जिद और जुनून के आगे जीत है... सुखविंदर के हौसले ने की यह बात सच साबित
सुखविंदर कौर ने महज सात वर्ष में एक स्कूल के साथ सिलाई ब्यूटी पार्लर पेंटिंग पैकेजिंग कंप्यूटर ट्रेनिंग आदि के 18 मुफ्त कोचिंग सेंटर खोल दिए हैं।
जालंधर [मनीष शर्मा]। स्पष्ट लक्ष्य, उस तक पहुंचने की जिद और उसे पाने का जुनून हो तो जीत तय है। इसे सच साबित किया है जीत फाउंडेशन की अध्यक्ष सुखविंदर कौर ने। उन्होंने जरूरतमंद महिलाओं को पैरों पर खड़ा करने के लिए एक्सपोर्ट कंपनी में बारह साल पुरानी मैनेजर की नौकरी छोड़ी। फिर स्वयं सहायता समूह बना ढाई हजार महिलाओं को सशक्त किया। सड़क पर भीख मांगते बच्चों की दुर्गति दिखी तो उन्हें पढ़ा-लिखा काबिल बनाने के लिए स्कूल खोल दिया। फिर किसानों का दर्द दिखा तो उनसे सीधे फसल खरीद आर्गेनिक खाद्य पदार्थ तैयार कर बेचने शुरू कर दिए। अब किन्नरों के लिए भी सिखलाई शुरू कर दी।
महज सात वर्षों में उन्होंने एक स्कूल के साथ सिलाई, ब्यूटी पार्लर, पेंटिंग, पैकेजिंग, कंप्यूटर ट्रेनिंग आदि के 18 मुफ्त कोचिंग सेंटर खोल दिए। यहां देशभगत यादगार हाल में लगे हैंडीक्राफ्ट एक्सपो-2019 में पहुंची सुखविंदर कौर कहती हैं कि अब काफी लोग साथ जुड़कर इस कारवां को आगे बढ़ा रहे हैं। शुरुआत में दिक्कतें आई लेकिन मैंने सिर्फ लक्ष्य पर ध्यान दिया।
आठ हजार में लिया कपड़ा सोलह हजार में बिका तो मिली प्रेरणा
सुखविंदर कहती हैं कि पंजाब युनिवर्सिटी चंडीगढ़ से बीए, बीएड करने के बाद एक्सपोर्ट कंपनी में मैनेजर की नौकरी मिल गई। ऊंचे ओहदे के साथ अच्छा वेतन था, लेकिन कई महिलाएं ऐसी थीं जिनके पास कोई कामकाज नहीं था। यूं ही एक दिन चर्चा करते स्वयं सहायता समूह का आइडिया आया। फिर जून 2012 में जीत फाउंडेशन सेल्फ हेल्प ग्रुप सोसाइटी बना ली। एक जानकार ने लुधियाना के धांदरा रोड पर दफ्तर दे दिया। शुरुआत में सिलाई, कंप्यूटर, पार्लर आदि का सेंटर खोलकर ट्रेनिंग देने लगी। फिर 2014 में 10 महिलाओं को साथ जोड़ा।
मुझे याद है पहली बार आठ हजार का कपड़ा खरीदा। उससे बनाए कपड़े मेले में 16 हजार के बिके, इससे काफी प्रेरणा मिली। इसके बाद शाहकोट में किसानों से संपर्क किया और उनसे हल्दी, मिर्च, अदरक, लहसुन आदि चीजें लाकर उनकी पिसाई व पैकिंग कर आगे बेची। अब 2014 से एक स्कूल भी लुधियाना में चला रहे हैं। इसमें पांचवीं तक बेसिक शिक्षा के बाद छठी में बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाते हैं। स्कूल चलाने में जीपी एक्सपोर्ट के गुरिंदरपाल सिंह, कीर्ति ग्रोवर, दलजीत कौर, हरबंश कैंथ आदि सहयोग देते हैं। अब ट्रांसजेंडर को भी मेकअप की सिखलाई दे रहे हैं। करीब ढाई हजार महिलाएं साथ जुड़ी हैं जिनका परिवार उन्हें बाहर नहीं भेजता, उन्हें घर बैठे पैकिंग जैसे काम दिए। मार्केटिंग के लिए अलग टीम बनाई है।
फ्रांस-इटली से आता था लहसुन पाउडर, यहीं बना दिया
सुखविंदर ने कहा कि लहसुन का पाउडर देश में फ्रांस व इटली से आयात किया जाता था। किसानों से सीधी फसल खरीदी तो आर्गेनिक तरीके से लहसुन का पाउडर भी बना दिया। इसकी मांग इतनी है कि हर वक्त कमी बनी रहती है।
ऐसे बदली महिलाओं की किस्मत
- सुरिंदर कौर के पति अचानक लकवाग्रस्त हो गए थे। पति की कमाई से घर खर्च चलता था। संकट खड़ा हुआ तो वो जीत फाउंडेशन से जुड़ी। फिर सास-बहू सिलाई का काम करने लगी। सिखलाई का सेंटर भी खोल लिया। अब पांच से छह हजार महीना कमा रहीं हैं।
- अनिता के पति का वेतन कम था। घर खर्च मुश्किल से चलता। उसने जीत फाउंडेशन के सेंटर से ब्यूटी पार्लर की सिखलाई ली। अब घर में पार्लर के साथ दूसरों को भी सिखलाई देती हैं जिससे अतिरिक्त आमदनी शुरू हो गई।
- पायल की रहने वाली आशा का सपना अध्यापिका बनने का था्। शादी हो गई और कुछ अरसे बाद सास को लकवा हो गया। घर की जिम्मेदारी आ गई। फिर उसे फाउंडेशन के सेंटर का पता चला तो वहां सिलाई-कढ़ाई की ट्रेनिंग ली। अब वो खुद सेंटर चलाकर दूसरों को सिखलाई दे रही हैं। सपना पूरा होने के साथ कमाई भी हो रही है।
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