क्या आप जानते हैं, जालंधर में पैदा हुई हैं ये दस मशहूर शख्सियतें
देश-विदेश में मशहूर कई ऐसी शख्सियतें हैं जिनका जन्म जालंधर शहर में हुआ है। लोकिप्रिय आरती ओम जय जगदीश हरे के रचयिता पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी, बुजुर्ग धावक फौजा सिंह और पाकिस्तान के जनरल जिया उल हक इनमें शामिल है।
जेएनएन, जालंधर: चक दे फट्टे, नप दे गिल्ली, सुबह जालंधर, शाम नू दिल्ली। जालंधर केवल पूर्व क्रिकेटर और मौजूदा स्थानीय निकाय मंत्री पंजाब नवजोत सिंह सिद्धू के इस जुमले के कारण ही प्रसिद्ध नहीं है। इसे हैंड टूल्स, कॉक्स और वाल्व्स, खेल उत्पादों के निर्माण के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। शहर बड़ा मेडिकल हब भी है। इसे एशिया में सबसे ज्यादा अस्पतालों वाले शहर के रूप में पहचान मिली है। आज हम आपका परिचय कराएंगे जालंधर में पैदा हुई उन 10 शख्सियतों से जिन्होंने शहर में जन्म लिया और साहित्य, कला, विज्ञान, ज्योतिष से लेकर खेल क्षेत्र में प्रसिद्धि पाई।
पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी
इनका जन्म फिल्लौर कस्बे में वर्ष 1837 में हुआ था। इन्हें पंजाबी, हिंदी और संस्कृत साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए याद किया जाता है। पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी की लिखी लोकप्रिय आरती 'ओम जय जगदीश हरे... आज पूरे भारत में घर-घर गाई जाती है। 1888 में प्रकाशित इनके उपन्यास भाग्यवती को हिंदी का पहला उपन्यास माना जाता है। गुरुमुखी में लिखी इनकी दो पुस्तकें-सिखां दे राज दी विधियां और पंजाबी बातचीत बहुत प्रसिद्ध हैं। पंजाबी बातचीत आज भी स्कूलों में पढ़ाई जाती है।
जनरल ज़िया उल हक
पाकिस्तान के सैन्य शासक रहे जनरल मो. ज़िया उल हक का जन्म भी जालंधर में वर्ष 1924 को हुआ था। जनरल जिया ने वर्ष 1977 में पाकिस्तान में मार्शल लॉ लगा दिया था। उन्हें तत्कालीन पाकिस्तानी प्रंधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी पर चढ़वाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। 1988 में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत से पहले वह दस वर्ष तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे। उन्हें पाकिस्तान में कट्टर इस्लाम को बढ़ावा देने के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है।
हफीज जालंधरी
पाकिस्तान के राष्ट्रीय गान के रचयिता हफीज जालंधरी का जन्म भी जालंधर में वर्ष 1900 में हुआ था। आजादी के बाद कई वर्षों तक पाकिस्तान का अपना राष्ट्र गान नहीं था। इस दौरान प्रमुख अवसरों पर केवल राष्ट्रगान की धुन बजती थी। 1955 में हाफिज जालंधरी के लिखे तराने, पाक सरजमीं... को पाकिस्तान के राष्ट्रगान के तौर पर आधिकारिक रूप से अपनाया गया। उनके योगदान के लिए उन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान हिलाल-ए-इम्तियाज से नवाजा गया था।
फतेह अली खान
प्रसिद्ध कव्वाली गायक फतेह अली खान का जन्म भी जालंधर के बस्ती शेख क्षेत्र में वर्ष 1901 में हुआ था। इन्हें पाकिस्तान में कव्वाली के अगुआ के तौर पर जाना जाता है। अपने भाई मुबारक अली के साथ गाकर इन्होंने देश-विदेश में कव्वाली को प्रसिद्धि दिलाई। इनके बेटे नुसरत फतेह अली खान भी प्रसिद्ध कव्वाली सिंगर रहे।
फौजा सिंह
100 वर्ष की उम्र में मैराथन दौड़ने वाले ब्रिटिश नागरिक फौजा सिंह का जन्म वर्ष 1911 में जालंधर के ब्यास पिंड में हुआ था। बचपन में वह पांच वर्ष तक की उम्र तक ठीक से चल नहीं पाते थे। उनके दोस्त उन्हें डंडा कहकर चिढ़ाते थे। टर्बांड टोरनैडो नाम से इनकी जीवनी पर किताब प्रख्यात लेखक खुशवंत सिंह ने लिखी थी।
हंस राज हंस
गांव शफीपुर में जन्में हंस राज हंस को पंजाबी लोकगीतों और सूफी कलामों के लिए जाना जाता है। गायन और संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें केंद्र सरकार उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा है । वर्तमान में हंस राज हंस भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं और राष्ट्रीय सफाई मजदूर आयोग के चेयरमैन हैं।
लार्ड स्वराज पाल
ब्रिटेन के जाने-माने उद्योगपति और राजनीतिज्ञ लार्ड स्वराज पॉल का जन्म भी जालंधर में वर्ष 1931 में हुआ था। आज भी शहर में इनके परिवार से संबंधित एपीजे कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स और एपीजे स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय उन्हें नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित कर चुकी हैं। भारत सरकार ने भी इन्हें पद्मभूषण से पुरस्कृत किया है।
हरभजन सिंह
जालंधर मशहूर क्रिकेटर हरभजन सिंह का भी घर है। वे 2001 में आस्ट्रेलिया के साथ बार्डर गावस्कर ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करके सुर्खियों में आए थे। इन्होंने भारत की ओर से 103 टेस्ट मैच और 236 एकदिवसीय मैच खेले हैं। मैदान में ऑस्ट्रलिया के विरुद्ध आक्रामक रवैये कारण इन्हें काफी प्रसिद्धि मिली।
नवतेज सरना
डिप्लोमैट और लेखक। अमेरिका में मौजूदा भारतीय राजदूत नवतेज सरना का जन्म शहर के एक साहित्यक घराने में हुआ था। उनके पिता मोहिंदर सिंह सरना पंजाबी के बड़े लेखकों में हैं। मां सुरजीत सरना भी पंजाबी कवियत्री हैं। नवतेज़ भी कई पुस्तकें लिख चुके हैं। सबसे लंबे समय तक विदेश मंत्रालय का प्रवक्ता होने का रिकार्ड भी इन्हीं के नाम है।
अजीत पाल सिंह
भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रहे अजीत पाल सिंह का जन्म जालंधर के संसारपुर में हुआ था। संसारपुर कस्बे को आज भी हॉकी खिलाड़ियों की नर्सरी माना जाता है। ये 1975 में क्वालालंपुर, मलेशिया में हॉकी विश्व कप में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के कैप्टन थे। खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अजीत पाल सिंह को केंद्र सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा है।