फेसबुक पर हो रही थी हथियारों की बिक्री, कोड के जरिए बिक रहा था गोली सिक्का
सूरज और अभिनव के जिन साथियों को पकड़ा है वो सभी सूरज के फेसबुक फ्रेंड ही थे।
सुक्रांत, जालंधर
फेसबुक पर दोस्ती, प्यार, लड़ाई झगड़ा या ऐसा ही कुछ होता बहुत बार देखा, लेकिन 21 साल के सूरज ने ग्यारहवीं तक पढ़ाई करने के बाद फेसबुक को ही हथियारों की मंडी बना दिया था। करीब एक साल पहले उसने यह धंधा शुरू किया था और फेसबुक के जरिए पंजाब के लगभग हर शहर में हथियारों के ग्राहक बना लिए थे। अपने साथी अभिनव के साथ हथियारों की सप्लाई लेने और देने के लिए वह खुद जाता था और ग्राहकों के साथ सौदा वो फेसबुक पर ही करता था। अपनी आइडी पर वो ऐसे लोगों के साथ जुड़ जाता और फिर अलग-अलग कोड रख कर हथियारों का सौदा करता था। अभी तक पुलिस ने सूरज और अभिनव के जिन साथियों को पकड़ा है, वो सभी सूरज के फेसबुक फ्रेंड ही थे और वहीं पर उससे हथियारों के लेनदेन का सौदा करते थे। एक बार गोलियों या पिस्तौल का सौदा हो जाता तो उसकी कीमत भी कोड के जरिये ही तय होती थी। पैसों का लेन देन कैश में होता था। इस धंधे का किगपिन बन चुका सूरज छोटी उम्र में ही बड़े-बड़े तस्करों के साथ मिला हुआ था। मध्यप्रदेश में बड़े हथियार तस्करों के साथ उसका संबंध था। पुलिस की जांच में सामने आया है कि उन तस्करों के साथ भी वो फेसबुक पर ही मिला था और वहीं से उसने फेसबुक पर हथियार बेचने का काम शुरू कर दिया था। पुलिस अब रिमांड के दौरान सूरज से पता लगा रही है कि उसे हथियार बेचने वाले कौन लोग थे। सूरज का फेसबुक अकाउंट भी खंगाला जा रहा है।
ननिहाल में अभिनव से मिला था सूरज, ईजी मनी के लालच में मिला लिया धंधे में
साल 2019 में सूरज ने फेसबुक के जरिए हथियार खरीदने और आगे बेचने का काम शुरू कर दिया था। उसका ननिहाल झज्जर में था, जहां उसका काफी आना जाना था। वहीं पर उसकी मुलाकात अभिनव से हुई। अभिनव भी आपराधिक प्रवृति का था तो सूरज ने उसकी नब्ज पकड़ी। उसे ईजी मनी का लालच किया और कहा कि वह काफी समय से हथियारों की खरीद-फरोख्त कर रहा है। इस धंधे में उसने काफी पैसा कमा लिया है। इन बातों से अभिनव झांसे में आ गया। सूरज को भी एक ऐसे आदमी की जरूरत थी जो हथियार लेने, सप्लाई करने और फिर उससे मिले पैसों के साथ आने-जाने में साथ रहे। अभिनव के हां करने के बाद दोनों ने मिल कर यह धंधा शुरू कर दिया।
जालंधर में नहीं बेच रहे थे हथियार ताकि पकड़े न जा सकें
सूरज और अभिनव में दोस्ती काफी गहरी हो गई थी। हालांकि दोनों ही जालंधर में किसी को हथियार नहीं देते थे। सूरज को लगता था कि यदि जालंधर में हथियार देगा तो पुलिस आसानी उस तक पहुंच सकती थी। उसकी यह सोच सही भी साबित हो रही थी और पिछले एक साल से वो हथियारों का तस्करी बड़े स्तर पर करने लगा था, लेकिन एक शक ने ऐसा काम किया कि एक अस्पताल में तो दूसरा सलाखों के पीछे पहुंच गया। सूरज को शक था कि उसके घर की महिलाओं पर अभिनव बुरी नजर रख रहा है। उसने कई बार उसे समझाया, लेकिन मामला बिगड़ता गया। उसने कुछ दिन पहले अभिनव को जालंधर बुलाया और फिर गोली मार दी। यहीं से मामले का पर्दाफाश हुआ और दोनों पकड़े गए।
आरोपितों की प्रापर्टी की भी होगी जांच
पुलिस अब सूरज और अभिनव की प्रापर्टी की भी जांच करेगी। जांच में सामने आया है कि अभी तक दोनों ने काफी पैसा कमा लिया। अब पुलिस यह पता कर रही है कि बीते एक साल में दोनों ने क्या और कितनी प्रापर्टी बनाई है। उस सारी प्रापर्टी को भी केस में शामिल किया जाएगा।
किसी ने विरोधियों को डराने व किसी ने गैंगवार के लिए खरीदे थे हथियार
सूरज के साथ जितने आरोपित पकड़े गए हैं, सभी ने उससे हथियार खरीदे थे। किसी ने लूटपाट के लिए खरीदे थे तो किसी ने गैंगवार के लिए। करतारपुरा का 25 वर्षीय विजय कुमार, जो प्लंबर का काम करता है, ने अपने विरोधियों को डराने के लिए हथियार खरीदे थे। अमृतसर के अरजनमंगा गांव के 22 वर्षीय जोबनजीत सिंह ने विरोधी गैंग से होने वाली लड़ाई के लिए हथियार लिया था। पठानकोट के प्रेम नगर का 27 वर्षीय साहिल सैनी कैटरिग का काम करता था और अवैध हथियार सिर्फ लोगों को डराने के लिए खरीदा था। बटाला के भोमा निवासी 24 वर्षीय अमृतपाल सिंह की गांव में निजी रंजिश चल रही थी और उसी की वजह से उसने पिस्तौल ली थी। हकीमी गेट अमृतसर से 23 वर्षीय केशव खेड़ा और फतेहगढ़ साहिब के गांव खेरी वीर सिंह के 24 वर्षीय हरमनदीप सिंह ने शौक के लिए हथियार लिया और ग्रेजुएट हरमनदीप सिंह ने भी हथियार सिर्फ इसलिए लिए थे कि विरोधियों पर रौब डाल सकें।