पंजाब की धरती पर दुनिया का अभिनव प्रयोग, जमीन में दबाया गया अनोखा टाइम कैप्सूल
पंजाब की धरती में दुनिया का अभिनव प्रयोग किया गया है। जालंधर में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के दौरान आज के खास उपकरणों वाला टाइम कैप्सूल जमीन में दबाया गया।
जालंधर,जेएनएन। आने वाली पीढ़ी सौ साल बाद भी आज इस्तेमाल होने वाले उपकरण देख पाएगी। वर्तमान की साइंस एवं टेक्नोलॉजी को सहेजने के लिए जालंधर की लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) में चल रही नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिकों ने अत्याधुनिक तकनीक के प्रतीक 100 उपकरणों से तैयार किए टाइम कैप्सूल को एलपीयू परिसर स्थित में जमीन के अंदर दबाया। इसे 100 साल बाद जमीन से निकाला जाएगा। दुनिया में ये अपने प्रकार का पहला ऐसा अनोखा प्रयोग है।
सौ साल बाद भी देखे जा सकेंगे आज के उपकरण, जमीन दबाए गए इनके मॉडल
106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के दूसरे दिन वैज्ञानिकों ने इस कैप्सूल काे जमीन में दबाया। 100 साल बाद 3 जनवरी 2119 को जब ये टाइम कैप्सूल जमीन से बाहर निकाला जाएगा, तब उस समय की पीढ़ी को वर्तमान में प्रयोग होने वाली टेक्नोलॉजी का पता चला सकेगा। टाइम कैप्सूल में भारतीय वैज्ञानिकों की ओर से विकसित की गई साइंस व टेक्नोलॉजी के प्रतीक मंगलयान, ब्रह्मोस मिसाइल व तेजस फाइटर जेट विमानों के मॉडल भी रखे गए हैं।
स्मृति पट्टिका का लोकार्पण करते नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक व एलपीयू के चांसलर अशोक मित्तल आदि।
जमीन के अंदर 10 फीट गहराई में दफन उपकरण आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाएंगे वर्तमान साइंस व टेक्नोलॉजी
कैप्सूल को धरती में 10 फीट की गहराई तक दबाया गया है। नोबेल पुरस्कार विजेता बॉयो केमिस्ट अवराम हर्षको, अमेरिकन फिजिसिस्ट डंकन हालडेन व बॉयो केमिस्ट थॉमस सुडोफ के बटन दबाते ही टाइम कैप्सूल धरती में समा गया।
कैप्सूल में मंगलयान, ब्रह्मोस मिसाइल, तेजस फाइटर विमान के मॉडल भी रखे
टाइम कैप्सूल में रोजमर्रा में प्रयोग होने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लैंडलाइन टेलीफोन, स्मार्ट फोन, स्टीरियो प्लेयर, स्टॉप वॉच, वेइंग मशीन, वॉटर पंप, हेड फोंस, हैंडी कैम, पेन ड्राइव, कंप्यूटर पाट्र्स जैसे हार्ड डिस्क, माउस, मदर बोर्ड व वैज्ञानिक उपकरण रियोस्टेट, रिफ्रेकट्रोस्कॉप व डबल माइक्रोस्कोप आदि रखे गए हैं। इसमें रखे गए कुछ और उत्पादों में सोलर सेल व एक नवीनतम डॉक्यूमेंट्री व मूवी युक्त हार्ड डिस्क भी शामिल हैं।
आने वाली पीढ़ी आश्चर्यचकित रह जाएगी: मित्तल
एलपीयू के चांसलर अशोक मित्तल ने कहा कि पहले टेक्नोलॉजी बदलने में काफी वर्ष लगते थे, लेकिन अब हर दिन नई टेक्नोलॉजी आ रही है। नई तकनीक कुछ ही वर्षो में हमारे जीवन से जुड़ जाती है। टाइम कैप्सूल में आज की उन सभी तकनीक व उनके प्रति जानकारियों को समेटा गया है। उन्हें विश्वास है कि ये चीजें सौ साल बाद आने वाली पीढ़ी को आश्चर्यचकित कर देंगी। ये वस्तुएं उनके लिए गौरवपूर्ण सिद्ध होंगी जब इन्हें 100 वर्ष बाद निकाला जाएगा।
25 विद्यार्थियों ने तैयार किया कैप्सूल
टाइम कैप्सूल बनाने में एलपीयू के इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल, फैशन, एग्रीकल्चर, डिजाइन, कंप्यूटर आदि विभागों के 25 से अधिक विद्यार्थियों ने तैयार किया है। जो चीजें इस कैप्सूल में रखी गई हैं, उनका चयन लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों के बीच आंतरिक मतदान से किया गया है।