अध्यापक पढ़ाने की क्वालिटी पर खुलकर करे लोगों से चर्चा : डॉ. लोचन
आजकल हमें आमतौर पर ये बाते सुनने को मिलती है कि अध्यापक सही ढंग से बच्चों को नही पढ़ाते है।
जासं. जालंधर। आजकल हमें आमतौर पर ये बाते सुनने को मिलती है कि अध्यापक सही ढंग से बच्चों को नही पढ़ाते है। इससे निपटने का एक ही जरिए है कि टीचर्स अपने पढ़ाने की क्वालिटी की खुलकर सभी के साथ चर्चा करें। ये कहना था पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के इंटरनल क्वालिटी इंश्योरेंस सैल के डायरेक्टर डॉ. एम राजीव लोचन का। मौका था डीएवी कॉलेज में इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंयस सैल के सहयोग से करवाए जा रहे दो दिवसीय नेशनल सेमिनार का।
आज सेमिनार का विषय था अकेडमिक एंड एडमिनीस्ट्रेटिव ऑडिट इन हायर एजुकेशन। इसमें बतौर मुख्यातिथि चीफ सेक्रेटरी व एमजीएसआईपीए के डायरेक्टर जनरल आईएएस सर्वेश कौशल ने शिरकत की। यहां डीएवी लोकल कमेटी के जनरल सचिव पूर्व जस्टिस एनके सूद, ¨प्रसिपल एसके अरोड़ा, वाइस ¨प्रसिपल प्रो. वीके सरीन, वाइस ¨प्रसिपल प्रो. टीडी सैनी, सेमिनार कोर्डीनेटर डॉ. दिनेश अरोड़ा, आर्गेनाइ¨जग सेक्रेटरी प्रो. सोनिका, पीआरओ प्रो. मनीष खन्ना मौजूद रहें। डीएवी कॉलेज के आरटीआई अवेयरनेस कैप का भी उद्घाटन किया गया। सेमिनार के लिए कॉलेज को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से प्रशंसा पत्र भी दिया गया।
सेमिनार का मकसद हायर एजुकेशन की गुणवलाा को सुधारना : डॉ. अरोड़ा
¨प्रसिपल डॉ. अरोड़ा ने कहा, सेमिनार का मकसद हायर एजुकेशन की गुणवत्ता को सुधारना है। हमें तकनीक के साथ साथ किताबी भाषा को भी एकत्रित करना होगा। पूर्व जस्टिस एनके सूद ने कहा कि उच्च शिक्षा को केवल जानना ही नही बल्कि उसे सीखना भी जरूरी है। सीखने से हमारे चरित्र में एक स्थाई बदलाव आता है जो हमें ¨जदगी में सफल बनाने में सहायक है। जीएनडीयू के ह्यूमन रिसोर्स सेंटर के पूर्व निदेशक डॉ. गुरु उपदेश ने कहा कि हम खोजने की प्रक्रिया को भूल रहे हैं। इसके बिना शिक्षा का सुधार संभव नही। टेक्निकल सेशन में विभिन्न कॉलेजो- यूनिवर्सिटियो के प्रतिभागियों ने रिसर्च पेपर पढ़े।
प्राथमिक शिक्षा में पहले करें सुधार : सर्वेश कौशल
विशेष चीफ सेक्रेटरी सर्वेश कौशल ने कहा कि जब तक प्राथमिक शिक्षा में सुधार नही होगा, तब तक उच्च शिक्षा की गुणवलाा बढ़ाने की बात सोचना गलत है। यदि प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा का स्तर ठीक हो जाए तो उच्च शिक्षा की दशा और दिशा दोनों सुधर जाएगी। शिक्षा का मकसद नैतिकता का विकास करना और बचचों को आध्यात्मिकता के धागे में पिरोना भी है। उच्च शिक्षा केवल डिग्री के लिए नही बल्कि सर्वश्रेष्ठ विकास करने के लिए होनी चाहिए। इसके लिए परीक्षा प्रणाली में सुधार आवश्यक है। शिक्षक और स्टूडेंट के बीच वैचारिक मतभेद को समाप्त करना होगा। हर प्रदेश में एक शैक्षणिक संदर्भ व स्त्रोत केद्र बनना चाहिए।
स्टूडेंट्स की नॉलेज में करे वैल्यू एड : डॉ. राजीव लोचन
पीयू चंडीगढ़ के आईक्यूएसी डायरेक्टर डॉ. एम राजीव लोचन ने कहा कि समाज की एक शिक्षक से बहुत अपेक्षाएं होती हैं। हमें उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए स्टूडेंटस की नॉलेज में वैल्यू एडीशन करना चाहिए। समाज में ये भी चर्चा रहती है कि शिक्षकगण ठीक से काम नही कर रहे। इस बात को खारिज करने के लिए अपने क्वालिटी काम की ज्यादा से ज्यादा चर्चा करें। उच्च शिक्षा की बात करें तो यूनिवर्सिटीज का रोल बहुत ही अहम है। स्टूडेंटस में नॉलेज जेनरेट करने के लिए ज्यादा रिसर्च वर्क करें और वह पब्लिश भी करें। रिसर्च वर्क ऐसा हो कि अनंतकाल तक दुनिया को आपका काम याद रहे।