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शहरनामाः अपनी ही सरकार से तंग आकर गांधीगीरी छोड़कर झोलागीरी पर उतरे विधायक Jalandhar News

पिछले दिनों विधायकों ने एकजुट होकर निगम दफ्तर में डेरा डाल दिया था। हालांकि खरी-खोटी सुनाने के बाद भी निगम प्रशासन पर कोई असर दिखाई नहीं दिया।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 12:07 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 02:56 PM (IST)
शहरनामाः अपनी ही सरकार से तंग आकर गांधीगीरी छोड़कर झोलागीरी पर उतरे विधायक Jalandhar News
शहरनामाः अपनी ही सरकार से तंग आकर गांधीगीरी छोड़कर झोलागीरी पर उतरे विधायक Jalandhar News

शहरनामा: मामला सत्ताधारी पार्टी के एक विधायक से जुड़ा है। ढाई साल से ठप पड़े शहर के विकास को लेकर आम नागरिकों के बाद अब विधायकों का रोना भी निकलने लगा है। अलग बात है कि बेचारे विधायक अपना दुखड़ा रोने जाएं तो कहां। मुख्यमंत्री दरबार में भी गला फाडऩे के बाद सुनवाई तो हुई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। एक बार नहीं ढाई साल में कई बार विधायकों ने शहर के विकास के मुद्दे को पार्टी के बड़े फोरम पर उठाने को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसके बाद भी उनकी शिकायतें रंग लाती नहीं दिखाई दे रहीं हैं।

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पिछले दिनों विधायकों ने एकजुट होकर निगम दफ्तर में डेरा डाल दिया था। हालांकि खरी-खोटी सुनाने के बाद भी निगम प्रशासन पर कोई असर दिखाई नहीं दिया। इसे सियासी पंडित इस रूप में भी देख रहे हैं कि एक अकेला विधायकों पर भारी पड़ रहा है। खैर जो भी हो यह सत्ताधारी पार्टी का अंदरूनी मामला है। बीते दिनों कुछ विधायकों ने तंग आकर गांधीगीरी की बजाय झोलागीरी भी शुरू कर दी है। बीते कुछ सालों में शहर को धूल चटाने वाले नेताओं पर भी अब शहर का प्रदूषण भारी पडऩे लगा है, चाहे पॉलीथिन का मामला हो या फिर कूड़े का। हर मामले में निगम अभी तक फ्लॉप ही रहा है। यही वजह है कि निगम को न सुधार पाने की बजाय अब विधायकों को अपनी भी चिंता सताने लगी है और वह लोगों को जागरुक करने को लेकर झोला बांटने में जुट गए हैं। चलो जैसा भी है विधायकों को इतनी बात तो समझ में आ गई है कि निगम को तो सुधार नहीं पाएंगे शायद जनता ही जागरुक हो जाए।

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खाकी के संरक्षण में जुआरियों की बल्ले

मामला खाकी व जुआरियों के मधुर रिश्तों से जुड़ा है। सालों से शहर में जुआ को लेकर खाकी की सांठगांठ चलती आ रही है। या यूं कहें कि खाकी की जानकारी में जुआ होता है। बिना संरक्षण के जुआ खिलाने वाले अड्डे ज्यादा दिनों तक चल नहीं सकते हैं। साठगांठ स्थानीय स्तर पर बीट से शुरू होती है और जिस स्तर का जुआ होता है उस स्तर के वर्दीधारियों को इसकी जानकारी होती है। सालों से चली आ रही साठगांठ की पोल बीते सप्ताह उस वक्त खुल गई जब बस स्टैंड के पास खेले जा रहे जुए को लेकर विवाद हो गया और जुए का पैसा लूटने आए गैंगेस्टर की लोगों ने धुनाई कर डाली। यहां तक भी मामला ठीक था। दोनों पक्ष मेडिकल करवाने सिविल अस्पताल पहुंचे। वहां बेचारे डॉक्टर की खिंचाई कर डाली। इसके बाद पुलिस की चुप्पी ने कई सवाल खड़े किए।

पुलिस ने पुरानी स्टाइल में दोनों पक्षों के खिलाफ केस दर्ज करके मामला रफा-दफा करने की तैयारी शुरू कर दी। इससे पहले भी खाकी ने ऐसे मामलों में दोनों पक्षों पर दबाव बनाकर निपटारा किया था। खाकी एक दिन बाद पूरे घटना की वीडियो वायरल होने के बाद फिर से सवालों में घिर गई। एक व्यक्ति को लोग जुए का पैसा लूटने वाला बताकर पीट रहे हैं और पुलिस मौके पर खड़ी है। पहले कुछ लोगों ने घायल को पीटा उसके बाद भी जब शांति नहीं मिली तो दोबारा घुनाई शुरू कर दी। दोबारा धुनाई शुरू होते ही मौके पर मौजूद खाकीधारी साइड में हो गए। इस वीडियो में यह तो नहीं पता चल रहा है कि खाकी किसकी साइड ले रही थी, लेकिन वीडियो वायरल होने के 12 घंटे बाद खाकी ने बाकायदा मामले को लेकर मीडिया ब्रीफ्रिंग जारी करके अपने दामन पर लग रहे दाग को धोने की कोशिश जरूर कर डाली। सत्ता के गलियारों में इस बात की भी चर्चा हो रही है कि आखिर सब कुछ तो खाकी की जानकारी में है तो कार्रवाई में इतनी देर क्यों और शहर में जुआ कैसे खेला जा रहा है। साथ ही जुए के पैसे लूटने वालों के साथ खाकी का इतना प्यार क्यों।

(प्रस्तुति : टैंगो चार्ली)


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