मानसून से पहले रोड-गलियां साफ नहीं करवाई तो होगा जलभराव
मानसून आने में करीब डेढ़ महीना बचा है। मौसम विभाग के अनुसार इस बार मानसून समय आ रहा है। जुलाई के पहले हफ्ते में मानूसन आने के संभावना को देखते हुए निगम को जलभराव की स्थित से बचने के लिए अभी से इंतजाम करना होगा। बरसाती पानी की निकासी पूरी तरह से डोमेस्टिक सीवरेज पर है। सीवरेज लाइन पहले से ही ओवर फ्लो रहती है। ऐसे हालात में इस बार भी बरसात में शहर में जलभराव की स्थिति रहेगी। नगर निगम को रोड गलियों की सफाई भी जल्द करवानी होगी। अगर रोड गलियां साफ हो जाती है तो सड़कों पर पानी कम खड़ा
जागरण संवाददाता, जालंधर : मौसम विभाग के अनुसार मानसून आने में करीब डेढ़ महीना बाकी है। ऐसे में जुलाई के पहले हफ्ते में मानूसन आने के संभावना को देखते हुए निगम को जलभराव की स्थित से बचने के लिए अभी से इंतजाम करना होगा। बरसात के पानी की निकासी पूरी तरह से डोमेस्टिक सीवरेज के जरिए ही है। सीवरेज लाइन पहले ही ओवरफ्लो रहती है। इसका समाधान नहीं किया गया तो इस बार भी जलभराव की स्थिति ही रहेगी। नगर निगम को रोड-गलियों की सफाई भी जल्द करवानी होगी। अगर ऐसा हो जाता है तो सड़कों पर पानी कम इकट्ठा होगा। इससे सड़क भी टूटने से बचेगी।
दरअसल, शहर में सीवरेज लाइन करीब 1600 किलोमीटर लंबी है। इसके अलावा 500 किलोमीटर बरसाती सीवरेज लाइन होनी चाहिए, लेकिन शहर में सिर्फ 50 किलोमीटर ही है। जिन मुख्य सड़कों पर ये लाइन है, वहां जलभराव कम ही होता है। हालांकि शहर में 20 इलाके ऐसे हैं जो निचले माने जाते हैं। यहां से पानी निकालने के लिए पंपिग सेट लगाए जाते हैं। इस बार भी ऐसा ही करना होगा।
अब तक सिर्फ 80 किलोमीटर सीवर साफ
नगर निगम के सीवरेज में गार इतनी ज्यादा जम गई है कि पानी की निकासी के लिए सिर्फ 20 फीसद प्रतिशत पाइप लाइन ही खाली है। सुपर सक्शन मशीन से करीब 30 किलोमीटर लाइन साफ की गई है और निगम ने करीब 50 किलोमीटर सीवर साफ किया है। जहां पिछले सालों में सुपर सक्शन मशीन से सफाई हुई है, वहां जलभराव से राहत मिली है।
800 करोड़ से बरसाती सीवर प्रोजेक्ट पर चर्चा तक नहीं
नगर निगम ने साल 2017 में हाउस में 800 करोड़ रुपये से 250 किलोमीटर बरसाती सीवरेज डालने का प्रस्ताव पास किया था। प्राजेक्ट के तहत उन इलाकें को बरसाती सीवरलाइन से जोड़ा जाना है, जहां जलभराव होता है। प्रस्ताव पास तो कर दिया गया, लेकिन दोबारा इस पर कभी चर्चा ही नहीं हुई। स्मार्ट सिटी में एरिया बेस्ड डेवलपमेंट में बरसाती सीवरेज की भी योजना शामिल है। स्मार्ट सिटी के 1027 एकड़ के प्रस्तावित एरिया में ही 20 के लगभग जलभराव वाले एरिया हैं। स्मार्ट सिटी में बरसाती सीवरेज के लिए 78 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट है।
हर बार बरसात में 100 से ज्यादा इलाके हो जाते हैं जलमग्न
