आने वाले सालों में खत्म हो जाएंगे पेट्रोल-डीजल, पराली बनेगी वाहनों का सहारा! Jalandhar News
रिसर्च से पराली से बॉयो इथानोल तैयार कर प्रदूषण से निजात मिल सकती है। इससे पहले ब्राजील बायो इथानोल बना रहा है व पीएम मोदी ने भी 2022 तक बायो इथानोल तैयार करने की बात कही है।
जालंधर [कमल किशोर]। अगर देश में बॉयो इथानोल तेल बनाने की रिसर्च जल्द कामयाब हो जाती है तो लोगों को स्मॉग छुटकारा मिल सकता है। मौजूदा समय में गाडिय़ों व जलती पराली से निकलने वाली जहरीली गैसों से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। इस प्रदूषण को रोकने के लिए लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) के डिपार्टमेंट ऑफ लैबोरेटरी साइंस के सहायक प्रो. डॉ. रोहित रॉय '2जी इथानोल' पर रिसर्च कर रहे हैं। इस रिसर्च से पराली से बॉयो इथानोल तैयार कर प्रदूषण से निजात मिल सकती है। इससे पहले ब्राजील बायो इथानोल बना रहा है व पीएम मोदी ने भी 2022 तक बायो इथानोल तैयार करने की बात कही है।
पेट्रोल में मिलाकर इस्तेमाल होगा इथानोल
डॉ. रोहित रॉय ने बताया कि जिस तरह पेट्रोल व डीजल की खपत बढ़ रही है, आने वाले करीब 31 सालों में पेट्रोल-डीजल खत्म हो जाएंगे और वाहन भी चलने बंद हो जाएंगे। आज हर देश बॉयो इथानोल तेल तैयार करने में लगा है। इसे पेट्रोल में मिलाकर इस्तेमाल कर प्रदूषण कम किया जा सकता है।
पराली को शुगर में बदलना है चुनौती
डॉ. रोहित रॉय ने बताया कि गन्ने के वेस्ट मटीरियल से बायो इथानोल तैयार किया जाता है। इसी तर्ज पर अगर हम पराली को शूगर में तब्दील कर लेते हैं तो बायो इथानोल तैयार किया जा सकता है। वैज्ञानिकों के सामने चुनौती है कि पराली को शुगर में कैसे बदला जाए। हालांकि कई विदेशी कंपनियां महंगे दाम पर एंजाइम्स (एक तरह का प्रोटीन, जो सूक्ष्मजीव से पैदा होता है) बेचती हैं, जो पराली को शूगर में तब्दील करेगा। ऐसे में अगर हम ये एंजाइम्स खरीदते हैं तो इथानोल भी महंगा ही बिकेगा।
कार निर्माता कंपनियों को बदलने पड़ सकते हैं इंजन
डॉ. रोहित ने बताया कि अगर पेट्रोल में 20 फीसद बायो इथानोल मिलाते हैं तो कंपनियों को गाडिय़ों के इंजन बदलने की जरूरत नहीं होगी। लेकिन अगर पेट्रोल में 30-40 फीसद इथानोल मिलाया गया तो कंपनियों को गाड़ी का इंजन बदलना पड़ सकता है।
छह साल से कर रहे रिसर्च
डॉ. रोहित ने बताया कि वे छह साल से 2जी इथानोल पर रिसर्च कर रहे हैं। इस रिसर्च को उन्होंने हाल ही में ब्राजील में हुए ब्रिक्स-यंग साइंटिस्ट कान्क्लेव में भी दिखाया था। इसमें उनका चयन भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से हुआ था। इसमें उन्होंने बताया कि अगर किसानों से पराली खरीदकर इथानोल तैयर करें तो इसे जलाने की जरूरत ही नहीं होगी और रोजगार के साधन भी बढ़ेंगे। इथानोल एक जैव ईंधन है जो कार्बन डाई आक्साइड कम पैदा करता है।
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