महिला कांस्टेबल ने जड़ा था युवक को थप्पड़, जिसके बाद हुई पुलिस कर्मियों की पिटाई
पुलिस कर्मियों की पिटाई की घटना को तीन दिन बीतने वाले हैं लेकिन अभी तक कमिश्नरेट पुलिस पहचान होने के बावजूद तीन में से किसी भी आरोपित युवक को नहीं पकड़ पाई है।
जालंधर, जेएनएन। नकोदर रोड पर महिला कांस्टेबल के पेट में लातें मारने और सिपाही सुखवंत गिल की पिटाई के मामले में नया तथ्य उजागर हुआ है। मामले को दो दिन बीतने के बाद सामने आए चश्मदीदों का कहना है कि पहले महिला कांस्टेबल किरनजीत कौर ने एक युवक को थप्पड़ मारा था। जिसके बाद यह सारा विवाद भड़का।
पुलिस ने जब आरोपित युवकों सिप्पी बाजवा, सुखविंदर लाडी और मनी लिबड़ा के रिश्तेदारों को बुलाकर पूछताछ की तो उन्होंने भी सीसीटीवी फुटेज का हवाला देते हुए यह तर्क दिया कि महिला कांस्टेबल किरनजीत कौर ने लड़ाई रोकने के बजाय खुद झगड़ा शुरू कर दिया और एक युवक पर हाथ उठा दिया। इसके बाद हाथापाई शुरू हो गई और गुस्से में आए युवक ने महिला कांस्टेबल की ही पिटाई कर डाली। हालांकि पुलिस के अधिकारी महकमे के कर्मचारी पर लगाए जा रहे आरोपों को अभी नकार रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि जिस युवक को महिला कांस्टेबल को थप्पड़ मारा, उसने पहले पुलिस को गाली निकाली थी।
बेबस कमिश्नरेट पुलिस का नेताओं के आगे सरेंडर!
पुलिस कर्मियों की पिटाई की घटना को तीन दिन बीतने वाले हैं लेकिन अभी तक कमिश्नरेट पुलिस पहचान होने के बावजूद तीन में से किसी भी आरोपित युवक को नहीं पकड़ पाई है। महकमे के निचले स्तर के मुलाजिम भी अफसरों की इस कारगुजारी से नाराज हैं और चर्चा कर रहे हैं कि बड़े अफसर नेताओं के आगे सरेंडर कर चुके हैं। शहर में भी पुलिस का मजाक बना हुआ है कि जो पुलिस अपने ही कर्मचारियों की पिटाई करने वालों को नहीं पकड़ पाई, वो आम लोगों को क्या इंसाफ देगी। लोग ये भी कह रहे हैं कि जब अफसरों ने अपने ही कर्मचारियों के मामले में आंखें मूंद ली हैं तो फिर आम जनता के साथ गलत करने वाले अपराधियों को वो क्यों पकड़ेंगे।
ये भी सामने आ रहा है कि जिस इमारत में काम करने वालों को पीटने के लिए हमलावर आए थे, उसमें किसी नेता का हाथ है। जिस व्यक्ति को पीटा गया उसने भी इसलिए शिकायत नहीं दी है कि उस पर राजनीतिक दबाव बनाया गया था और धमकाया गया था। उस व्यक्ति को पिटते देखकर ही पुलिस बचाने गई थी लेकिन खुद पिट गई। अब हमलावर उसी राजनीतिक आका की शरण में चले गए और वहां से उनको कहीं पर भेज दिया गया है। जिन्हें पकड़ने की पुलिस अफसरों की हिम्मत नहीं हो रही है।
पुलिस पर किसी तरह का राजनीतिक दबाव नहीं है। आरोपितों की तलाश में लगातार छापेमारी की जा रही है और उनको हर हाल में गिरफ्तार किया जाएगा। पुलिस टीमें उनके घरों तक पहुंची लेकिन सभी फरार मिले। उनके रिश्तेदारों को बुलाकर दबाव बनाया जा रहा है कि उनको पेश करें। सभी को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
-हरसिमरत सिंह, एसीपी सेंट्रल।