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सुविधा सेंटर का निरीक्षण, काम में देरी का ठीकरा अधिकारियों के सिर फोड़ा

अपने कामकाज को लेकर लगातार विवादों में घिरता जा रहा जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स स्थित सुविधा सेंटर को संचालित करने वाली ठेका कंपनी डीएलएफ प्राइवेट लिमिटेड के चंडीगढ़ से पहुंचे राजेश कुमार ने सुविधा सेंटर में कामकाज का जायजा लिया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Mar 2018 10:24 PM (IST)Updated: Mon, 19 Mar 2018 10:24 PM (IST)
सुविधा सेंटर का निरीक्षण, काम में देरी का ठीकरा अधिकारियों के सिर फोड़ा
सुविधा सेंटर का निरीक्षण, काम में देरी का ठीकरा अधिकारियों के सिर फोड़ा

जागरण संवाददाता, जालंधर : अपने कामकाज को लेकर लगातार विवादों में घिरता जा रहा जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स स्थित सुविधा सेंटर को संचालित करने वाली ठेका कंपनी डीएलएफ प्राइवेट लिमिटेड के चंडीगढ़ से पहुंचे राजेश कुमार ने सुविधा सेंटर में कामकाज का जायजा लिया। हालांकि उनका निरीक्षण औपचारिक ही रहा। लोगों के लंबित हो रहे कामों के लिए उन्होंने जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स के विभिन्न विभाग के अधिकारियों को ही जिम्मेदार ठहरा दिया। उन्होंने कहा कि विभाग से समय पर सूचना नहीं मिलेगी तो वे लोगों को कैसे उपलब्ध कराएंगे?

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सुविधा केंद्र में कामकाज का जिस समय निरीक्षण चल रहा था। केंद्र में प्रवेश करते हुए दाई ओर लगा अवेयरनेस किस्योस्क धूल फांकता नजर आया था। लंबे समय से यह मशीन खराब पड़ी होने के कारण लोग इसका उपयोग नहीं कर पा रहे थे। यही नहीं सुविधा सेंटर की ¨वडो नं.1 से लेकर 6 तक जहां पूरे दिन सबसे ज्यादा भीड़ रहती है, वहां की डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड काम नहीं कर रहे थे। भारी भीड़ के बावजूद सबसे ज्यादा काम की धीमी गति इन्हीं ¨वडो पर रहती है। ऐसे में पुरुषों की भीड़ के बीच ही महिलाओं को लाइन में लगना पड़ता है। भीड़ ज्यादा होने पर महिलाओं को धक्कामुक्की का भी सामना करना पड़ता है। डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड बंद होने के कारण लोगों को काउंटर पर खड़े होकर ही अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि जरा सी चूक से उनका नंबर निकल गया तो फिर घंटों इंतजार करना पड़ता है। पेयजल की भी किल्लत

बिना फिल्टर वॉटर के पानी की एक टंकी सुविधा सेंटर में है। पानी की टंकी के आसपास गंदगी का बुरा हाल है। पास में ही कूड़े का डंप भी है। केस 1

गो¨वदगढ़ निवासी किरन सुबह सवा नौ बजे सुविधा सेंटर पहुंच गई थीं। उन्हें पटियाला में बी फार्मेसी में प्रवेश लेने वाले अपने बेटे का निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करना था। उन्हें टोकन नं.33 मिला था। दोपहर 12.25 मिनट पर उन्हें ¨वडो से बताया गया कि अभी तक 12 आवेदन की स्वीकार किए जा सके हैं, जब उनकी बारी आएगी तब ही उनका आवेदन लिया जा सकेगा। वे बार-बार आग्रह करती रहीं कि उन्हें बेटे को लेकर पटियाला जाना है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। सिर्फ आवेदन के लिए ये हालत थी, निवास प्रमाण पत्र मिलेगा कब, यह आवेदन के बाद पता चलेगा। केस 2

वरियाणा निवासी सुरजीत कौर विधवा पेंशन के लिए सुबह नौ बजे के लगभग पहुंची थीं। उन्हें टोकन नं.17 मिला था। डिजिटल डिस्प्ले सिस्टम खराब होने के कारण उन्हें बार-बार काउंटर पर जाकर पता करना पड़ रहा था कि उनकी बारी कितनी देर में आएगी, लेकिन साढ़े 12 बजे तक उन्हें बताया गया कि अभी तक 12 नं.टोकन का समाधान हो सका है। उनकी बारी आने पर ही उनका आवेदन लिया जाएगा। पेंशन कब स्वीकृत होगी, कुछ नहीं कहा जा सकता है। अभी तो आवेदन के लिए ही घंटों लाइन में लगने को मजबूर हैं। न डिजिटल डिस्प्ले सिस्टम चालू था न महिलाओं व बुजुर्गो के लिए अलग से कोई काउंटर। वर्जन

समय पर काम करके देने की जिम्मेदारी निजी कंपनी की है। अगर कोई शिकायत मिलती है तो कंपनी पर कार्रवाई की जाती है। कई शिकायतों पर हैवी जुर्माना लगाया जा चुका है। आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी।

व¨रदर कुमार शर्मा, डीसी।


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