निजी अस्पतालों में प्लास्टिक मनी का उपयोग 50 फीसद तक बढ़ा
जागरण संवाददाता, जालंधर : सरकारी व निजी अस्पतालों में इलाज की राह में रोड़ा बनी नोटबंदी से राहत
जागरण संवाददाता, जालंधर : सरकारी व निजी अस्पतालों में इलाज की राह में रोड़ा बनी नोटबंदी से राहत मिलने लगी है। सरकारी अस्पताल में पुराने नोट लिए जा रहे हैं लेकिन बकाया देने को लेकर छोटे नोटों की समस्या बरकरार है। वहीं, निजी अस्पतालों में प्लास्टिक मनी से लेन-देन 25 से 50 फीसद तक बढ़ा है।
टैगोर अस्पताल के एमडी डॉ. विजय महाजन ने बताया कि मंगलवार को 80 से 90 फीसद काम पटरी पर लौट आया है। चेक, क्रेडिट व डेबिट कार्ड से भुगतान करने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। चेक और कार्ड से भुगतान करने वालों की संख्या में करीब 30-30 फीसद बढ़ोतरी हुई है। इमरजेंसी में भर्ती कुछ मरीजों के घरवालों से पुराने नोट भी लिए जा रहे हैं। मरीजों को कम पैसे लेकर दाखिल करके इलाज किया जा रहा है जबकि बाकी पैसे का इंतजाम घरवाले धीरे-धीरे कर रहे हैं। अब लोग नए नोट लेकर भी आने लगे हैं, जिससे समस्या कम होने लगी है। पटेल अस्पताल के अधिकारी राजेश कुमार का कहना है कि आरबीआइ की हिदायतों के अनुसार पैसे का लेन-देन किया जा रहा है। पेमेंट को लेकर काफी हद कर परेशानी कम हो गई है। अस्पताल में कार्ड से भुगतान करने वालों में 50 फीसद तथा चेक देने वालों की संख्या में 30 फीसद तक वृद्धि हुई है।