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साधु के श्राप से सूख गया था श्री सिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर का तालाब, फिर कभी नहीं भरा

इस तालाब में एक साधु करमंडल भरने आए तो इस दौरान उनका करमंडल तालाब में गिर गया। उस साधु को अपनी तपस्या पर मान था। जिसके बाद साधू ने तालाब को हमेशा के लिए सूखा रहने का श्राप दे दिया।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 12:18 PM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 12:18 PM (IST)
साधु के श्राप से सूख गया था श्री सिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर का तालाब, फिर कभी नहीं भरा
1984 में बाढ़ आने पर किशनपुरा इलाका डूब गया। इस दौरान मोटरें लगाकर पानी तालाब में डाला गया था।

जालंधर, शाम सहगल। अगर सूखा है तो तालाब कैसा? लेकिन यह हकीकत है। जालंधर के किशनपुरा चौक स्थित श्री सिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर के पास विशाल जगह पर कभी तालाब हुआ करता था। जो इस समय पूरी तरह से सूखा हुआ है। खास बात यह है कि इस तालाब में जितना भी भर दिया जाए, लेकिन यह सूखा ही रहता है।
 

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श्रापित होने के कारण सूखा तालाब


श्री सिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर के ऑर्गनाइजर राकेश भास्कर बताते हैं कि धार्मिक पुस्तकों के मुताबिक इस तालाब को साधु का श्राप मिला था। इसके चलते यह सूखा हो गया। दरअसल, इस तालाब में एक साधु करमंडल भरने आए तो इस दौरान उनका करमंडल तालाब में गिर गया। उस साधु को अपनी तपस्या पर मान था। उन्होंने इस घटना से खुद का अपमान महसूस किया और क्रोधित होकर साधु ने तालाब को हमेशा के लिए सूखा रहने का श्राप दे दिया। इसके बाद से इस तालाब में जितना भी पानी डाल दिया जाए, यह सूखा ही रहता है।

बाढ़ के दौरान वरदान साबित हुआ तालाब


मंदिर कमेटी के प्रधान मंगत राम बताते हैं कि सूखे तालाब का प्रत्यक्ष प्रमाण किशनपुरा इलाका ही नहीं, बल्कि पूरा शहर है। दरअसल, वर्ष 1984 में जब शहर में बाढ़ आई थी, तो किशनपुरा इलाके की सड़कों का स्तर नीचा होने के कारण पूरा इलाका डूब गया। इस दौरान जिला प्रशासन ने मोटरें लगाकर इलाके का पानी सूखे तालाब में डालना शुरू कर दिया। हैरानीजनक बात यह रही कि एक साथ कई मोटरों के साथ पानी तालाब में फेंका जाता रहा, लेकिन फिर बाद भी तालाब सूखा रहा।

तालाब की सेवा से हुआ मंदिर का विकास
किशनपुरा इलाका शहर से बाहर हुआ करता था। तालाब को श्राप मिलने के बाद यहां पर आने वाले लोगों की आमद भी घट गई। मंदिर के ऑर्गनाइजर सतपाल सत्ती बताते है कि तीन दशक पूर्व पंडित रामनाथ रामको इंजीनियरिंग वालों की अध्यक्षता में तालाब की सेवा शुरू की। इसके बाद लोग उनके साथ जुड़ने लगे। इसके चलते तालाब के रिपेयर के बाद यहां पर करीब एक करोड़ रुपये की लागत से शिव मंदिर का निर्माण करवाने के उपरांत बाबा बालक नाथ का मंदिर व तीन मंजिला जंजघर तैयार किया गया।

यहां पर हर रविवार लंगर लगाया जाता है। वहीं तालाब में आकर्षक पार्क तैयार किया गया है, जहां पर रोजाना सुबह व शाम को योगा क्लास लगती है। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक तालाब की सेवा व्यर्थ नहीं जाती, जिसके चलते भक्तजन पूरे उत्साह के साथ तालाब की सेवा करने आते है।


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