शहर में रात भर रुके सुखबीर बादल, अकाली नेताओं को भनक तक नहीं लगी
अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल पूरी रात जालंधर में रुके पर स्थानीय अकाली काडर को उनकी शहर में मौजूदगी की भनक तक नहीं लगी।
जालंधर [मनुपाल शर्मा]। कांग्रेस के बाद अब शिरोमणि अकाली दल में भी रजवाड़ाशाही कल्चर काडर को मायूस कर रहा है। कुछेक लोगों तक पहुंच और काडर से संवादहीनता का आलम यह है कि अकाली दल के अध्यक्ष एवं राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल शहर में रात बिता कर वापस लौट जाते हैं और काडर समेत अधिकतर नेताओं को इसकी भनक भी नहीं लगती। खास बात है कि सुखबीर सिंह बादल की शहर में मौजूदगी को लेकर अनभिज्ञता जताने वालों में कुछ तो विधायक स्तर के अकाली भी हैं। मीडिया के पूछने पर जब अकाली नेताओं ने एक-दूसरे से पूछना शुरू किया तो पता चला कि सुखबीर बादल कल गुरदासपुर गए थे, शायद रात के समय जालंधर में रुक गए होंगे।
अकाली दल में भी रजवाड़ाशाही, काडर पर पड़ने लगी भारी
फिलहाल पार्टी नेतृत्व और काडर में इस बढ़ती हुई दूरी को लेकर कोई आक्रोष बाहर तो नजर नहीं आ रहा है, लेकिन अंदरखाते इसे लेकर अंसतोष जरूर बढ़ना शुरू हो चुका है। जो पार्टी से दूरी बना चुके हैं, वे पार्टी नेतृत्व के इसी ट्रेंड को अपनी दूरी के लिए जिम्मेदार और पार्टी के लिए घातक बताते हैं। पंजाब में मसले बेहद संवेदनशील हैं, संसदीय चुनाव सिर पर है और काडर का पार्टी नेतृत्व से ही दूर होने की बात करना किसी अच्छे शगुन का संकेत तो नहीं माना जा सकता। कैडर की नाराजगी भी हल्के में भी नहीं ली जा सकती।
पहले भी सुखबीर काडर से बिना मिले लौटे
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, कि शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल जालंधर आए हों और बिना किसी से मिले ही लौट गए हों। इसका असर यह होने लगा है कि जिस होटल की लॉबी में कभी पार्टी अध्यक्ष का आशीर्वाद पाने के लिए पार्टी के नेताओं व वर्करों की कतारें लगती थीं, वहां अब काडर ने जाना ही छोड़ दिया है। सुखबीर बादल कब शहर में आए और कब वापस लौट गए और किस से मुलाकत की, इस बारे में जालंधर के अधिकतर अकालियों के पास कोई जानकारी ही नहीं है। शुक्रवार को भी यही हुआ। कुछ राहगीरों ने सुखबीर बादल के पसंदीदा होटल के सामने पुलिस का भारी भरकम प्रबंध देखा तो धीरे-धीरे यह बात अकालियों तक भी पहुंची कि प्रधान जी तो रात जालंधर में थे। ऐसे में शिअद के वर्करों में इस संबंधी चर्चा दिनभर होती रही।