इस ‘गुनाह’ की गवाह खुद पुलिस, नाम-पते नोट कर प्रदर्शनकारियों पर पर्चा कर रही दर्ज
शहर में नेताओं की रैली व प्रदर्शन और अब किसानों ने तीन दिन पुडा ग्राउंड में धरना दिया। पुलिस नाम-पते नोट कर पर्चा दर्ज करती रही कि धारा 144 तोड़ पांच से ज्यादा लोग जमा हुए है।
जालंधर, मनीष शर्मा। अपराध के बाद गवाह अहम होते हैं। गवाही मिल जाए तो सजा दिलाना आसान हो जाता है, लेकिन कोरोना काल में ऐसे भी गुनाह हो रहे हैं जिनकी गवाह खुद पुलिस है। मजे की बात है कि इसकी शिकायत और केस दर्ज, दोनों पुलिस कर रही है। खाकी की आंखों के सामने सरेआम कानून टूट रहा है लेकिन उसे रोकने की बजाय पुलिस दिन भर तमाशबीन और शाम को थाने जाकर केस दर्ज करने का फर्ज निभा देती है।
असल में यह हालात शहर में नेताओं की रैली व प्रदर्शन को लेकर और अब किसानों ने तीन दिन पुडा ग्राउंड में धरना दिया। पुलिस नाम-पते नोट कर पर्चा दर्ज करती रही कि धारा 144 तोड़ पांच से ज्यादा लोग जमा हुए, मास्क नहीं पहना व शारीरिक दूरी भी नहीं थी। पुलिस कर्मी कहते हैं ‘अफसरां नूं पुच्छो जी, सानूं तां जो हुकम होया, ओ ही बजाउणा’।
नशा तस्करों को पुलिस पर ‘भरोसा’
आम लोगों को भले ही न हो लेकिन नशा तस्करों को पुलिस पर पूरा भरोसा है। दरअसल, जब कभी भी पुलिस को शक होता है कि किसी के पास नशा है तो उसकी तलाशी किसी गजटेड अफसर की मौजूदगी में ही लेनी होती है। जब से कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब में नशा खत्म करने का वादा करके कांग्रेस पार्टी को सत्ता में लाए हैं, तब से पुलिस नशे के खिलाफ हाथ धोकर पड़ी है। नशा कम हो या ज्यादा, बस आंकड़ों में नशा व उसकी तस्करी वाला पकड़ा दिखे, तो वाहवाही मिल ही जाती है।
ऐसे में अब हर जगह एसीपी या डीएसपी स्तर के अधिकारी का पहुंचना संभव नहीं होता तो छापामारी टीम या नाके वाले कर्मचारी ही तलाशी निपटा लेते हैं। हां, कागजों में जरूर दर्ज कर दिया जाता है कि अपराधी ने कहा कि उसे ‘आपजी’ यानि मौके के मौजूद रहे पुलिस कर्मी पर पूरा भरोसा है।
एसएचओ कुर्सी के चाहवानों के ‘आदर्श’
शहरी पुलिस में हाल ही में आए एक इंस्पेक्टर थाना एसएचओ की कुर्सी के चाहवानों के लिए ‘आदर्श’ बन गए हैं। दरअसल, इन इंस्पेक्टर साहब को फील्ड में रहना बड़ा पसंद है। काम के लिहाज से भी वो अधिकारियों के ‘पसंदीदा’ गिने जाते हैं। यह बात अलग है कि देहात पुलिस में इस बार नए साहब के साथ उनकी दाल नहीं गली। नए साहब ने उन्हें कुछ दिन देखा और फिर थाने से लाइन में भेज दिया।
इससे इशारा मिल गया कि अब शायद ही यहां फील्ड वाला मौका मिले तो वो कुछेक दिन में ही कमिश्नरेट में आ गए और आते ही सीधे एसएचओ की कुर्सी पर जाकर विराजमान हो गए। थाना भी वो जो सबसे ज्यादा पॉश इलाकों में निगरानी रखने वालों में से एक है। अब एसएचओ लगने के लिए कतार में खड़े सब इंस्पेक्टर से लेकर इंस्पेक्टर भी ‘तरीका’ जानने की जुगत में लगे हुए हैं।
बस थोड़ी देर कर दी हुजूर
हाथ की कलाई कटने के बाद भी लुटेरे से भिड़कर पकड़ने वाली कुसुम सिर्फ जालंधर नहीं विश्व में छा गई। सीसीटीवी फुटेज में कुसुम की बहादुरी देखकर हर किसी ने उसे सलाम किया। यहां भी बधाई देने वालों की भीड़ लगी रही, हालांकि उसमें चर्चित चेहरे संग फोटो खिंचवाने के शौकीन ज्यादा थे। जालंधर से लेकर चंडीगढ़ तक बैठे पुलिस अधिकारी कुसुम की बहादुरी के मुरीद हो गए।
देहात पुलिस के एसएसपी सतिंदर सिंह ने भी बधाई भेजी। डीसी घनश्याम थोरी तो एक कदम आगे निकल गए, नाम राष्ट्रीय व राज्य बहादुरी पुरस्कार के लिए भेज पीएमओ व सीएम दफ्तर की कागजी कार्रवाई भी निपटा दी। फिर कुसुम को बुला एक लाख चेक देकर ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ मुहिम का ब्रांड अंबेसडर बना दिया। इस घटना के दो हफ्ते बाद कमिश्नरेट पुलिस भी जागी और मोबाइल व प्रशंसा पत्र देकर कुसुम का हौसला बढ़ाया। बस थोड़ी देर कर दी हुजूर..।