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कमजोर सेहत विभाग, 16 साल में भ्रूण लिंग जाच मामले में एक को भी नहीं हुई सजा

एशिया में अस्पतालों की सबसे बड़ी नगरी की पहचान रखने वाले जिला जालंधर में कोख में पल रहे भ्रूण लंग जाचने करने वाले सेहत विभाग की पकड़ से कोसों दूर है। कुमार का कलंक लगाने वाले डॉक्टरों तक सेहत विभाग के हाथ नही पहुंच सके।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 05:18 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 05:18 PM (IST)
कमजोर सेहत विभाग, 16 साल में भ्रूण लिंग जाच मामले में एक को भी नहीं हुई सजा
कमजोर सेहत विभाग, 16 साल में भ्रूण लिंग जाच मामले में एक को भी नहीं हुई सजा

जगदीश कुमार, जालंधर : एशिया में अस्पतालों की सबसे बड़ी नगरी की पहचान रखने वाले जिला जालंधर में कोख में पल रहे भ्रूण लंग जाचने करने वाले सेहत विभाग की पकड़ से कोसों दूर है। कुमार का कलंक लगाने वाले डॉक्टरों तक सेहत विभाग के हाथ नही पहुंच सके। सेहत विभाग लिंग जाच करने वालों को अदालत में भी सजा दिलावाने में फिसिड्डी साबित हुआ है पिछले 16 में सेहत विभाग अदालत में एक भी डॉक्टर के खिलाफ आरोप साबित नही कर पाया नतीजतन लिंग जाच करने वालों के हौसले बुलंद होते गए। इसी वजह से जिले में लिंग अनुपात में उतार चढ़ाव का सिलसिला जारी रहा।

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सेहत विभाग पिछले करीब डेढ़ दशक में पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत अदालत में 11 केस ही दायर कर पाया। खास बात यह है कि साल 2012 के बाद जिला जालंधर में अल्ट्रा साउंड स्कैनिंग सेंटरों में पीसी पीएनडीटी एक्ट की किसी ने भी उलंघना नही की और किसी के खिलाफ मामला दर्ज नही हुआ। 16 साल में कोख में भ्रूण जाच करने के तीन मामले सामने आए इनमें से दो बरी हो गए और एक केंस पेंडिंग पड़ा है। हाल ही में सेहत विभाग के नाक के तले कोख में भ्रूण के लिंग की जाचभा का सिलिसला चलता रहा और सेहत विभाग कुंभकरणी नींद सो रहा था सेहत विभाग अंबाला ने भोगपुर में लिंग जाच का पर्दा फाश किया।

सेहत विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सरकार की ओर से सख्ती करने के बाद 2002 में 4 डाक्टरों को कटघरे में खड़ा किया गया था। 2003 में दो मामले ही अदालत में पहंचे। इसके बाद 2005 में भ्रूण जाच करने के आरोप में पहला मामला अदालत में पहुंचा और उसमें भी सेहत विभाग मार खा गया और डाक्टर बरी हो गया। इसके बाद 2007 और 2008 में एक-एक मामला अदालत में रखा गया था। सेहत विभाग के डायरेक्टर फेमिली प्लानिंग डॉ. नरेश कासरा का कहना है कि केस सही ढंग से अदालत में पेश किया जाते है। कई बार आरोपी और गवाहों की मिली भगत के चलते कमजोर जाते है। विभाग की ओर सभी तथ्यों को मजबूत बनाने के लिए वर्कशाप करवाई जाएगी। लिंग अनुपात

साल अनुपात

2016 909

2017 863

2018 916

मातृ मृत्यु दर 120.5

बाल मृत्यु दर 14.70

तिथि अस्पताल आरोप फैसला

14 मार्च 2002 डॉ. आरपी सिंह सुमित अस्पताल जंडियाला अनरिजस्टर्ड सेंटर आरोपित की मौत के बाद केस बंद

24 जुलाई 2002 डॉ. गुरप्रीत घई, घई अस्पताल फिल्लोर पीसी पीएनडीटीएक्ट की उल्लंघना बरी

19 अगस्त 2002 गुरु नानक अस्पताल भोगपुर अनरिजस्टर्ड सेंटर बरी

16 अगस्त 2002 डॉ. संतोख सिंह गुरु तेग बहादुर अस्पताल अनरिजस्टर्ड सेंटर 3 साल की सजा 9 हजार रुपए जुर्माना

5 मार्च 2003 डॉ. आरके शर्मा, शर्मा अल्ट्रा साउंड स्कैनिंग सेंटर कपूरथला चौक पीसी पीएनडीटीएक्ट की उलंघना बरी

31 मार्च 2003 डॉ. जगदीश सिंह औलख औलख अस्पताल कठार विज्ञापन देने का आरोप 2 साल सजा 5 हजार रुपए जुर्माना

2005 हरजिंदर कौर बेदी शरणजीत अस्पताल भ्रूण जाच बरी

14 जून 2007 डॉ. हरजीत सिंह कंग बाघा अस्पताल जालंधर भ्रूण जाच निचली अदालत ने सजा दी उच्च अदालत ने बरी किया

1 फरवरी 2008 वरिश कुमार, वरदान अस्पताल भ्रूण जाच पेंडिंग

2008 नरेश कुमार, नरेश अस्पताल शाहकोट भ्रूण जाच बरी

16 जुलाई 2012 डॉ. हरजिन्दर कौर कुमार मेटरनिटी एंड स्कैनिंग सेंटर पीसी पीएनडीटीएक्ट की उलंघना बरी


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