Move to Jagran APP

दोस्तों की मदद से गुरुजी ने बदल डाली सरकारी स्कूल की नुहार, बना पंजाब का पहला स्मार्ट स्कूल Jalandhar News

मन में कुछ भी ठान तो उसे पाया जा सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया सरकारी हाई स्कूल दयालपुर ब्लॉक फिल्लौर के स्कूल इंचार्ज सुरिंदर कुमार पुआरी ने।

By Edited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 07:25 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 10:05 AM (IST)
दोस्तों की मदद से गुरुजी ने बदल डाली सरकारी स्कूल की नुहार, बना पंजाब का पहला स्मार्ट स्कूल Jalandhar News
दोस्तों की मदद से गुरुजी ने बदल डाली सरकारी स्कूल की नुहार, बना पंजाब का पहला स्मार्ट स्कूल Jalandhar News

जालंधर, [अंकित शर्मा]। मन में कुछ भी ठान लें तो उसे पाया जा सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया सरकारी हाई स्कूल दयालपुर ब्लॉक फिल्लौर के स्कूल इंचार्ज सुरिंदर कुमार पुआरी ने। पुआरी ने अपने दम पर ही सरकारी स्कूल की नुहार बदल दी। ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी। पुआरी ने खुद, अपने साथी शिक्षकों व एनआरआइ दोस्तों की मदद से 60-70 लाख रुपये जुटाकर स्कूल की नई इमारत तैयार करवाई। बच्चों को स्कूल में बुनियादी सुविधाएं मुहैया करवाई। हाल ही स्कूल में स्मार्ट स्कूल बनाने का कांसेप्ट शुरू किया गया है।

loksabha election banner

जालंधर जिले के आखिरी गांव में से एक में ये स्कूल आता है। स्कूल की हालत इतनी खस्ता थी कि हल्की सी ही बारिश में क्लासों में पानी जमा हो जाता था। ऐसे में बच्चों को काफी परेशानी होती थी। शिक्षक सुरिंदर कुमार पुआरी ने स्कूल की हालत देख इसे सुधारने का जिम्मा उठाया और 2016 में ही पंजाब का पहला स्मार्ट स्कूल तैयार करवाया। इस काम में उन्होंने अपने वेतन से लाखों रुपये स्कूल की इमारत में लगाए और अपने करीबियों व एनआरआइ दोस्तों व दानी सज्जों की मदद से 60-70 लाख रुपये जुटाकर स्कूल की इमारत तैयार करवाई। अब स्कूल में 15 कमरे हैं, लैब है, बच्चों को आरओ का पानी पीने को मिलता है।

हाल ही में सरकार की तरफ से स्मार्ट स्कूल बनाने का कांसेप्ट शुरू किया है। उन्होंने अपने स्तर पर स्कूल को इंग्लिश मीडियम बनवाया। गांव के जो बच्चे स्कूल नहीं आ सकते थे, उन्हें साइकिलें दिलवाई। बच्चों को स्कूल लाने ले जाने के लिए थ्री व्हीलर डलवाए। ड्राइवर का खर्च दोस्त उठाते थे। पैसों को लेकर ही विवाद खड़े होते हैं। इसलिए एनआरआइ दोस्तों को यही कहा कि वो पैसा नहीं लेगा, बस आप स्कूल का काम करवाने के लिए किसी के जरिए पैसे देते रहें। वह सिर्फ केयर टेकर की भूमिका निभाएंगे।

दोस्त की मदद से बनवाया पहला कमरा

सुरिंदर कुमार की 2001 में सरकारी हाई स्कूल दयालपुर स्कूल में बतौर एसएस मास्टर नियुक्ति हुई। 2010 में एसएस के तहत काम करते हुए जिले के स्कूलों में विजिट की। 2014 में स्कूल का इंचार्ज बनकर वापस आए। स्थानीय होने के कारण एनआरआइ पहचानते थे और कई दोस्त भी थे। एक दोस्त ने बातों में ही कहा कि यहां कोठी बनाने जा रहा है और उससे पहले पिता के नाम पर कुछ करना चाहता है। तो स्कूल में ही एक कमरा बनाने की सलाह दी। दोस्त ने स्कूल में पहना कमरा बनवाया। इसके बाद एनआरआइ दोस्तों की मदद से एक साथ चार कमरे बनवाए। इसी दौरान पता चला कि पुरानी ग्रांट खर्च नहीं हुई है, तो उसे भी रिलीज करवाया गया। उसके बाद दोस्तों, शिक्षकों और दानी सज्जनों की मदद लेकर दस कमरे और बनवा दिए गए।

इच्छा थी जो मुझे नहीं मिला, वह बच्चों को मिल सके

सुरिंदर कहते हैं कि मन में बस यही था कि स्कूल के दिनों में जो उसे नहीं मिल पाया वह गांव के बच्चों को मिले। इसी सोच के साथ हर किसी का साथ मिला और फर्नीचर भी आने लगा। साइंस रूम, मैथ रूम, एसएस रूम, लाईब्रेरी बनवाई। बच्चों की क्वालिटी इम्प्रूवमेंट पर ध्यान दिया। जो बच्चे कभी किसी कंपीटिशन में भाग नहीं लेते थे, अब नेशनल लेवल की परीक्षाओं में भी अव्वल आ रहे हैं।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.