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पटवारी के बहाने चार साल से नक्शे पास नहीं कर रहा ट्रस्ट

ट्रस्ट के एटीपी रामजीदास भाटिया ने दलील दी है कि गुरु गोबिंद ¨सह एवेन्यू योजना में 85 कनाल जगह पर ट्रस्ट अभी कॉमर्शियल बि¨ल्डग के नक्शे इसलिए पास नहीं कर रहा है क्योंकि पटवारी ने रिपोर्ट नहीं दी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 01:53 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 01:53 PM (IST)
पटवारी के बहाने चार साल से नक्शे पास नहीं कर रहा ट्रस्ट
पटवारी के बहाने चार साल से नक्शे पास नहीं कर रहा ट्रस्ट

सत्येन ओझा, जालंधर : इंप्रूवमेंट ट्रस्ट का एक और बड़ा कारनामा सामने आया है। ट्रस्ट के एटीपी रामजीदास भाटिया ने दलील दी है कि गुरु गोबिंद ¨सह एवेन्यू योजना में 85 कनाल जगह पर ट्रस्ट अभी कॉमर्शियल बि¨ल्डग के नक्शे इसलिए पास नहीं कर रहा है क्योंकि पटवारी ने रिपोर्ट नहीं दी है। पटवारी को तस्कीद करना है कि ट्रस्ट ने उपरोक्त जगह पर कोई मुआवजा नहीं दिया है। क्षेत्रीय पार्षद पति विवेक खन्ना ने 10 जनवरी, 2014 को समाचार पत्रों में इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की ओर से नक्शे पास कराने संबंधी जारी विज्ञापन ईओ सु¨रदर कुमारी को दिखाकर एटीपी की इस दलील की पोल खोल दी। उन्होंने सवाल किया कि पटवारी ने रिपोर्ट नहीं दी है तो ट्रस्ट ने सार्वजनिक रूप से नक्शे पास करने का विज्ञापन समाचार पत्रों में कैसे दे दिया? अगर पटवारी की रिपोर्ट आ चुकी है तो कारोबोरियों को क्यों परेशान किया जा रहा है।

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ईओ व चेयरमैन के हस्ताक्षर से प्रकाशित विज्ञापन को देख ईओ सु¨रदर कुमारी खुद हैरान रह गईं। एटीपी को जब ये विज्ञापन दिखाया गया तो वे बगले झांकने लगे। ईओ ने उनसे जवाब मांगा है कि इस संबंध में जल्द स्थिति स्पष्ट करें ताकि वहां पर जिन लोगों की जमीन हैं, उनके नक्शे पास किए जा सकें। बड़ा सवाल

एटीपी की इस दलील को सही मान भी लिया जाय कि अभी तक 85 कनाल जमीन को लेकर पटवारी ने रिपोर्ट नहीं दी है तो फिर सवाल उठता है कि सेंट्रल जीएसटी, बीएसएनल व अक्षरधाम मंदिर के नक्शे उसी 85 कनाल जगह में कैसे पास कर दिए गए? राहत मिली तो कारोबारियों का 20 साल का इंतजार होगा खत्म

ट्रस्ट के अधिकारियों के इस कारनामे के चलते हाईवे से सटी 85 कनाल अपनी ही जगह पर शहर के लगभग 40 के करीब कारोबारी कोई कारोबार शुरू नहीं कर पा रहे हैं। साल 1995 में गुरु गोबिंद ¨सह एवेन्यू के लिए ये जमीन अधिग्रहीत की जानी थी, जिसके चलते उपरोक्त जमीन की सेल-परचेज पर सरकार ने रोक लगा दी थी। उस समय नियम था कि हाईवे से सटा 100 मीटर को नॉन कंस्ट्रक्शन जोन रहेगा। इस नियम के तहत ट्रस्ट ने 85 कनाल अधिग्रहण से बाहर रखी, ताकि किसी को मुआवजा न देना पड़े।

यह है मामला

19 सितंबर 2007 को बाद में जालंधर के नए मास्टर प्लान में 100 मीटर नॉन कंट्रक्शन जोन को कम करके 5 मीटर कर दिया गया था। नया नियम आने के बाद ट्रस्ट ने 10 जनवरी, 2014 को समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी कर 85 कनाल क्षेत्र में बि¨ल्डग बनाने वालों से बि¨ल्डग के नक्शे पास कराने के लिए आवेदन मांगे थे। विज्ञापन में कहा गया था कि हाईवे से 5 मीटर क्षेत्र छोड़कर बि¨ल्डग के नक्शे पास किए जा सकेंगे। विज्ञापन जारी करने के बावजूद ट्रस्ट के अधिकारी कारोबारियों के नक्शे पास नहीं करने के बजाय उन्हें बहाने बनाकर टालमटोल कर रहे हैं।

भरेगा खजाना

ट्रस्ट अगर अपने ही आदेश पर अमल करके नक्शे पास करना शुरू कर दे तो सीएलयू व नक्शा फीस से ही ट्रस्ट को 20 करोड़ से ज्यादा आय हो सकती है। इसके बावजूद अधिकारी अपने ही आदेश पर कुंडली मार कर बैठे हैं। मिलेगी बड़ी राहत

युवा कारोबारी पुनीत जैन, नेशनल स्टील के मनप्रीत ¨सह, दोआबा स्टील के एमपी ¨सह, अरोरा मोटर्स के जो¨गदर अरोड़ा, रा¨जदरा कोच इंडस्ट्रीज के जसबीर ¨सह, रागा मोटर्स के रमनवीर हांडा आदि का कहना है कि अगर ट्रस्ट इस फैसले पर अमल करती है तो उन्हें बड़ी राहत मिलेगी, 20 साल से वे इस फैसले का इंतजार कर रहे हैं।


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