मिलिए 'टरबन ट्रेवलर' अमरजीत सिंह से, 60 साल की उम्र में कार से पूरा किया 30 देशों का सफर
अमरजीत सिंह चावला ने अपने दो दोस्तों के साथ फॉर्च्यूनर में 30 देशों का सफर किया है। उन्होंने मात्र 131 दिन में 34 हजार किमी तय करने के बाद लंदन में तिरंगा फहराहा।
अमृतसर, जेएनएन। असंभव कुछ भी नहीं, बशर्ते इंसान किसी काम को पूरा करने की ठान ले। 60 वर्षीय 'टरबन ट्रेवलर' अमरजीत सिहं चावला ने कार में दिल्ली से लंदन तक का सफर पूरा कर यह बात सिद्ध कर दी है। उन्होंने 30 देशों का 34 हजार किलोमीटर का सफर तय करने के बाद लंदन में तिरंगा फहराया। अमरजीत कई बीमारियों से जूझ रहे हैं। बावजूद इसके वह कभी अपने लक्ष्य से विमुख नहीं हुए। अमृतसर पहुंचे अमरजीत सिंह ने अपनी यात्रा के अनुभव साझा किए। वह अमृतसर के रानी का बाग के रहने वाले हैं और दिल्ली के पटेल नगर में उनका कपड़ों का कारोबार है।
उन्होंने बताया कि जब वह छोटे थे तब विदेशियों को कार व मोटरसाइकिल पर सवार होकर अमृतसर व दिल्ली आते देखते थे। उन्हें देखकर मैं भी बहुत रोमांचित हो जाता था। मैं सोचता था कि एक दिन मैं भी कार पर सवार होकर विदेश जाऊंगा। तब परिवार के सदस्य यह सोचकर कुछ नहीं कहते थे कि अभी छोटा है, जब बड़ा होगा तो खुद-ब-खुद समझ जाएगा कि ये बातें निरर्थक हैं। आखिरकार 60 साल की आयु में मैंने इस ख्वाब को हकीकत में बदल दिया।
दो दोस्तों के साथ जुलाई 2018 में दिल्ली से की शुरुआत
अमरजीत बताते हैं कि अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए उन्होंने अपने दोस्तों देव वर्मा और लुकमान मलिक के साथ सलाह कर दिल्ली से लंदन की जर्नी कार से तय करने की रूपरेखा तैयार की थी। दोनों दोस्त साथ चलने को सहमत हो गए। मैंने सात देशों का वीजा अप्लाई किया था। स्वीकृति मिलने के बाद 7 जुलाई 2018 को मैंने अपनी फॉर्च्यूनर कार निकाली और दिल्ली स्थित बंगला साहिब गुरुद्वारा में माथा टेककर निकल गया। मैं नेपाल, तिब्बत, चीन, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, रूस, इंग्लैंड, स्वीडन, नार्वे, डेनमार्क, जर्मनी, नीदरलैंड, चेक रिपब्लिक, हंगरी, पोलैंड, स्लोवाकिया, ऑस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड, इटली, स्पेन, फ्रांस, बेल्जियम सहित कई देशों से गुजरा।
131 दिन में पूरी की यात्रा
अमरजीत सिंह ने बताया कि यह यात्रा पूरी करने में उन्हें 131 दिन लगे। वे रास्ते में आने वाले सभी धार्मिक स्थलों पर नतमस्तक हुए। इस दौरान विभिन्न देशों के राजनेताओं ने उनकी टीम का अभिनंदन किया। अमरजीत सिंह चावला सिख हैं। उनके साथी लुकमान मलिक राजस्थान के हनुमानगढ़ से ताल्लुक रखते हैं और मुसलमान हैं। वहीं देव वर्मा जम्मू निवासी हैं और हिंदू हैं। अलग-अलग धर्मों के इन तीन दोस्तों ने यह यात्रा जोश और जुनून से पूरी करके यह मिसाल पेश की है।
एस्टोनिया में तबीयत बिगड़ी तो लौट आए, फिर ठीक होकर पूरा किया सफर
अमरजीत को शूगर की शिकायत है। अक्सर एक टांग सुन्न हो जाती है। कोलेस्ट्रोल का लेवल भी ठीक नहीं। रोगग्रस्त होने के बावजूद उन्होंने यह साहसिक यात्रा पूरी की। वह बताते हैं कि 4 सितंबर, 2018 तक उन्होंने 17 हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी कर ली थी। फिर एस्टोनिया देश में उनकी अचानक तबीयत बिगड़ गई। एक बार तो ऐसा लगा कि उन्हें लकवा होने वाला है। वहीं ब्रेन क्लाट के लक्षण भी उभर रहे थे। मैं अपने साथियों के साथ वहां से लौटा आया। अपनी कार वहीं पार्क कर दी। भारत में ट्रीटमेंट करवाने के बाद जब मुझे फिटनेस की क्लीन चिट मिली तो मैं फिर से एस्टोनिया पहुंचा और आगे का सफर शुरू किया।
चीन में मांसाहारी भोजन के कारण रहना पड़ा भूखा
चीन में हर चीज नॉनवेजीटेरियन मिलती थी। यहां तक कि दूध व मक्खन भी याक का। इस दूध में अजीब सी गंध आती है। अमरजीत के अनुसार उन्होंने चीन में खाना ही नहीं खाया। बड़ी मुश्किल से भूख को नियंत्रित किया। चीन से निकलने के बाद एक शाकाहारी रेस्टोरेंट में भरपेट खाना खाया। इस रोमांचक यात्रा को यादगार बनाने के लिए उन्होंने रास्ते की विभिन्न लोकेशनों की वीडियोग्राफी भी की है। वह चाहते हैं कि लोग अपने सपनों को याद रखें और उन्हें जीयें। जब एक 60 साल का शख्स भी अपने अरमान पूरा कर सकते है तो कोई भी ऐसा कर सकता है।