हर बार बरसात में 120 फुटी रोड, बस्तियां और इसके पास की कॉलोनियां, दोमोरिया पुल, न्यू रेलवे रोड, शहीद भगत सिंह चौक से पंजपीर बाजार, ढन्न मोहल्ला, सोढल रोड, नीला महल, गोपाल नगर, साईं दास स्कूल, पटेल चौक, गुड़ मंडी, अली मोहल्ला, निकल पॉलिश वाली गली, शहीद ऊधम सिंह नगर में ईएसआई अस्पताल के पास, बस्ती गुजां आइसक्रीम फैक्ट्री से बाबू जगजीवन राम चौक, 120 फुटी रोड बस्ती शेख, कोट मोहल्ला बस्ती शेख, लम्मा पिड, किशनपुरा, रेलवे रोड, डीसी आफिस रोड, पीएनबी चौक से मिलाप चौक, किशनपुरा मोहल्ला, इकहरी पुली, लम्मा पिड चौक, प्रीत नगर रोड, कपूरथला चौक, बस्ती अड्डा से फुटबॉल चौक, जेपी नगर में थाने के पास, गोल मार्केट मॉडल टाउन, इनकम टैक्स कॉलोनी वाली रोड, अर्बन स्टेट फेस वन रेलवे ट्रैक प्रभावित रहते हैं
समय रहते साफ करवाएंगे रोड गलियां : एसई
नगर निगम के एसई सतिदर कुमार ने कहा कि बरसात आने से पहले शहर में रोड-गलियों को साफ करवा लेंगे ताकि पानी की निकासी में रुकावट न आए। जिन इलाकों में सुपर सक्शन मशीन से सफाई करवाई है, उन इलाकों में निकासी ठीक है। जून के अंत तक बरसात के पानी की निकासी के उपाय कर लेंगे। सिर्फ प्रीत नगर रोड पर बरसाती सीवर का काम चल रहा है। इन इलाकों में खोदाई से थोड़ी मुश्किल रह सकती है।
सीवरेज के पास नहीं मिल रही वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम की मंजूरी
जलभराव से सड़कों को हर साल नुकसान होता है। कई इलाकों में बरसाती पानी की निकासी का इंतजाम नहीं है। वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम से पानी की निकासी संभव है, लेकिन ऐसे प्लांट नहीं लगाए जा रहे हैं। इसकी बजाय रोड-गलियां बना कर पानी की निकासी सीवरेज में ही की जा रही है। एसई सतिदर कुामर का कहना है ज्यादातर सड़कों पर सीवरेज लाइन है। सीवरेज लाइन के पास वाटर हार्वेस्टिग प्रोजेक्ट नहीं लगाया जा सकता। सरकार से इसकी मंजूरी नहीं मिलती, क्योंकि सीवरेज का पानी जमीन में जाने का खतरा रहता है।
बाढ़ से लोहियां के गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे
पिछले साल आई बाढ़ में सबसे ज्यादा लोहियां के गांव प्रभावित हुए। इनमें गिदड़पिडी, किल्लीवाड़ा, मदाला, छन्ना, दारेवाल, कालू मुंडी, नसीरपुर, नल, नवां पिड, थालेवापल, अस्माइलपुर, महराज वाला, कंगा, भगवा, सरदार वाला, समालपुर, फतेहपुर, टेंडीवाल शामिल हैं। हर गांव में तकरीबन 20 से 30 लाख रुपये का नुकसान हुआ। इस साल बाढ़ से बचाव को लेकर तैयारी की जा रही है। दारेवाल-भरोदाना दरिया की सफाई का काम पूरा कर दिया गया है। दरिया से मिट्टी निकाल कर बांध को मजबूत कर दिया गया। इसमें जिला प्रशासन, संत सीचेवाल की टीम, हड़ रोको कमेटी गिद्दडपिडी, सीकेयू क्रांतिकारी सेवक दल जीरा के संयुक्त प्रयास से सफाई की गई।