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अनदेखीः सिविल अस्पताल के सुपरस्पेशलिटी क्लीनिक ने 11 माह में ही तोड़ा दम

निजी डॉक्टर क्लीनिक पर पहुंच नहीं रहे हैं और अस्पताल प्रशासन ने क्लीनिक को आयुष्मान सरबत सेहत बीमा योजना के कार्ड बनाने वाले स्टाफ को सौंप दिया है।

By Edited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 09:16 PM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 11:41 AM (IST)
अनदेखीः सिविल अस्पताल के सुपरस्पेशलिटी क्लीनिक ने 11 माह में ही तोड़ा दम
अनदेखीः सिविल अस्पताल के सुपरस्पेशलिटी क्लीनिक ने 11 माह में ही तोड़ा दम

जालंधर [जगदीश कुमार]। शहर के गरीब लोगों को सिविल अस्पताल में सुपरस्पेशलिटी क्लीनिक देने की आइएमए की योजना 11 माह में ही दम तोड़ती दिख रही है। निजी डॉक्टर क्लीनिक पर पहुंच नहीं रहे हैं और अस्पताल प्रशासन ने क्लीनिक को आयुष्मान सरबत सेहत बीमा योजना के कार्ड बनाने वाले स्टाफ को सौंप दिया है। मौजूदा समय में एक डॉक्टर ही सप्ताह में एक दिन एक घंटा सेवाएं दे रहा। समस्या का समाधान करने के लिए अस्पताल प्रशासन और आइएमए भी गंभीर नहीं है।

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सेहत मंत्री रहे ब्रह्म मोहिंदरा ने 25 जनवरी 2019 को सिविल अस्पताल में सुपरस्पेशलिटी क्लीनिक का उद्घाटन किया था। उद्घाटन के बाद से ही क्लीनिक आइएमए की अंदरूनी राजनीति का शिकार होने लगा। गरीब जनता को सेवाएं मुहैया करवाने वाले निजी डॉक्टरों के तेवर चंद दिनों में ही ठंडे पड़ गए और दस माह बाद केवल केयरमैक्स अस्पताल के एमडी डॉ. रमन चावला हर वीरवार को एक घंटे के लिए सेवाएं दे रहे हैं।

यही नहीं, समस्या का समाधान करने के लिए आइएमए और अस्पताल प्रशासन में तालमेल का अभाव भी सामने आ रहा है। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने सुपरस्पेशलिटी क्लीनिक की ओपीडी का कमरा बदलने की बात कही है। आउट डोर पेशंट (ओपीडी) का कमरा बदलने के बावजूद मरीजों को डॉक्टरों के दर्शन नहीं हुए। मामले को लेकर आइएमए और सेहत विभाग ने गंभीरता नहीं दिखाई। पहले ओपीडी का कमरा जच्चा बच्चा वार्ड में था और बाद में इसे बदलकर नौ नंबर कमरे में कर दिया गया। अब जच्चा वार्ड में आयुष्मान योजना के कार्ड बनाने का स्टाफ बैठा है। हालांकि अब भी कमरे के बाहर सुपरस्पेशलिटी का बोर्ड लगा हुआ है। वहीं, नौ नंबर कमरे को अब डीएनबी क्लासरूम में तबदील कर दिया गया।

गरीबों के लिए था आइएमए का प्रोजेक्ट : डॉ. गुप्ता

आइएमए के पूर्व प्रधान डॉ. मुकेश गुप्ता का कहना है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में गरीबों की सुविधा के लिए सिविल अस्पताल में सुपरस्पेशलिटी क्लीनिक खोलने की योजना को अमलीजामा पहनाया था। पूरी रणनीति तैयार की गई थी। इनका सत्र खत्म होने के बाद क्लीनिक का उद्घाटन हुआ और उसके बाद किसी ने इसकी सुधबुध नहीं ली। धीरे-धीरे सभी डॉक्टरों ने सुपरस्पेशलिटी क्लीनिक से मुंह मोड़ लिया। इसे शुरू करने के लिए आइएमए और सिविल अस्पताल को संयुक्त रूप से संज्ञान लेना चाहिए।

आइएमए को हालात से अवगत करवाकर लेंगे अंतिम फैसला

सिविल अस्पताल के कार्यकारी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. चन्नजीव सिंह मानते हैं कि निजी डॉक्टरों का रूझान न होने से अस्पताल में सुपरस्पेशलिटी क्लीनिक बंद होने के कगार पर पहुंच गया है। वीरवार को एक घंटे के लिए केवल डॉ. रमन चावला ही दिल की बीमारियों के मरीजों की जांच करने के लिए एक घंटा ओपीडी करते हैं। इस संबंध में आइएमए के साथ बैठक करके इसे चलाने के लिए फाइनल फैसला किया जाएगा। आइएमए के पदाधिकारियों के समक्ष रखेंगे मामला आइएमए के मौजूदा प्रधान डॉ. हरीश भारद्वाज ने मामले को गंभीरता से लेने की बात कही है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में आइएमए के पदाधिकारियों के बातचीत करने के बाद सिविल अस्पताल प्रशासन के साथ बैठक करके समस्या का समाधान किया जाएगा।

अस्पताल में नही मिलते मरीज : डॉ. हांडा

हांडा न्यूरो सेंटर के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुमेश हांडा का कहना है कि वह काफी समय से सुपरस्पेशलिटी क्लीनिक में ओपीडी के लिए नहीं गए हैं। उनका कहना था कि जब वह पहले रोजाना जाते थे तो वहां मरीज ही नहीं आते थे और खाली बैठकर लौटना पड़ता था।

गरीब जनता की सेवा के लिए करता हूं ओपीडी : डॉ. चावला

केयरमैक्स अस्पताल के एमडी डॉ. रमन चावला का कहना है कि वह पहले दिन से सुपरस्पेशलिस्ट क्लीनिक से जुड़े हैं। पूरी सेवा भावना के साथ गरीब जनता की सेवा के लिए हर वीरवार को एक घंटे के लिए दिल की बीमारियों से ग्रस्त मरीजों की जांच व इलाज करने के लिए सिविल अस्पताल जाते हैं। उनके जाने से पहले मरीज वहां पहुंचे होते हैं।


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