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बस में यात्रा को लेकर उत्साहित नहीं दिखे श्रमिक, सहारनपुर के लिए मात्र 30 लोग रवाना हुए

मंगलवार को उत्तर प्रदेश के किसी रूट पर बस रवाना किए जाने संबंधी फिलहाल कोई फैसला नहीं हो पाया है। प्रशासन ने कहा यात्रियों की उपलब्धता के मद्देनजर ही बस सेवा को संचालित किया जाएगा।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Tue, 19 May 2020 01:00 PM (IST)Updated: Tue, 19 May 2020 01:00 PM (IST)
बस में यात्रा को लेकर उत्साहित नहीं दिखे श्रमिक, सहारनपुर के लिए मात्र 30 लोग रवाना हुए
बस में यात्रा को लेकर उत्साहित नहीं दिखे श्रमिक, सहारनपुर के लिए मात्र 30 लोग रवाना हुए

जालंधर, जेएनएन। राज्य सरकार की तरफ से श्रमिकों को अब बसों के जरिये भी भेजना शुरू कर दिया गया है। शहर से पहले दिन मात्र एक ही बस चली और 30 श्रमिकों को सहारनपुर भेजा गया। हालांकि रोडवेज की तरफ से सहारनपुर के लिए छह बसों का प्रबंध किया गया था। इनमें उन 200 यात्रियों को भेजा जाना था जिन्होंने सहारनपुर के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया था। श्रमिकों की भीड़ को देखते हुए ही जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश के 10 जिलों के लिए पंजाब रोडवेज की बस सेवा शुरू करने का निर्णय लिया गया था।

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सोमवार को जालंधर से सहारनपुर के लिए छह बसें चलाने की योजना तैयार की गई थी। पंजाब रोडवेज व प्रशासन की तरफ से जालंधर के शहीद ए आजम भगत सिंह इंटर स्टेट बस टर्मिनल पर इसे लेकर इंतजाम किए गए थे, लेकिन यात्री ना पहुंच पाने के चलते मात्र एक बस ही सहारनपुर के लिए रवाना की जा सकी। पंजाब रोडवेज जालंधर के जनरल मैनेजर नवराज बातिश ने छह के बजाय एक बस ही सहारनपुर के लिए रवाना होने की पुष्टि की है। बस स्टैंड पर यात्रियों के खाने-पीने की व्यवस्था भी की गई थी। यात्रियों के कम रुझान को देखते हुए मंगलवार को उत्तर प्रदेश के किसी रूट पर बस रवाना किए जाने संबंधी फिलहाल कोई फैसला नहीं हो पाया है। प्रशासन का कहना है कि यात्रियों की उपलब्धता के मद्देनजर ही बस सेवा को संचालित किया जाएगा।

श्रमिकों के फोन हुए स्वीच ऑफ, प्रशासन की दिक्कत बढ़ी

सिटी रेलवे स्टेशन से सोमवार को पांच ट्रेनों के जरिए 6000 यात्रियों को उनके गृह राज्य भेजा गया। यह ट्रेनें अररिया, पूर्निया, जौनपुर, लखनऊ और फैजाबाद के लिए रवाना हुईं। प्रत्येक ट्रेन में 1200-1200 यात्रियों को भेजा गया। प्रशासन की तरफ से अब संदेश ही नहीं फोन करके भी यात्रियों को बुलाया जा रहा है। ऐसे में समस्या यह खड़ी हो गई है कि कई श्रमिकों के फोन बंद हो चुके हैं। उसका कारण यह है कि वे कई दिनों से सड़कों पर ही डेरा जमाए हुए हैं। इन श्रमिकों से संपर्क करना प्रशासन के लिए मुश्किल हो गया है।

ट्रेन में सवार हुए मुकंद और विजय का कहना है कि उन्होंने रजिस्ट्रेशन करवाया था, पर कई दिनों से सड़कों पर होने के कारण उनका फोन फंद हो गया था। इसलिए वे स्क्रीनिंग केंद्रों के बाहर ही पूछते रहते थे। इसके साथ साथ प्रशासन की टीम में शहर के विभिन्न हिस्सों में भी फंसे हुए लोगों को उनके गृह राज्य भेजने के लिए संपर्क कर रही है। इसके अलावा स्टेशन पर दिव्यांगों को सर्कुलेटिंग एरिया तक लाने के लिए भी अब व्हीलचेयर की व्यवस्था कर ली है। 


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