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पठानकोट को जाते इन तीन रास्तों पर न जाएं... बह गया पुल और चुनाव में किए वादे

पठानकोट में पुलियां विकास के दावों की पोल खोल रही हैं। बरसात होते ही ये डूब जाती हैं। बारिश खत्म होते ही इसके एक तरफ सांकेतिक बोर्ड के रूप में कुछ पत्थर रख दिए जाते हैं ताकि लोगों को पता चल सके कि इस तरफ न जाएं आगे खतरा है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 01:55 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 01:59 PM (IST)
पठानकोट को जाते इन तीन रास्तों पर न जाएं... बह गया पुल और चुनाव में किए वादे
खानपुर से सुजानपुर को जाने वाली रोड के बीच बनाया गया पुल बारिश के कारण बह गया।

जासं, पठानकोट। गांव को शहर से जोड़ने वाली पुलियां (छोटे पुल) क्षेत्र में विकास के दावों की पोल खोल रही हैं। बरसात होते ही ये डूब जाती हैं। बारिश खत्म होते ही इसके एक तरफ सांकेतिक बोर्ड के रूप में कुछ पत्थर रख दिए जाते हैं, ताकि लोगों को पता चल सके कि इस तरफ न जाएं, आगे खतरा है। नाले पर बनाया गया पुल भी तेज बहाव के कारण बह जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों से आने जाने वाले लोगों को करीब डेढ़ से दो किलोमीटर घूम कर शहर आने को विवश होना पड़ता है। शहर की तीन पुलियां हमें चुनाव की तीन कहानियां बताने के लिए काफी हैं। समस्या, वादे और फिर समस्या यह केवल राजनीति का ही हिस्सा नहीं है।

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बह चुकी है खानपुर-सुजानपुर रोड पर बनी पुली: खानपुर से सुजानपुर को जाने वाली रोड के बीच बनाया गया पुल चार माह पहले तेज बहाव के कारण बह गया था। यह रोड करीब दस साल पहले बनाया गया था। यह भी एक काजवे है। इसके उपर से बरसाती पानी तेज गति में बहता है। बरसात होने पर आवागमन पूरी तरह से बंद हो जाता था। बारिश खत्म होते ही दोबारा से लोग आने जाने लगते हैं। इसपर भी करीब 12 फुट चौड़ी पुली बनाई गई थी। इससे होकर आवागमन इस समय पूरी तरह से बंद है। लोग पुल बनने का इंतजार कर रहे हैं। यह हमें बता रहा है कि चुनाव का वादा भी कुछ इसी प्रकार का होता है। 

खानपुर से सुजानपुर को जाने वाली रोड के बीच बनाया गया पुल बारिश के कारण बह गया। जागरण

घोषणा पत्र: चुनाव आया तो 'नींवपत्थर' रख दिया

बारिश में डूब जाता है खड्डी पुल नंबर एक: इसे काजवे कहा जा सकता है। यह बारिश के दिनों मेंं पूरी तरह से डूब जाता है। इस पर एक से डेढ़ फुट ऊपर से पानी बहता है। बारिश के बाद दोबारा से रोड पर आवागमन शुरू हो जाता है। करीब 12 फीट चौड़ी रोड पर सेफ्टी वाल तक नहीं है। इससे हमेशा यहां दुर्घटना होने का खतरा सताता रहता है। इसलिए आसपास के लोगों ने इस समय एक तरफ कुछ पत्थर रखे हुए हैं, ताकि लोगों को पता चल सके कि इधर न जाएं खतरा है। राजनीति की नजर से देखे तो यह बता रहा है कि चुनाव आने वाला है। नींवपत्थर हम रख रहे हैं।

लीमीनी कालेज के पास बनाया गया खड्डी पुल नंबर एक पर बचाव के लिए रखा गया पत्थर। जागरण

भ्रम: पुल डूब गया, चुनाव में सोच समझकर फैसला लें

विकल्प नहीं था लोगों ने इसे चलने लायक बनाया: खड्डी पुल नंबर दो के ऊपर से बह रहा पानी। इससे पता नहीं चल रहा कि यहां पर कोई पुल भी होगा। यह अकसर होता है। बारिश होते ही यह पूरी तरह से ढक जाता है। यह किसी खतरे से खाली नहीं। कई बार इस जगह पर दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इस कारण कुछ दिन पहले इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। पुल को उखाड़ दिया गया था, ताकि आवागमन न हो सके, लेकिन लोगों के पास कोई अन्य रोड का विकल्प नहीं था। इस कारण उन्होंने खुद ईंट पत्थर डालकर इसे चलने लायक बना लिया। यह पुल हमें बता रहा है कि चुनाव में सोच समझ कर फैसला लें।


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