इस 'रावण' को भी है दशहरा न मनाने का मलाल
कोरोना महामारी के चलते इस बार दशहरा न मना पाने का मलाल केवल राम भक्तों को ही नहीं रावण बने कलाकारों को भी है।
जागरण संवाददाता, जालंधर
कोरोना महामारी के चलते इस बार दशहरा न मना पाने का मलाल केवल राम भक्तों को ही नहीं, बल्कि रावण बनने वाले कलाकारों को भी है। रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले दहन करने को लेकर जितना उत्साह राम भक्तों में होता है, उतना ही शहर के 'रावण' में भी रहता है। दशहरा पर निकलने वाली शोभायात्रा तथा ग्राउंड में युद्ध करने वाले इस रावण को प्रभु श्रीराम के हाथों मरने का इंतजार वर्षभर रहता है। बात चल रही है बैंक आफ बड़ौदा में कार्यरत योगेश आनंद की, जिन्होंने 38 वर्ष लगातार रावण की भूमिका निभाते हुए परंपरा को कायम रखा है। इस बार शहर में व्यापक स्तर पर दशहरा न मनाने का उन्हें मलाल है।
योगेश आनंद बताते हैं कि रावण की भूमिका निभाने को वह अपना सौभाग्य मानते हैं। कारण, ब्रह्मांड में सबसे बड़े ब्राह्माण के रूप में रावण बनकर उन्हें खुद पर गौरव महसूस होता है। दूसरा प्रभु श्रीराम के हाथों प्राण त्याग कर मोक्ष की प्राप्ति का अहसास भी होता है। यही कारण है कि वह हर वर्ष रावण की भूमिका की ही मांग रखते हैं। योगेश से अधिक रावण के नाम से जानते हैं लोग
बैंक में कार्यरत योगेश आनंद को लोग उनके नाम से अधिक रावण के नाम से जानते हैं। यहां तक कि उनके नजदीकी व उन्हें जानने वाले उनका नाम अपने मोबाइल में योगेश की जगह रावण के नाम पर सेव किया हुआ है। खुद से जुड़ी रोचक बात बताते हुए उन्होंने कहा कि एक बार शादी का निमंत्रण आया तो उस कार्ड पर भी रावण लिखा था। इस पर उन्होंने आपत्ति नहीं गर्व महसूस किया। कलाकारों को खुद करते हैं तैयार
योगेश आनंद बताते हैं कि रामलीला में केवल रावण की भूमिका ही नहीं निभाते, बल्कि कलाकारों को भी खुद तैयार करते हैं। सभी कलाकारों के तैयार होने के बाद वह खुद तैयार होते हैं। इसके लिए दिन भर सेवाएं देते हैं। इस बार घर में काटेंगे केक
इस बार शहर में दशहरा न मनाने के चलते योगेश ने घर में ही इसे सेलिब्रेट करने की योजना बनाई है। वह इस दिन प्रभु श्रीराम की पूजा करने के बाद केक काटेंगे, जिसे सभी में वितरित किया जाएगा।