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कॉमेडी में भाषा का चयन महत्वपूर्ण, द्वीअर्थी शब्द नहीं बोलूंगी : सुगंधा

मल्टीपल टैलेंट से दर्शकों को प्रभावित करती हुई सुगंधा मिश्रा तेजी से कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ रही हैं। वह जल्द ही सुनील ग्रोवर के नए शो में नजर आएंगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 09 May 2017 05:04 PM (IST)Updated: Tue, 09 May 2017 05:04 PM (IST)
कॉमेडी में भाषा का चयन महत्वपूर्ण, द्वीअर्थी शब्द नहीं बोलूंगी : सुगंधा
कॉमेडी में भाषा का चयन महत्वपूर्ण, द्वीअर्थी शब्द नहीं बोलूंगी : सुगंधा

जालंधर [वंदना वालिया बाली]। गीत उसके खून में दौड़ता है तो जिंदादिली रग-रग में भरी है, तभी तो अपने मल्टीपल टैलेंट से दर्शकों को प्रभावित करती हुई सुगंधा मिश्रा तेजी से कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ रही हैं। जालंधर में पली-बढ़ी सुगंधा पिछले दिनों ‘द कपिल शर्मा शो’ में विद्यावती के किरदार में कामेडी करती नजर आईं तो एबीपी न्यूज चैनल पर ‘पोल खोल’ कार्यक्रम में विभिन्न किरदार निभाते हुए सेलीब्रिटीज के पोल खोलती। वहीं मार्च में समाप्त हुए ‘द वायस इंडिया-2 ’ में बतौर होस्ट मंच संभालती व अपनी संगीत कला का परिचय भी बखूबी दिया उन्होंने। अब वह जल्द ही सुनील ग्रोवर के नए शो में नजर आएंगी और साथ ही स्टार प्लस के एक कॉमेडी शो की तैयारी कर रही हैं। पिछले दिनों सुगंधा से हुई बातचीत के प्रमुख अंश...

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पिछले दिनों आप एक साथ तीन शोज़ में व्यस्त रहीं, तो टाइम को कैसे मैनेज कर पाती थीं?

उन दिनों कई बार मेरा दिन सुबह साढ़े छह बजे से शुरू हो कर अगली सुबह चार बजे खत्म होता था। प्रतिदिन चलने वाले कार्यक्रम ‘पोल खोल’ के लिए काफी ज्यादा समय देना पड़ता था, क्योंकि हर दिन नया किरदार निभाना और उसके बारे में सारी जानकारी इकट्ठी करनी होती थी। फिर किरदार के गेटअप में आ कर उसे निभाना होता है। वहीं ‘द वायस इंडिया’ की शूटिंग सप्ताह में केवल दो दिन होती थी। इन सब के बावजूद मैं अपनी संगीत साधना के लिए प्रतिदिन करीब 2 घंटे का समय निकालती रही हूं। मैं इन दिनों एक एलबम की तैयारी भी कर रही हूं, जिसे मानसून तक निकालने की कोशिश है। इसलिए चाहे रात के 2.30 बजे फ्री हो पाऊं लेकिन दो घंटे स्टूडियो में लगाती हूं। संगीत मेरी मानसिक थकान मिटा देता है।

‘पोल खोल’ कार्यक्रम, जिसे पहले शेखर सुमन करते रहे हैं। उसके लिए आपका चयन कैसे हुआ?

मुझे इस कार्यक्रम से जुड़ कर बहुत खुशी हुई थी। वास्तव में मैंने एबीपी चैनल के साथ 2016 के न्यू इयर का एक कार्यक्रम किया था। उसी में मेरे काम से प्रभावित हो कर इस चैनल ने मुझे यह किरदार आफर किया। उन्होंने मुझे बताया कि ज़ूम टीवी पर प्रसारित ‘फन टनाटन’ कार्यक्रम में मेरे छह अलग-अलग किरदार देख कर भी इसके लिए मेरा चयन किया गया। मुझे यह आफर आयी तो मैंने हमेशा की तरह पापा से सलाह की और उन्होंने मुझे तुरंत ‘हां’करने को बोला। इस व्यंग्य कार्यक्रम में यूं तो कापी राइटर अधिकांश डायलाग लिख कर देते हैं लेकिन बीच में विभिन्न किरदारों की मिमकरी का विशेष तड़का मैं अपने हिसाब से लगा लेती थी।

कॉमेडी करना कितना आसान या कितना कठिन लगता है?

कॉमेडी आसान तो नहीं है लेकिन मुझे लगता है कि पंजाबियों को ईश्वर ने इस हुनर से बख्शा है। इसलिए कामेडी कर पाती हूं लेकिन कॉमेडी में भाषा का चयन करते हुए भाषा का चयन बड़े ध्यान से करना पड़ता है। कोई अभद्र या द्वीअर्थी शब्द मैं अपनी कॉमेडी में डालना नहीं चाहती। हम सभी को स्क्रिप्ट के अलावा भी अपने हिसाब से कुछ न कुछ करने की आजादी दी जाती है। इससे अपनी क्रिएटिविटी दिखाने का भी मौका मिलता है।

 

आपके किरदार ‘विद्यावती’ का जूड़ा काफी लोकप्रिय हुआ। क्या उसे संभालना आसान रहा?

मेरा ‘विद्यावती’ का किरदार लोगों को पसंद आया, इस बात की खुशी है। यह किरदार केवल एक एपीसोड के लिए था लेकिन टीम को और लोगों को इतना पसंद आया कि कई एपीसोड्स में चला। इसमें मेरा जूड़ा काफी अनकंफर्टेबल था। उसे बनाने में आधा घंटा लगता और फिर इसके ऊपर लगने वाला कोई न कोई प्रोप इसे और भारी बना देता है लेकिन यही इसका आकर्षण भी है।

देखें तस्वीरें: सुगंधा ने कहा- पंजाबियों को ईश्वर ने बख्शा है कॉमेडी का हुनर


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