जमा एक की छात्रा हैं। वह सात नवंबर से आस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में शुरू होने वाले एनबीए के ग्लोबल कैंप में हिस्सा लेंगी। 23 नवंबर को आस्ट्रेलिया से लौटकर 1 से 10 दिसंबर तक नेपाल में होने वाली सैफ गेम्स के लिए बेंगलुरु में भारतीय सीनियर बास्केटबॉल टीम के साथ कोचिंग कैंप ज्वाइन करेंगी।
अभी तो शुरुआत हुई, सफर बहुत लंबा और कठिन : हरसिमरन
हरसिमरन कौर कहती हैं कि अभी तो एनबीए में उसकी शुरुआत है। आगे का सफर बहुत लंबा और कठिन है। आगे बढऩे के साथ-साथ मुकाबला भी कड़ा होता जाता है। डब्ल्यूएनबीए में खेलना और ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करना और पदक दिलाना ही मेरा सपना है।
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