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चोट ने उठने नहीं दिया तो नेहा ने बुलंद हौसले से छू लिया आसमां Jalandhar News

वर्ष 2006 में हुए कार हादसे से नेहा के जिंदगी की कई सपने टूट गए। फिर परिवार व दोस्तों से मिले सहयोग और अपनी हिम्मत के बल पर उन्होंने सफलता के द्वार खोल लिए।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 02:25 PM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 02:25 PM (IST)
चोट ने उठने नहीं दिया तो नेहा ने बुलंद हौसले से छू लिया आसमां Jalandhar News
चोट ने उठने नहीं दिया तो नेहा ने बुलंद हौसले से छू लिया आसमां Jalandhar News

जालंधर [अंकित शर्मा]। 13 साल पहले दिल्ली में ऐसा कार हादसा हुआ कि एक लड़की की रीढ़ की हड्डी पर गंभीर चोट लग गई। इस हादसे ने उसके दोबारा पैरों पर खड़े होने के साथ-साथ जीने की उम्मीदें भी धूमिल कर दी थीं। इस लड़की को ग्रेजुएशन के फाइनल एग्जाम देने थे, आगे जीवन में मुश्किलें ही मुश्किलें नज़र आ रही थीं। इस सबके बीच मिले परिवार के साथ औप अपनी हिम्मत के बल पर इस लड़की ने इंजरी को दरकिनार कर पढ़ाई में सफलता की ऊंचाइयों को छुआ है। जी हां, हम बात कर रहे हैं एलपीयू में पढ़ रही पश्चिम विहार की रहने वाली नेहा आहलुवालिया की। नेहा ने बैचलर ऑफ साइंस एयरलाइंस टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी में गोल्ड मेडल हासिल किया है।

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लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) में बुधवार को हुए 10वें सालाना दीक्षा समारोह में सूरीनाम देश के उपराष्ट्रपति माइकल अश्विनी सत्येंद्रे अधिन ने नेहा को गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया। जब नेहा मंच पर आई तो वह क्षण सब कुछ रोक देने वाला था। यूनिवर्सिटी के हजारों छात्रों-शिक्षकों ने तालियां बजाकर नेहा के हौसले को सलाम किया।

जिंदगी ने दिया दूसरा मौका, तभी आगे बढ़ पाईः नेहा

नेहा आहलुवालिया ने बताया कि साल 2006 में हुए कार हादसे ने ऐसे जख्म दिए कि उनका हौसला व उम्मीदें पूरी तरह से टूट चुकी थीं। इन उम्मीदों को कायम रखने का काम किया उनके परिवार व दोस्तों से मिले सहयोग ने। उन्होंने ही उनके दिमाग में विश्वास जगाया कि जिंदगी ने उसे यह दूसरा मौका दिया है। यूं ही हिम्मत नहीं हारनी। जैसे भी हालात हैं, उनका डटकर सामना करना। इसके बाद निरंतर व्यायाम शुरू किया, लोगों से मिलना शुरू किया। अक्सर होता है कि हालात विपरीत होने पर लोग व्हीलचेयर के सहारे किसी से मिलने में गुरेज करने लगते हैं लेकिन सच्चाई को स्वीकार कर आगे बढ़ना ही जरूरी है।

पिता ने दिल्ली में और मां ने यूनिवर्सिटी में साथ रहकर दिया साथ

नेहा ने बताया कि पिता कुलदीप आहलुवालिया हाल ही में प्राइवेट कंपनी से जरनल मैनेजर सेवानिवृत्त हुए हैं। इंजरी के दौरान वे दिल्ली में रहते थे। मेरे भविष्य को देखते हुए पहले वे स्पाइनल कॉर्ड इंजरी एसोसिएशन के साथ जुड़े और एलपीयू से डिग्री करने के लिए आवेदन दिया। यहां उन्हें चांसलर अशोक मित्तल और प्रो. चांसलर रश्मि मित्तल का भी सहयोग मिला। उन्होंने मेरी मां ऊषा को होस्टल में मेरे साथ रहने की इजाजत दी। मां सुबह नौ बजे उन्हें क्लास में छोड़ कर आती थी और शाम पांच बजे लेने पहुंचती थी। उधर, पिता ने दिल्ली में अकेले रहकर मेरे सपने साकार करने के लिए दिन रात मेहनत की। 

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