वीआइपी नंबर के नाम पर जैगुआर मालिक से लाखों ठगे, इश्योरेंस क्लेम भी खारिज
डीटीओ दफ्तर में सक्रिय एक एजेंट के जरिए 55.85 लाख की जैगुआर के लिए वीआइपी नंबर लेना कार मालिक को महंगा पड़ गया।
मनीष शर्मा, जालंधर : डीटीओ दफ्तर में सक्रिय एक एजेंट के जरिए 55.85 लाख की जैगुआर के लिए वीआइपी नंबर लेना कार मालिक को महंगा पड़ गया। जहां एजेंट ने उससे 1.95 लाख रुपये ऐंठकर वीआइपी नंबर की फर्जी आरसी थमा दी, वहीं कार रिपेयरिग के बदले 3.18 लाख के क्लेम को भी इंश्योरेंस कंपनी ने खारिज कर दिया, जिसके लिए कंपनी ने फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिए क्लेम लेने की कोशिश का तर्क दिया। यह मामला जिला कंज्यूमर फोरम में पहुंचा था, जिसकी सुनवाई में एजेंट से क्लेम की भरपाई के लिए लेनदेन का कोई दस्तावेजी सुबूत न होने की वजह से खारिज कर दिया गया और कार डीलर को भी क्लीन चिट दे दी गई।
जालंधर रोड कपूरथला निवासी नरेश मल्होत्रा ने फोरम में शिकायत दी थी कि उसने दादा मोटर्स लुधियाना से जैगुआर खरीदी थी। युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से इंश्योरेंस भी कराई थी। इसके बाद उन्हें कपूरथला के घनिएके निवासी अवतार सिंह मिला, जिसने वीआइपी नंबर लेने के लिए उसे फिरोजपुर निवासी एजेंट राकेश कुमार से मिलवाया। राकेश ने वीआइपी नंबर पीयूएफ-5 दिलाने के लिए 1.95 लाख रुपये मांगे। इसके बाद वह कपूरथला आकर रुपये ले गया और एक महीने में आरसी देने का भरोसा दिया। बाद में उक्त एजेंट उसे डीटीओ फिरोजपुर की मुहर व हस्ताक्षर वाली आरसी दे गया। कुछ समय बाद उन्होंने अपनी कार को रिपेयरिग के लिए दादा मोटर्स में भेजा, जिसका बिल 3.18 लाख बना। उन्होंने इंश्योरेंस कंपनी के पास क्लेम फाइल कर दिया। कुछ दिन बाद इंश्योरेंस कंपनी ने बताया कि उसकी गाड़ी डीटीओ फिरोजपुर के पास रजिस्टर्ड नहीं है और आरसी फर्जी है। उन्होंने एजेंट राकेश से संपर्क तो उसने 50 हजार रुपये लौटा दिए।
नरेश ने कहा कि एजेंट की लापरवाही से उन्हें रिपेयर खर्च व नंबर के बदले कुल 4.63 लाख रुपये का नुकसान हुआ। इसके बाद उन्होंने एसएसपी कपूरथला को शिकायत की और डीटीओ दफ्तर के पूर्व क्लर्क सुरिदरपाल सिंह पर थाना फिरोजपुर कैंट में धोखाधड़ी का पर्चा दर्ज हो गया।
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फर्जी आरसी की वजह से क्लेम खारिज
इंश्योरेंस कंपनी ने जवाब में कहा कि शिकायतकर्ता अपनी गलतियों का फायदा नहीं ले सकता। उनकी कार का 28 मार्च 2014 से 27 मार्च 2015 के लिए इंश्योरेंस किया गया था। कार का एक्सीडेंट आठ सितंबर 2014 को हुआ। उस समय शिकायतकर्ता के पास कार की रजिस्ट्रेशन का कोई वैध दस्तावेज नहीं था। इसका टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन नंबर भी एक्सपायर हो चुका था। कंपनी ने कहा कि उनकी जांच में भी आरसी फर्जी निकली, जिसके आधार पर क्लेम खारिज कर दिया गया।
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ऐसे मिली राहत
दादा मोटर्स : फोरम ने कहा कि शिकायतकर्ता ने किसी मैन्युफैक्चरिग या मैकेनिकल डिफेक्ट की बात नहीं कही है। सिर्फ डैमेज का क्लेम मांगा गया है, जो इंश्योरेंस कंपनी से लिया जाना है। दादा मोटर्स ने कार बेची और रिपेयर की, इसलिए उनके ऊपर कोई देनदारी साबित नहीं होगी।
इंश्योरेंस कंपनी : फोरम ने इंश्योरेंस कंपनी को इस लिहाज से छूट दी कि फोरम की आर्थिक अधिकार क्षेत्र की सीमा 20 लाख तक है, जबकि शिकायतकर्ता ने जो इंश्योरेंस कराया है, उसकी कीमत 49 लाख 25 हजार 750 है। इसलिए इस मामले में उचित अथॉरिटी के पास अपील करने के लिए शिकायत वापस लौटा दी गई। वहीं, जितना वक्त सुनवाई में यहां लगा है, उसे भी लिमिटेशन एक्ट के तहत उक्त अथॉरिटी की सुनवाई में एडजस्ट किया जाएगा।
एजेंट : फर्जी आरसी के मामले में शिकायतकर्ता ने जिस एजेंट राकेश कुमार के खिलाफ शिकायत की, उसके खिलाफ फोरम को कोई ऐसा दस्तावेज नहीं मिला, जिससे यह साबित होता हो कि उसने फिरोजपुर डीटीओ से आरसी बनवाने के लिए पैसे लिए हों। सिर्फ मौखिक सबूतों के आधार पर एजेंट के ऊपर कोई देनदारी नहीं लगाई जा सकती।
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