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बिछड़े सदस्यों की याद में पौधे लगाने का संदेश दे रहे गुरबचन

ट्रेफिक एजूकेशन सेल कपूरथला के इंचार्ज एएसआइ गुरबचन सिह पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Jan 2022 11:19 PM (IST)Updated: Mon, 03 Jan 2022 11:19 PM (IST)
बिछड़े सदस्यों की याद में पौधे लगाने का संदेश दे रहे गुरबचन
बिछड़े सदस्यों की याद में पौधे लगाने का संदेश दे रहे गुरबचन

हरनेक सिंह जैनपुरी, कपूरथला

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ट्रेफिक एजूकेशन सेल कपूरथला के इंचार्ज एएसआइ गुरबचन सिह अपनी ड्यूटी निभाने के पत्रों के जरिए पौधे लगाने का संदेश दे रहे हैं। गुरबचन सिंह रोजाना अखबारों में छपते अंतिम अरदास, रस्म पगड़ी आदि विज्ञापनों से शोक संतप्त परिवारों को पत्र लिखकर उन्हें बिछड़े सदस्यों की याद में पौधे लगाने का अनुरोध कर रहा है।

गुरबचन सिंह अभी तक 29 हजार से ज्यादा पत्र लिख चुके हैं जिससे अधिकतर लोगों ने ना सिर्फ अपनों की याद में पौधे ही लगाए बल्कि पत्रों का जवाब देते हुए अनोखे ढंग से उनके दर्द में शरीक होने के लिए आभार भी जताया। गुरबचन सिंह राज्य के विभिन्न जिलों के सरपंचों को भी पत्र लिख कर पर्यावरण को बचाने का संदेश दे रहा हैं। इस मुहिम तहत गुरबचन पठानकोट जिले की 97 प्रतिशत पंचायतों को कंवर कर चुके है जिसके पत्रों से प्रेरित होकर कई सरपंच पर्यवरण संरक्षण के लिए काम करना शुरू कर दिया है।

जिले के गांव खस्सण का पूर्व सरपंच डा. एनएस कंग गुरबचन सिंह के पत्र से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने गांव की सभी सड़कों व सांझी जमीन पर पौधे लगा दिए है। लिफाफों को एकत्रित करने के लिए गांव में कूड़ेदान लगा दिए है।

उधर पठानकोट जिले के गांव अदुई के सरपंच सतपाल सिंह भी गुरबचन सिंह के पत्र से प्रभावित होकर अपने गांव में पर्यावरण को बचाने के लिए काम कर रहे है। साथ ही नजदीकी गांवों में जाकर गुरबचन सिंह के पत्र की कापियां लोगों में बांट कर पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक कर रहे हैं।

एएसआइ गुरबचन सिंह ने बताया कि अपने बच्चों के जन्म दिन एवं शादी सालगिरह पर पौधा लगा कर खुशी हासिल की जा सकती है। इससे पर्यावरण भी बचेगा तथा हमें संतुष्टि भी मिलेगी कि कुदरत को बचाने में हमारा भी कुछ योगदान पड़ा है। गुरबचन सिंह ने बताया कि लोग कहते है कि आपके पत्र से प्रेरणा लेकर हम अपने बिछड़ों की याद में एक नही कई पौधे लगा कर काफी राहत महसूस करते है।

गुरबचन की योजना हर रोज पंजाब में कम से एक पौधे रोजाना लगाने की थी लेकिन वह अकेले ऐसा नही कर सकते थे। फिर उसने अखबारों में रस्म पगड़ी व अंतिम अरदास के विज्ञापन पढ़ कर पत्र लिखने का कार्य शुरु किया तो उससे उसके साथ हजारों हाथ जुड़ गए। अब वह रोजाना छह से सात पत्र लिखते है। वह विरासती शहर खुद भी अपने साथियों के साथ पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण में सहयोग कर रहे हैं।


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