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तेजा परिवार ने देश सेवा में दिया अपना सर्वोच्च योगदान

दुश्मनों से लोहा लेते तेजा परिवार की दो पीढि़यां बलिदान दे चुकी हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 01:35 AM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 01:35 AM (IST)
तेजा परिवार ने देश सेवा में दिया अपना सर्वोच्च योगदान
तेजा परिवार ने देश सेवा में दिया अपना सर्वोच्च योगदान

सुक्रांत, जालंधर

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दुश्मनों से लोहा लेते तेजा परिवार की दो पीढि़यां बलिदान दे चुकी हैं। एसपी आरपीएस तेजा आतंकियों से लड़ते हुए पांच गोलियां लगने से शहीद हुए लेकिन बलिदान से पहले कुख्यात आतंकी पप्पू गोरा को मौत के घाट उतारा था। दादा एसपी सुखदेव सिंह तेजा श्रीनगर में दुश्मनों से लड़ने के लिए जाते समय दुर्घटना में शहीद हो गए और अब जसकिरण जीत सिंह तेजा अपने दादा और पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए देश और जनता की सेवा के लिए पंजाब पुलिस में बतौर डीसीपी सेवाएं दे रहे हैं। डीसीपी तेजा के दादा, पिता और अब वे खुद भी दूसरों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। 2001 बैच के पीपीएस जसकिरणजीत सिंह तेजा ने बतौर इंस्पेक्टर कई जिलों में रहे और फिर तीन साल तक डीएसपी बने। 2013 में जसकिरणजीत सिंह तेजा एसपी बने और पटियाला, संगरूर, मोहाली, बहादुरगढ़, बठिंडा, कपूरथला, एसएएस नगर में तैनात रहे। 2019 में एडीसीपी और 2021 में डीसीपी बने। डीसीपी तेजा ने बताया कि परिवार ने देश सेवा के लिए योगदान दिया। दादा सुखदेव सिंह तेजा सीधे डीएसपी भर्ती हुए थे। 1967 में श्रीनगर में उनको एसपी बना कर दुश्मनों से मुकाबला करने के लिए भेजा था। मुठभेड़ पर जाते समय दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। पिता रुपिदर सिंह तेजा (आरपीएस तेजा) बतौर इंस्पेक्टर भर्ती हुए थे। जल्द ही उन्हें एसपी बना दिया गया था। 1991 में उनके पिता आरपीएस तेजा आतंकियों से लोहा लेते समय तीन गोलियां लगने से घायल हो गए थे। उनकी हालत गंभीर थी लेकिन ड्यूटी पर जाने की ललक ने उनको जल्द ठीक कर दिया और वे फिर से काम पर जुट गए। 1992 में बटाला में एसपी थे तो उनको सूचना मिली थी कि वहां पर आतंकी पप्पू गोरा, जिस पर पंजाब सरकार ने 20 लाख का इनाम रखा था, छिपा हुआ है। वह उसे पकड़ने के लिए टीम के साथ निकले और मुठभेड़ में उन्होंने पप्पू गोरा को मौत के घाट उतार दिया लेकिन उनको भी पांच गोलियां लगी जिससे वो शहीद हो गए। उनको मरणोपरांत पंजाब पुलिस का सर्वोच्च सम्मान मिला। डीसीपी तेजा ने बताया कि उन दोनों की शहादत ने उनको बल दिया। वे पिछले 20 वर्ष से पंजाब पुलिस में ड्यूटी कर रहे हैं। उनकी आने वाली पीढ़ी भी पंजाब पुलिस में ही अपने सेवाएं देगी।

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पिता शहीद हुए तो 13 साल थी उम्र

गांव मलिकपुर, करनाल हरियाणा में जन्मे और पटियाला में रह रहे डीसीपी जसकिरणजीत सिंह के दादा सुखदेव सिंह तेजा जब शहीद हुए थे तो उनके पिता आरपीएस तेजा की उम्र 13 वर्ष की थी। जब आरपीएस तेजा शहीद हुए तो खुद डीसीपी तेजा की उम्र उस वक्त मात्र 13 साल की थी। जब वे 13 साल के थे तो पिता शहीद हुए तो उनकी माता रमनजीत कौर तेजा ने पूरे परिवार को इस तरह से संभाला जैसे उनके पिता संभाल रहे थे। उसी फैसला किया कि वे दादा और पिता की तरह ही देश की सेवा करेंगे। इसके बाद पीपीएस की परीक्षा में पास कर पुलिस में शामिल हुए।

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यह रहीं उपलब्धियां

-2013 को पटियाला में ड्रग तस्कर जगदीश भोला को सैकड़ों किलो ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया

-2014 में बठिंडा से जेल तोड़ वहां से हथियार लूट कर भागे मोस्ट वाटेंड गैंगस्टर राजीव राजा को गिरफ्तार किया

-2015 को गैंगस्टर अमित भूरा, जिस पर 90 से ज्यादा कत्ल, इरादा कत्ल, लूटपाट, गैंगवार के केस थे और यूपी, उत्तराखंड और दिल्ली पुलिस को वांछित था, पटियाला में गिरफ्तार किया

-2016 में एक जज की हत्या में शामिल शातिर महिला रविदर, जिसके फरार होने के बाद पंजाब पुलिस की नाक का सवाल बन गया था, को गिरफ्तार करने में सफलता पाई

(अब तक जालंधर में ढाई महीने के अंदर की 800 से ज्यादा शराब व अन्य नशा तस्करों के खिलाफ मामला दर्ज कर 600 से ज्यादा तस्करों को गिरफ्तार किया)

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बीस साल की सर्विस में अभी तक मिले सम्मान

-22 कमोडेशन सर्टिफिकेट, चीफ मिनिस्टर मेडल (आउटस्टेंडिग ड्यूटी के लिए 2015 में)

-5 डीजीपी कमोडेशन डिस्क

2021 में स्वतंत्रता दिवस पर मेडल फार मेडिटोरियल सर्विस अवार्ड (राष्ट्रपति अवार्ड)


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