बुरा हालः सुच्ची पिंड स्टेशन पर न पानी और न ओवरब्रिज, शौचालय और शेड की भी सुविधा नहीं
सुच्ची पिंड रेलवे स्टेशन पर रोजाना करीब 100 से 150 यात्री आते हैं। हालांकि इनके लिए यहां किसी तरह की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
जालंधर [अंकित शर्मा]। सिटी रेलवे स्टेशन से तीन किलोमीटर दूर है सुच्ची ङ्क्षपड रेलवे स्टेशन, जो इंडियन ऑयल और करोल बाग के साथ सटा है। यहां आने वाले यात्री मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं। इस स्टेशन तक पहुंचने के लिए न तो कोई रास्ता है और न ही यात्रियों के लिए पेयजल की व्यवस्था है।
सुच्ची पिंड रेलवे स्टेशन पर रोजाना करीब 100 से 150 यात्री आते हैं। इनकी प्यास बुझाने के लिए रेलवे इंडियन ऑयल कार्पोरेशन (आइओसी) से पानी ले रहा है। अब आइओसी में काम चल रहा है, जिस कारण पानी की सप्लाई रोक दी गई है। इस स्टेशन पर चार प्लेटफार्म हैं, मगर यात्रियों और स्टेशन स्टाफ के लिए पानी का इंतजाम करने के लिए महज एक ही नल था जो अब बंद हो गया है। ऐसे में स्टेशन मास्टर ने इंडियन ऑयल से निवेदन करके कुछ दिनों के लिए पानी की सप्लाई दोबारा चालू करने की मांग की गई है, क्योंकि इसी के जरिए स्टेशन के साथ-साथ रेलवे क्वार्टरों को सप्लाई जाती है। इस संबंध में रेलवे को भी पत्र लिखकर पानी की व्यवस्था करने की मांग की है। यात्रियों के लिए स्टेशन पर शौचालय की व्यवस्था नहीं हैं। स्टाफ के लिए बनाया शौचालय ही यात्रियों के लिए खोलना पड़ता है।
न बरसात से बचने को शेड, न ही फुट ओवरब्रिज
सुच्ची पिंड स्टेशन पर बरसात से बचने के लिए न तो शेड है और न ही कोई फुट ओवरब्रिज। हालात यह है कि बरसात होने पर यात्री स्टेशन मास्टर के दफ्तर के आगे लगी कुर्सियों व पूछताछ केंद्र के बाहर लगी कुर्सियों पर बैठ कर बचते है। फुट ओवर ब्रिज (एफओबी) न होने की वजह से रोजाना यात्री जान जोखिम में डालकर रेल लाइन क्रॉस करते हैं।
शाम छह बजते ही अंधेरे से घिर जाता है स्टेशन
सुच्ची पिंड में लाइट की व्यवस्था भी नहीं हैं। ऐसे में शाम छह बजे ही पूरा स्टेशन अंधेरे से घिर जाता है। रात में रेल ट्रैक पार करना बेहद खतरनाक साबित हो जाता है, क्योंकि रेल लाइन के किनारे पर जहां से यात्रियों के लिए पत्थर रखकर रास्ता बनवाया गया है, वहीं बिजली की नंगी तारों के जोड़ भी हैं। ऐसे में कभी भी कोई हादसा हो सकता है।
अधिकारियों को हर दूसरे दिन लिख रहे पत्र
स्टेशन मास्टर सुधीर कुमार कहते हैं कि स्टेशन पर रोजाना 100 से 150 यात्री सफर करते हैं। महीने के हिसाब से करीब 60 हजार रुपये की आमदनी होती है। यहां सबसे बड़ी समस्या पानी की है। हाल ही में आइओसी की तरफ से पानी की सप्लाई बंद कर दी गई, जिस वजह से यात्रियों को परेशानी हुई। स्टेशन में तीन साल पहले बोर किया गया था, जिसका काम बंद हुआ पड़ा है। यात्रियों को राहत दिलाने के लिए पानी की व्यवस्था सुचारू हो इसके लिए हर दूसरे दिन अधिकारियों को पत्र लिखकर सूचित किया जाता है, मगर कोई अभी तक रिस्पांस नहीं आया।
स्टेशन पर रुकती हैं ये ट्रेनें
- जालंधर-पठानकोट 74901-02
- जालंधर-पठानकोट 54621-22
- जालंधर-पठानकोट 74903-04
स्टेशन पर ये है जरूरतें
- स्टेशन पर दो बुकिंग काउंटरों की जरूरत हैं और वास्तव में एक है।
- पानी की व्यवस्था के लिए यहां 6 नल चाहिए, वास्तव में एक है वो भी रेलवे का नहीं।
- शौचालय की व्यवस्था पब्लिक और स्टाफ के लिए 1-1 चाहिए, फिलहाल एक भी नहीं है।
- चारों प्लेटाफार्म पर 150 स्केयर मीटर के हिसाब से शेड होनी चाहिए, लेकिन किसी पर नहीं है।
- स्ट्रीट लाइट्स लगी हैं, लेकिन चलती नहीं।
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