अफसरों की खींचतान चंडीगढ़ पहुंची, पुलिस हेडक्वार्टर व गृह विभाग के अधिकारी लेते रहे टोह Jalandhar News
पुलिस कमिश्नरेट में एक के बाद एक अचानक पांच डीसीपी की तैनाती को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। सीनियोरिटी नजरअंदाज करने के कारण कुछ अफसरों में रोष है।
जालंधर [मनीष शर्मा]। पुलिस कमिश्नरेट में सीनियर-जूनियर को लेकर खींचतान का मामला दैनिक जागरण की ओर से उजागर करने के बाद इसकी गूंज चंडीगढ़ तक पहुंच गई है। चंडीगढ़ पुलिस हेडक्वार्टर में बैठे आला अफसरों के साथ गृह विभाग से जुड़े बड़े अधिकारी भी पूरे दिन इसकी जानकारी लेते रहे। दिन भर हालात जानने के लिए जूनियर से लेकर सीनियर अफसरों के फोन घनघनाते रहे। हालांकि अधिकारिक तौर पर अभी कोई भी कुछ कहना तो दूर, इसके बारे में जानकारी न होने तक की बात कह रहे हैं।
वहीं, इस मामले के बाहर आने के बाद कई बड़े अधिकारी खासे नाराज बताए जा रहे हैं। हालांकि अभी तक पुलिस कमिश्नरेट की अगुवाई करने वाले पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर पूरे मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं।
साथ में तैनाती से फंसा पेंच, एडजस्टमेंट के चक्कर में गड़बड़ी
पुलिस कमिश्नरेट में एक के बाद एक अचानक पांच डीसीपी की तैनाती को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। कहा जा रहा है कि बड़े अफसर कुछ दूसरे अफसरों को अपने साथ ट्रांसफर कर ले जाने के इच्छुक थे। यह सब हो भी गया था लेकिन बड़े अफसर की खुद के ही ट्रांसफर पर अड़ंगा लग गया। नतीजतन, उन अफसरों को एकदम एडजस्ट करना पड़ गया, जिसके चक्कर में सीनियोरिटी देखने का वक्त ही नहीं मिला।
हालात संभालने की जगह ‘लीकेज’ ढूंढ रहे
इस मामले को लेकर पुलिस कमिश्नरेट से लेकर चंडीगढ़ हेडक्वार्टर तक रोष जताने वाले एडीसीपी को संतुष्ट करने की जगह यह ढूंढा जा रहा है कि आखिर यह सूचना ‘दैनिक जागरण’ तक कैसे पहुंची। आला अफसर अब उन्हीं एडीसीपी को शक की निगाह से देख रहे हैं, जिन्होंने उनके बराबर या जूनियर रहे अफसर को डीसीपी बनाने पर रोष जताया था। हालांकि पुलिस के अनुशासन को देखते हुए अधिकारिक तौर पर कोई भी एडीसीपी इस मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं कह रहे।
क्या कामकाज या अफसर बदलेंगे?
इस मामले के उजागर होने के बाद अब नई बातें सामने आ रही हैं। बताते हैं कि पुलिस कमिश्नरेट में चल रही इस खींचतान को खत्म करने के लिए कुछ अफसरों के काम में बदलाव किया जा सकता है। इसके अलावा अफसरों में भी बदलाव किया जा सकता है। खासकर, बड़े अधिकारियों की नाराजगी की गाज उन अफसरों पर गिर सकती है, जिन पर कमिश्नरेट की अंदरूनी जानकारी बाहर करने का संदेह है।
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