खटकड़कलां संग्रहालय की गैलरी में घुसते ही होता है 'बम धमाका'; यहीं रखी है शहीद-ए-आजम भगत सिंह की हैट और बूट
शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने मात्र 23 वर्ष की आयु में देश पर जीवन कुर्बान कर दिया था। पैतृक गांव खटकड़कला में उनकी याद में संग्रहालय और स्मारक बनाया गया है। यहां उनके बूट टोपी के अलावा वह पेन रखा है जिससे उन्हें फांसी की सजा दी गई थी।
जगदीश लाल कलसी। खटकड़कलां (नवांशहर)। भारत की आजादी के लिए खुशी-खुशी फांसी का फंदा चूमने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह पंजाब सहित देश भर के युवाओं के आदर्श हैं। उन्होंने मात्र 23 वर्ष की आयु में देश के लिए जीवन कुर्बान कर दिया था। बंगा स्थित उनके पैतृक गांव खटकड़कला में बने म्यूजियम में उनकी यादाें को संजोकर रखा गया है। म्यूजियम में शहीद-ए-आजम के बूट, वर्दी, अस्थि कलश, उनकी हड्डियां, कुल्ला, जिस पेन से उनके लिए फांसी की सजा सुनाई गई वह, उनकी पाउडर की डिब्बी, धर्म ग्रंथ गीता और उनकी कुंडली है।
इस संग्रहालय व स्मारक स्थल में शहीद भगत सिंह के जीवन के अलावा उनके बुजुर्ग बाबा खेम सिंह से लेकर उनकी बहनों तथा भाइयों के जीवन को एक गैलरी में दिखाया गया है। विशेष तौर पर लाहौर बम कांड गैलरी को दर्शनीय बनाया गया है। गैलरी में घुसते ही बम की आवाज से कमरा गूंजता है। इसके अलावा लाहौर विधानसभा और जलियांवाला बाग से संबंधित घटनाएं भी प्रदर्शित की गई हैं।
शहीद-ए-आजम संग्रहालय की एक गैलरी का दृश्य।
शहीद भगत सिंह को फांसी के तख्ते से लटकाने का दृश्य, कूका लहर के दृश्यों के अलावा भगत सिंह की कुण्डली, टोपी, बूट, भगत सिंह की फांसी की खबर वाला ट्रिब्यून अखबार जो खून से सना हुआ है ,भगत सिंह के खत आदि संजोकर रखे गए हैं। इसके अलावा खटकड़कलां में शहीदे आजम सरदार भगत सिंह का परिवार का पुराना बारादरी मकान है भी है। यहां भगत सिंह के परिवार के इस्तेमाल की जाने वाली चीजों को सहेजकर रखा गया ।
कहां है शहीद-ए-आजम म्यूजियम
जालंधर से मात्र 50 किलोमीटर तथा चंडीगढ़ से जालंधर मुख्य मार्ग पर 110 किलोमीटर की दूरी पर खटकड़ कलां गांव बसा हुआ है। यहीं बना है शहीद-ए-आजम स्मारक तथा संग्रहालय।
म्यूजियम में खलती है उनकी पिस्टल की कमी
अमृतसर में लाला लाजपतराय की मौत से खफा शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह ने अपने साथियों समेत सांडर्स के कत्ल की योजना बनाई थी। सांडर्स के कत्ल के लिए इस्तेमाल किया गया भगत सिंह का पिस्टल अब भी इस संग्रहालय में नहीं है। अगर वह यहां आ जाए तो इस संग्रहालय की आभा और बढ़ जाएगी।
गांव खटकड़ कलां स्थित शहीद भगत सिंह का पैतृक घर।
कोई एंट्री फीस नहीं
खटकड़ कलां शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह का संग्रहालय सोमवार को छोड़कर दर्शकों के लिए हर दिन खुला रहता है। स्थल पर आने के लिए कोई एंट्री फीस नहीं है। हालांकि लोगों को संग्रहालय के अंदर फोटो खींचने की अनुमति नहीं है । संग्रहालय के बाहर लोग अपनी फोटो खिंचवा सकते हैं। संग्रहालत के बाहर शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदमकद बुत के अलावा बाहर उनके पिता सरदार किशन सिंह का समाधि स्थल भी है। इसके अलावा परिवार के जीवन पर एक पटल है।
विशेष आकर्षण का केंद्र 140 एलईडी वाला गेट
म्यूजियम में 140 एलईडी से बनाया गया यादगारी गेट विशेष आकर्षण का केंद्र है। इसमें क्रांतिकारी शहीदों के जीवन से जुड़ी हुई हर बात को दिखाया जाता है। केवल शहीद भगत सिंह के परिवार की ही नहीं बल्कि स्वतंत्रतता आंदोलन से जुड़े हर शहीद की वीरगाथा बताई जाती है। ऐसा भारत के अन्य किसी भी म्यूजियम में देखने को नहीं मिलता है।
भाजपा, कांग्रेस और आप- सबके प्रिय शहीद भगत सिंह
वर्ष 1977 में खटकड़कलां गांव जिला जालंधर का हिस्सा हुआ करता था। उस समय जालंधर के विधायक मनमोहन कालिया ने शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह की मां बीबी विद्यावती से खटकड़कलां में उनकी प्रतिमा स्थापित करने की आज्ञा ली थी। उन्होंने राजस्थान के कारीगर से शहीद-ए-आजम भगत सिंह का स्टैच्यू बनवाया गया था। सितंबर 1977 में भगत सिंह की प्रतिमा खटकड़कलां में मुख्य सड़क पर लगाई गई तो शहीद भगत सिंह की मां उससे लिपटकर रोई थी।
उसके बाद कांग्रेस के दिलबाग सिंह नवांशहर, चौधरी सुंदर सिंह सांसद फिल्लौर और बंगा के चौधरी जगतराम सूंढ के प्रयास से एक ट्रस्ट बनाया गया। 1980 में ज्ञानी जैल सिंह की सरकार ने खटकड़कलां में अष्टधातु से निर्मित शहीद की वर्तमान प्रतिमा लगाई। 23 मार्च, 1981 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उसका लोकार्पण करके खटकड़कलां में संग्रहालय बनाने का एलान किया। पिछले दिनों विधानसभा चुनाव में जीत के बाद आम आदमी पार्टी ने यहीं सीएम भगवंत मान का शपथ ग्रहण समारोह करवाया था।