सेंट्रल में दावेदारों की लड़ाई, नए चेहरों ने सेंध लगाई
विधानसभा चुनाव को लेकर लगातार विभिन्न सियासी दलों में समीकरण बदल रहे हैं। चुनाव मैदान में भारतीय जनता पार्टी के खुलकर सामने आने के बाद समीकरण और तेजी के साथ बनने-बिगड़ने शुरू हो गए हैं।
मनोज त्रिपाठी, जालंधर
विधानसभा चुनाव को लेकर लगातार विभिन्न सियासी दलों में समीकरण बदल रहे हैं। चुनाव मैदान में भारतीय जनता पार्टी के खुलकर सामने आने के बाद समीकरण और तेजी के साथ बनने-बिगड़ने शुरू हो गए हैं। हिदू बाहुल्य मतदाताओं वाली जालंधर की सेंट्रल विधानसभा सीट पर इस बार सभी सियासी दल उम्मीदवारों के नए चेहरे देकर मतदाताओं को चौंका सकते हैं। इस बार अभी तक इस सीट से शिरोमणि अकाली दल ने अपने पत्ते खोलकर चंदन ग्रेवाल को मैदान में उतारकर जनसंपर्क में जरूर बढ़त बना रखी है। सेंट्रल हलके के चुनावी इतिहास में अभी तक हो चुके चुनावों में या तो कांग्रेस या फिर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार की जीत होती रही है। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोरंजन कालिया व उनके पिता पूर्व मंत्री मनमोहन कालिया ज्यादातर चुनावों में उम्मीदवार रहे हैं। अकाली-भाजपा गठबंधन के दौर में भी यह सीट भाजपा के खाते में रहती थी। कांग्रेस से इस सीट पर बीते दो चुनाव को छोड़कर बाकी के विधानसभा चुनावों में उम्मीदवार बदले जाते रहे हैं।
इस सीट पर 2012 में कांग्रेस ने राजिदर बेरी को मैदान में उतारा था। बेरी कड़े मुकाबले में 1005 वोट से कालिया से चुनाव हार गए थे। 2017 में कांग्रेस ने दोबारा बेरी को मैदान में उतारा और बेरी ने कांग्रेस की लहर के चलते 24078 वोट से जीत हासिल की थी। आम आदमी पार्टी तीसरे नंबर पर रही थी। इस बार इस सीट पर भी बाकी सीटों की तरह चार प्रमुख दलों शिरोमणि अकाली दल, भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार उतरना तय हैं। नतीजतन यह पहला चुनाव होगा जब इस सीट पर हार जीत पांच हजार से भी कम वोटों से होने की संभावना है। सभी दलों की कोशिश है कि हिदू बाहुल्य सीट होने के चलते इस सीट पर हिदू चेहरे को ही उम्मीदवार के रूप में उतारा जाए, लेकिन चेहरा कौन होगा इस पर मंथन जारी है। सेंट्रल सीट पर इस बार कई नए चेहरों ने अंदरखाते दावेदारी जता दी है। इनमें सिख चेहरे भी शामिल हैं।
--------------
कांग्रेस कर सकती है प्रयोग
कांग्रेस इस बार हमेशा की तरह प्रयोग करके नया उम्मीदवार उतार सकती है। कैप्टन अमरिदर सिंह के कांग्रेस से जाने के बाद समीकरण भी बदले हैं। नतीजतन मौजूदा कांग्रेसी विधायक राजिदर बेरी की दावेदारी कांग्रेस में सबसे सशक्त है क्योंकि बेरी कभी भी गुटबाजी नहीं फंसे, बल्कि लोगों के बीच रहे हैं। अंदरखाते कांग्रेस के प्रयोग को देखते हुए बेरी विरोधी खेमे ने नए चेहरे के साथ लाबिग शुरू कर दी है। इसकी जानकारी बेरी को भी हो चुकी है।
-------------
आप भी नए सिरे से कर रही है मंथन
उम्मीदवार को लेकर आम आदमी पार्टी भी नए सिरे से मंथन कर रही है। 2017 के चुनाव डा.संजीव शर्मा को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था, लेकिन इस बार हालात बदले नजर आ रहे हैं। हालांकि डा. संजीव ने अपने स्तर से पार्टी के प्रचार व प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ी है और महीनों पहले होर्डिंग लगवाकर प्रचार भी कर रहे हैं, लेकिन आप नए चेहरे को मैदान में उतारने पर विचार कर रही है।
-------------
भाजपा ने नहीं खोले पत्ते
भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट को लेकर अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं। इस सीट पर भाजपा के कद्दावर नेता मनोरंजन कालिया को किनारे करके किसी नए चेहरे को मैदान में उतारने से पहले भाजपा भी मंथन में जुटी है कि कहीं यह प्रयोग फेल न हो जाए। फिलहाल भाजपा के बाद सिख दावेदारों की भी कमी नहीं है। हिदू बाहुल्य सीट पर आप, कांग्रेस व अकाली दल के हिदू उम्मीदवारों की त्रिकोणीय लड़ाई में सिख चेहरे को उतारने का कितनी सफल प्रयोग होगा इस पर भाजपा सियासी पंडितों का मंथन जारी है।