साप का शिकार बने लोगों का दानी सज्जनों की मदद से हो रहा इलाज
बरसात की दस्तक के साथ ही साप बिलों से निकल लोगों के घरों में घुसने लगते है और लोग इनका निशाना बनते है।
जगदीश कुमार, जालंधर : बरसात की दस्तक के साथ ही साप बिलों से निकल लोगों के घरों में घुसने लगते है और लोग इनका निशाना बनते है। जुलाई में साप के डंसने से मरीजों का ग्राफ तेजी से बढ़ा और एंटी स्नेक टीकों का स्टाक सेहत विभाग से खाते से खत्म हो गया। इलाज के लिए आने वाले मरीजों का इलाज दानी सज्जनों या फिर सिविल अस्पताल की जेब से चल रहे है। इस साल जून माह तक सिविल अस्पताल में 47 मरीज साप डसंने के बाद इलाज के पहुंचे, जबकि जुलाई माह में ही मरीजों की संख्या 53 तक पहुंच गई है।
गुरु अमरदास नगर बस्ती बावा खेल रहने वाले दीपक (18) रात को घर में सो रहे थे। उनके पेट के साप ने डंस लिया। जब उसने उठकर देखा तो काले रंग का साप तेजी से कमरे से बाहर निकल गया। उसने तुरंत घर वालों को बताया और सिविल अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में पंहुच गए। गाव हजारा के रहने वाले सुमित मेहतो (32) घर में सो रहा था। बउदवार को देर रात साप उनके पेट पर चढ़ कर बैठ गया। उसे अजीब सा महसूस हुआ। उसने आनन-फानन में मोबाइल की लाइट जलाई तो साप देखते ही होश उड़ गए। उसे हाथ से पकड़ कर फैंका तो उसने उंगली पर डंस लिया। इसके बाद अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे।
महिलाओं को कम डंसते है साप
जिला एपीडिमोलािजस्ट डॉ. सतीश कुमार का कहना है कि सर्पदंश शहरों के मुकाबले गाव वालों को अधिक भुगतना पड़ता है। इनका अनुपात 1:4.7 है। साप 4.25 पुरुषों के मुकाबले एक महिला को डंक मारता है। अमेरिकन सोसायटी आफ ट्रोपिकल मेडिसन एंड हाईजिन की रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर साल 2.5 लाख के करीब लोगों को साप डंसते है और तकरीबन 46 हजार मौतें हो रही है, जबकि अधिकारिक तौर पर इनकी संख्या महज 2 हजार है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में हर साल 5 मिलियन लोग साप के डंक की गिरफ्त में आते है। इनमें से एक लाख की मौत और 3 लाख हमेशा के लिए अपाहिज हो जाते है। साप की 50 प्रजातिया खतरनाक
वाइल्ड लाइफ विभाग के रेंज अधिकारी सतपाल सिंह के अनुसार देश में 230 प्रजातियों के साप पाए जाते हैं जिसमें से 50 साप जहरीले होते हैं। इनमें से 6 प्रजातियों के सापों की स्नैक प्वाजिनिंग की पुष्टि हो चुकी है। इस रीजन में कोबरा और करैत प्रजाति के साप ज्यादा है। इनके डंसने के मामले ज्यादा सामने आ रहे है। कोबरा से करैत अधिक जहरीला है। उन्होंने बरसात के दिनों में लोगों को जमीन पर सोने से परहेज करने की बात कही है।
साप के डंसने से मुआवजे से दूर मरीज
पंजाब सरकार ने साप से डंसने से मौत के बाद परिजनों को एक लाख, अंग विहिन पर होने पर 20 हजार रुपये व इलाज के लिए 5 हजार रुपए मुआवजे की अधिसूचना जारी हो चुकी है। अकाली भाजपा सरकार ने साल 2011 में अधिसूचना जारी की थी, जो 1 अप्रेल 2012 से प्रभावी है। कितने लोगों को इसका लाभ पहुंचा इसका सेहत विभाग के पास लेखा जोखा नही है।
लोकल परचेज कर रहे हैं टीके
सिविल अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. केएस बावा ने बताया कि सेहत विभाग के ड्रग डिपो में डिमाड भेजी है। स्टाक में न होने की वजह से सप्लाई नही मिल सकी। मरीजों के इलाज के लिए एंटी स्नेक टीकें अस्पताल के खचर्ें से लोकल परचेज कर रहे है। 80 के करीब टीके कुछ दानी सज्जन भी दे गए थे। मरीजों के इलाज में किसी भी तरह से समस्या नही आ रही है। रोजाना 10-15 टीकों की खपत हो रही हैं। ट्रोमा सेंटर में मरीजों की सुरक्षा के लिए वेंटीलेटरों का भी इंतजाम है। अस्पताल में इलाज की मुफ्त सेवाएं दी जा रही है। उधर, एंटी स्नेक टीके बिक्त्री करने वाले नरिंदर सहगल का कहना है है कि तीन-चार कंपनिया टीकें तैयार कर रही है और मार्केट में इसकी कमी नही है। साल 2017
साप के डंसे मरीज 170
मौत 12 साल 2018
जनवरी 03
फरवरी 01
मार्च 04
अप्रैल 04
मई 04
जून 27
जुलाई 53
कुल 96
मौतें 02 हमेशा रखे याद
-व्यक्ति को लिटाएं तथा हिलने-डुलने न दें।
-जख्म को साबुन व पानी से धोएं।
-डसा भाग रंग बदले तो समझें साप जहरीला है।
-मरीज का तापमान, नब्ज, सास की गति और रक्तचाप का ध्यान रखे।
- साप के जहर का प्रभाव 15 मिनट से 12 घटे के अंतर शुरू होता है।
-आधे घटे तक उपचार तक नहीं पहुंचे तो डंसे हुए भाग के ऊपर दो से चार इंच की बैंडेज की पट्टी बाटे। ताकि जहर का प्रवाह आगे न बढ़े।
-काटे हुए भाग में बर्फ न लगाएं।
-झाड़ फूंक और तात्रिकों से गुरेज करें।