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पांच पूर्व प्रधानों को पटखनी देकर सुशील शर्मा यूं बने भाजपा के नए जिला प्रधान

दिसंबर 2019 तक प्रधान तय कर दिया जाना था तब सुशील दौड़ में नहीं थे। हालांकि पंजाब भाजपा की टीम फाइनल होने के बाद वह सबके पसंदीदा बन कर उभरे।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 09:08 AM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 09:08 AM (IST)
पांच पूर्व प्रधानों को पटखनी देकर सुशील शर्मा यूं बने भाजपा के नए जिला प्रधान
पांच पूर्व प्रधानों को पटखनी देकर सुशील शर्मा यूं बने भाजपा के नए जिला प्रधान

जालंधर, जेएनएन। नगर निगम में भाजपा पार्षद दल के डिप्टी नेता सुशील शर्मा को जिला भाजपा जालंधर शहरी का प्रधान नियुक्त किया गया है। साफ-सुथरी छवि वाले एडवोकेट सुशील शर्मा ने अपना राजनीतिक करियर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरू किया था। विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने ऐसे व्यक्ति को जिम्मेदारी दी है जो पार्टी की विचारधारा से परिचित तो है ही, उस पर काम भी कर रहा है। जिला भाजपा अध्यक्ष पद के लिए सुशील शर्मा का नाम आसानी से फाइनल नहीं हुआ है।

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प्रधान पद दिसंबर 2019 तक तय कर दिया जाना था लेकिन सहमति न बनने के कारण मामला लटक गया था। तब सुशील शर्मा इस दौड़ में नहीं थे लेकिन पंजाब भाजपा की टीम फाइनल होने के बाद समीकरण तेजी से बदलने लगे और वह सबके पसंदीदा बन कर उभरे। सुशील शर्मा की प्रधानगी को शहरी भाजपा की राजनीति में अहम मोड़ माना जा रहा है। इसे दूर की राजनीति के रूप में देखा जा रहा है। आने वाले समय में भजापा की चुनावी राजनीति में भी बड़ा बदलाव होने की अटकलें लगाई जा रही हैं।

पांच पूर्व जिला प्रधानों समेत 19 दावेदार थे मैदान में

शहरी प्रधान पद के लिए 10 बड़े दावेदार मैदान में डटे हुए थे। इनमें पांच पूर्व जिला प्रधान भी शामिल थे जोकि विधानसभा चुनाव से पहले प्रधान पद पर काबिज होने के लिए कई महीनों से लॉङ्क्षबग कर रहे थे।सुशील शर्मा को बड़े नेताओं, पार्टी पदाधिकारियों और संघ का समर्थन भी हासिल रहा। इसी के दम पर उन्होंने मौजूदा जिला प्रधान रमन पब्बी, पूर्व प्रधान रमेश शर्मा, शिव दयाल चुघ, रवि महेंद्रू, सुभाष सूद के साथ ङ्क्षमटा कोछड़, राजीव ढींगरा, पुनीत शुक्ला, अजय जोशी, अनिल सच्चर जैसे नेताओं को पछाड़ कर यह पद पाया है। रमेश शर्मा, राजीव ढींगरा और ङ्क्षमटा कोछड़ के नाम पर भी आखिर तक चर्चा चलती रही। यह सभी मजबूत दावेदार थे लेकिन आखिर में बाजी सुशील शर्मा के हाथ लगी। दो दिन पहले सुशील शर्मा के नाम पर सहमति बन गई थी जिसके बाद सुशील शर्मा ने सभी बड़े नेताओं से मुलाकात करके समर्थन के लिए आभार जताया था।

सुभाष शर्मा की भूमिका अहम रही

पंजाब भाजपा के महासचिव नियुक्त किए गए सुभाष शर्मा कि सुशील शर्मा की नियुक्ति में अहम भूमिका है। सुभाष शर्मा के जालंधर का इंचार्ज नियुक्त होने के बाद से ही सुशील शर्मा के इर्द-गिर्द राजनीति तेज हो गई थी। सुभाष शर्मा और सुशील शर्मा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के समय से ही एक साथ काम कर रहे हैं और दोनों में अच्छी ट्यूनिंग है। सुभाष शर्मा के प्रभारी बनने के बाद से ही सुशील शर्मा के अध्यक्ष बनने की संभावना तेज हो गई थी।

नए प्रधान के लिए चुनौतियां भी बेशुमार

भाजपा के नए प्रधान के लिए आने वाले समय में चुनौतियां भी बड़ी हैं। सुशील शर्मा के लिए पार्टी की गुटबंदी को खत्म करना सबसे बड़ी चुनौती है। पार्टी पर सीनियर नेताओं का दबदबा भी है। इन सभी को साथ लेकर भी चलना होगा और नई लीडरशिप को भी खड़ा करना होगा। अकाली दल के नेताओं से तालमेल बैठाना होगा। साढ़े तीन साल से राज्य में कांग्रेस की सरकार है और कई मुद्दों को लेकर जनता में नाराजगी है। इस नाराजगी को हथियार बना कर आक्रामक लड़ाई लडऩी होगी। 10 साल तक अकाली-भजपा सरकार के समय जो अविश्वास जनता के मन में घर कर गया था, उसे विश्वास में बदलने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। सुशील शर्मा खुद पार्षद हैं और जनता से जुड़े मुद्दों को बेहतर ढंग से समझते हैं और इसका उन्हें फायदा रहेगा। 


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