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अपने अफसर बचाने के लिए डीलरशिप की टर्मिनेट : अग्रवाल

टर्मिनेट की गई डीलरशिप के संचालक सु¨रदर अग्रवाल ने इंडियन ऑयल अधिकारियों के खिलाफ उतर आए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 02:51 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 02:51 PM (IST)
अपने अफसर बचाने के लिए डीलरशिप की टर्मिनेट : अग्रवाल
अपने अफसर बचाने के लिए डीलरशिप की टर्मिनेट : अग्रवाल

मनुपाल शर्मा, जालंधर : तेल डालने वाली मशीन में अनऑथराइज्ड फि¨टग्स को आधार बना कर इंडियन ऑयल (आईओसीएल) की तरफ से टर्मिनेट की गई डीलरशिप के संचालक सु¨रदर अग्रवाल ने इंडियन ऑयल अधिकारियों के खिलाफ उतर आए हैं। उनका कहना है कि उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है। अग्रवाल ने कहा है कि आइओसीएल के चंडीगढ़ के उच्चाधिकारियों की टीम ने 6 फरवरी को उनकी डीलरशिप पर औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान स्थानीय अधिकारियों की घोर लापरवाही पकड़ी थी। उन अधिकारियों पर तो कार्रवाई नहीं हुई उल्टा आइओसीएल के स्थानीय अधिकारियों ने उनकी डीलरशिप टर्मिनेट करवा दी। उन्हें कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अगर जनवरी महीने में मशीन में अनियमितता पाई गई थी तो नियमों के मुताबिक तत्काल प्रभाव से डीलरशिप पर तेल की बिक्री बंद क्यों नहीं करवाई गई? इसमें इतना समय लेने की जरूरत क्यों पड़ी? इस मामले में सु¨रदर अग्रवाल अब कानूनी राय ले रहे हैं ताकि निकट भविष्य में इस कार्रवाई के खिलाफ आवाज उठा सकें।

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इंदिरा फि¨लग स्टेशन, रामामंडी के संचालक सु¨रदर अग्रवाल ने कहा कि 28 जनवरी को इंडियन ऑयल की अधिकारी सुरभि, इंजीनियर राज कृष्ण एवं जीवीआर कंपनी के इंजीनियर डीलरशिप पर आए और मशीन चेक किया। उस दिन रविवार था और अगले दिन 29 जनवरी को नापतोल विभाग के अधिकारी कृष्ण लाल की उपस्थिति में मशीन खोली गई और मशीन के दो पल्सर निकाल लिए। उस समय नापतोल विभाग ने सबकुछ सही पाए जाने और किसी छेड़छाड़ न होने संबंधी रिपोर्ट दी थी। वहीं पल्सर निकाल लिए जाने के कारण मशीन से तेल की डिलीवरी बंद हो गई। 1 फरवरी को जीवीआर कंपनी से दो पल्सर मंगवा कर मशीन में डाल दिए और नापतोल विभाग के अधिकारी की उपस्थिति में स्टं¨पग करवाकर तेल की बिक्री शुरू करवा दी गई।

छह फरवरी की आईओसीएल के अधिकारियों ने किया था निरीक्षण

सु¨रदर अग्रवाल के अनुसार मशीन में जीवीआर कंपनी से मंगवाकर डाले गए पल्सर के संबंध में आईओसीएल के अधिकारियों ने कोई दस्तावेज नहीं दिया। इसके बाद 6 फरवरी को आईओसीएल चंडीगढ़ के उच्चाधिकारियों की टीम ने औचक निरीक्षण कर नए डाले गए पल्सरों पर का रिकार्ड मुहैया करवाने को कहा, लेकिन आईओसीएल के अधिकारी ऐसा नहीं कर सके। यह घोर लापरवाही थी और अधिकारियों पर कार्रवाई होना तय था। इसके अलावा चंडीगढ़ की टीम को कोई अनियमितता नहीं मिली और टीम ने मशीन की री-स्टैं¨पग कर तेल की बिक्री शुरू करवा दी।

ऐसे किया गोलमाल

अग्रवाल ने दावा किया कि 10 फरवरी को उन्हें बीएमसी चौक ऑफिस में बुलाकर पहले तो 29 जनवरी को खोले गए पल्सरों के संबंध में बिना डेट डाले हस्ताक्षर करवाए और बाद में मशीन से तेल की बिक्री बंद करवा दी। वहीं 29 जनवरी को निकाले गए पल्सर 15 दिन बाद 12 फरवरी को टे¨स्टग के लिए भेजे गए, जो कि तत्काल भेजे जाने चाहिए थे।

- जीवीआर उपलब्ध करवाती है उपकरण

अग्रवाल ने कहा कि मशीन में बदले जाने वाले उपकरण के बदले जीवीआर रिपेयर किए गए उपकरण मुहैया करवाती है। हो सकता है कि जो सोलड¨रग पाई गई, वह किसी पुराने रिपेयर किए गए उपकरण की वजह से हो। उन्हें इस दौरान नोटिस भेजे जाते रहे, जिनके जवाब में वह नापतोल विभाग की सबकुछ सही होने की रिपोर्ट लगा कर जवाब भेजते रहे।

- अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग

8 जून को उनकी डीलरशिप टर्मिनेट कर दी गई और अन्य डीलर को संचालन के लिए दे दी गई। सु¨रदर अग्रवाल ने कंपनी उच्चाधिकारियों से इस प्रकरण की गहन जांच कर आईओसीएल के अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की है।


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