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आरटीए में फिर विजिलेंस रेड, रिटायर्ड विजय कुमार से पूछताछ

जागरण संवाददाता, जालंधर : डेढ़ लाख रुपये रिश्वत के मामले में फंसे एएसआइ रमेश चंद और होि

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Jan 2018 09:46 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jan 2018 09:46 PM (IST)
आरटीए में फिर विजिलेंस रेड, रिटायर्ड विजय कुमार से पूछताछ
आरटीए में फिर विजिलेंस रेड, रिटायर्ड विजय कुमार से पूछताछ

जागरण संवाददाता, जालंधर : डेढ़ लाख रुपये रिश्वत के मामले में फंसे एएसआइ रमेश चंद और होशियारपुर के एआरटीओ प्यारा ¨सह की गिरफ्तारी के बाद से विजिलेंस की खास नजर जालंधर के आरटीए दफ्तर के कर्मचारियों पर है। मंगलवार को विजिलेंस ने आरटीए दफ्तर में फिर रेड की। इस दौरान पिछले कई दिनों से इंतजार में बैठी विजिलेंस को सोसायटी का मुख्य कर्मचारी विजय कुमार मिल ही गया। विजय कुमार से सील हुए कमरे से रिकार्ड जब्त करने के साथ ही कई घंटे पूछताछ हुई। इससे पहले विजिलेंस विजय कुमार के ही साथ काम करने वाले दो कर्मचारियों से पूछताछ कर चुकी है।

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गौर हो कि पकड़ में आए एआरटीओ प्यारा ¨सह कई साल जालंधर में काम कर चुका है। इसीलिए विजिलेंस ने उसके कार्यकाल के दौरान बने हुए लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन का लगातार रिकार्ड उठा रही है। इधर एएसआइ रमेश चंदर के पकड़े जाने के बाद जब प्यारा ¨सह भ्रष्टाचार के मामले की साजिश में गिरफ्तार हुआ तो डीटीओ दफ्तर के कई कर्मचारी या तो गैर हाजिर हो गए थे या फिर लंबी छुट्टी पर चले गए थे। इसी के चलते जब विजिलेंस ने शुक्रवार को रेड की तो अधिकतर रिकार्ड वाले कमरों को सील कर दिया। साथ ही आधा दर्जन कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क जब्त की थी। इसके बाद सोमवार को हुई रेड में विजय कुमार के अधीन काम करने वाले दो कर्मचारियों से कई घंटे पूछताछ की गई। बातचीत में पता चला था कि विजय कुमार मंगलवार को दफ्तर ज्वाइन करेगा। इसके चलते विजिलेंस टीम मंगलवार को भी आरटीए पहुंची और विजय कुमार के सील किए कमरों से रिकार्ड के बारे में काफी देर पूछताछ की। बनाए गए लाइसेंस और जारी हुई आरसी के रिकार्ड समेत रेवेन्यू के बारे में उससे सघन पूछताछ की गई है। विजिलेंस पूछताछ को पूरी तरह गोपनीय बनाए रखना चाहती है। हालांकि दावा है कि जल्द कई बड़े खुलासे हो सकते हैं।

निजी कर्मी बनकर आया, लेकिन मोहरें लगाता रहा अपनी

विभाग के ही कर्मियों के मुताबिक विजय कुमार डीटीओ दफ्तर में जूनियर असिस्टेंट था। दो साल पहले वह रिटायर हो गया था। लेकिन इसके बाद उसने अपने ¨लक का उपयोग करते हुए ट्रांसपोर्ट वेलफेयर सोसायटी का सदस्य बनकर वापस उसी दफ्तर में आ गया। दफ्तर में वापसी के बाद वह बतौर सदस्य नहीं बल्कि अधिकारियों के सामने नियमों को दरकिनार करते हुए बतौर जूनियर असिस्टेंट ही काम करता रहा है। इसके लिए बकायदा निजी कर्मी होकर भी अपने नाम की मोहरें बनवा रखी थीं, जिसका वह सरेआम उपयोग कर रहा था। मामले को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से जब प्रकाशित किया तो विजय कुमार ने अपने पद को मोहर से हटवा लिया था।

पूरा हुआ कार्यकाल, वापसी के लिए चंडीगढ़ में तिकड़म

नाम न बताने की शर्त पर विभाग के ही कर्मचारी बताते हैं कि विजय कुमार का ट्रांसपोर्ट वेलफेयर सोसायटी से भी तीन दिन पहले कार्यकाल पूरा हो गया। लेकिन विजय कुमार अभी भी डीटीओ दफ्तर में ही रहना चाहता है। इसके लिए उसने फिर से चंडीगढ़ में अपने ¨लक से तिकड़म लगाने शुरू कर दिए हैं। हालांकि कार्यकाल बढ़ाए जाने की अभी किसी ने पुष्टि नहीं की है।


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