मकान की रजिस्ट्री के लिए हेड कांस्टेबल से मांगी रिश्वत, पटवारी और उसका कारिंदा गिरफ्तार
विरासती इंतकाल चढ़ाने के बदले पंजाब पुलिस के हेड कांस्टेबल से रिश्वत मांगनी पटवारी हरविंदर सिंह व उसके कारिंदे डोनल तनेजा को महंगी पड़ गई।
जागरण संवाददाता, जालंधर: विरासती इंतकाल चढ़ाने के बदले पंजाब पुलिस के हेड कांस्टेबल से रिश्वत मांगनी पटवारी हरविंदर सिंह व उसके कारिंदे डोनल तनेजा को महंगी पड़ गई। हेड कांस्टेबल ने अपने सीनियर अफसरों से चर्चा के बाद विजिलेंस को शिकायत दी। इसके बाद मंगलवार को प्रशासकीय कांप्लेक्स स्थित पटवारखाने से दोनों को 19 हजार लेते पकड़ लिया गया। हालांकि वहां पटवारी ने विजिलेंस द्वारा रंगेहाथों न पकड़े जाने से बचने के लिए खुद हेड कांस्टेबल से पैसे लेने के बजाय कारिंदे से पैसे लेने को कहा।
विजिलेंस ब्यूरो के एसएसपी दलजिंदर सिंह ढिल्लो ने बताया कि थाना पांच में तैनात हेड कांस्टेबल राज कुमार निवासी फगवाड़ी मोहल्ला गढ़ा ने शिकायत दी कि उसके पिता फकीर चंद ने गढ़ा में 20 अप्रैल 1990 को वसीका नंबर 436 से ढाई मरले का बना हुआ मकान खरीदा था। 1992 में पिता की मौत हो गई। मकान की रजिस्ट्री पिता के नाम पर थी। उसके दो भाइयों ने अपने मकान अलग-अलग बना लिए थे। परिवार के सदस्यों की सलाह के बाद उसने 11 अप्रैल को मकान का विरासती इंतकाल उसके नाम पर चढ़ाने के लिए तहसीलदार को अर्जी दी थी। तहसीलदार के मार्क करने के बाद वो अर्जी लेकर माल हलका गढ़ा के पटवारी हरविंदर सिंह के दफ्तर गया। पटवारी ने उसे कहा कि अभी उस मकान का इंतकाल शिकायत करने वाले के पिता के नाम पर नहीं चढ़ा है। पहले इंतकाल उसके पिता के नाम पर चढ़ेगा और फिर वारिसों के नाम पर इंतकाल दर्ज होगा।
राज कुमार ने उसका काम करने की विनती की। पटवारी हरविंदर सिंह ने उसे बातचीत के लिए अपने निजी कारिंदे डोनल तनेजा के पास भेज दिया। पटवारी ने कहा कि उसके पैसों का लेन-देन डोनल ही करता है। वह डोनल को मिला तो उसने कहा कि काम हो जाएगा लेकिन डेढ़ लाख रुपये लगेंगे। काफी मिन्नतें करने के बाद सौदा 80 हजार में तय हुआ।
किश्तों में रिश्वत को राजी हुआ कारिंदा
राजकुमार ने तनेजा को कहा कि वह किश्तों में पैसे देगा। तनेजा 20-20 हजार की चार किश्तों में रकम लेने को माना। उसने कहा कि चालीस हजार काम होने से पहले दे और बाकी के चालीस हजार काम होने के बाद ले लेगा। दस्तावेज तभी मिलेंगे जब पूरा पैसा आ जाएगा। फिर वो 16 अप्रैल को 19 हजार रुपये देने की बात कहकर लौट आया। राजकुमार के मुताबिक कारिंदे ने अर्जी पकड़ने के लिए भी उससे एक हजार रुपये लिए।
इन गवाहों की मौजूदगी में पकड़े
विजिलेंस ने डीएसपी निरंजन सिंह की निगरानी व इंस्पेक्टर मनदीप सिंह की अगुवाई वाली एसआइ मनजीत पाल सिंह, एएसआइ जगरूप सिंह, गुरजीत सिंह व बाकी टीम के साथ मिलकर ट्रैप लगाया। जिसमें जेडीए के एक्सईएन संदीप कुमार, एसडीएओ दविंदरपाल व सरकारी शेडो गवाह वेटरनरी अफसर डॉ. संजीव कुमार को साथ लेकर पटवारी हरविंदर व उसके कारिंदे डोनल तनेजा को गिरफ्तार किया गया।