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घटिया खाना खाने से इन्कार किया तो वाइपर से की पिटाई, स्टूडेंट्स ने प्रिंसिपल पर लगाए गंभीर आरोप

विद्यार्थियों ने प्रिंसिपल गुरचरण सिंह पर आरोप लगाया कि जब उन्होंने घटिया खाना खाने से इन्कार किया तो उन्हें वाइपर से पीटा गया।

By Sat PaulEdited By: Published: Tue, 29 Jan 2019 11:15 AM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 11:15 AM (IST)
घटिया खाना खाने से इन्कार किया तो वाइपर से की पिटाई, स्टूडेंट्स ने प्रिंसिपल पर लगाए गंभीर आरोप
घटिया खाना खाने से इन्कार किया तो वाइपर से की पिटाई, स्टूडेंट्स ने प्रिंसिपल पर लगाए गंभीर आरोप

जेएनएन, जालंधर। मेरिटोरियस स्कूल में भविष्य संवारने आए विद्यार्थियों को किस कद्र घटिया खाना परोसा जाता है, इसका खुलासा छात्रों ने पत्रकारों के सामने कर दिया। विद्यार्थियों ने प्रिंसिपल गुरचरण सिंह पर आरोप लगाया कि जब उन्होंने घटिया खाना खाने से इन्कार किया तो उन्हें वाइपर से पीटा गया। इसके बाद पिटने के डर से खाना खाते ही विद्यार्थी बीमार हो गए।विद्यार्थियों का आरोप है कि खराब खाना खाने से मना करने पर प्रिंसिपल ने 3-3 छात्रों की टीमें बनाकर मिलने को बुलाया और बिना पक्ष सुने वाइपर से पीटना शुरू कर दिया। विद्यार्थी जसबीर सिंह ने बताया कि प्रिंसिपल ने उसके मुंह पर ही वाइपर मार दिया। छात्रों का कहना है कि बीमार होने पर जब वे सिविल अस्पताल पहुंचे तो डाक्टरों ने बताया कि वे खराब खाने के चलते ही बीमार हुए हैं। डॉक्टरों ने आराम करने की सलाह दी तो प्रिंसिपल ने उन्हें आराम भी नहीं करने दिया। तबीयत ज्यादा खराब होने पर उन्हें छुट्टी देकर घर भेजा गया।

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कई बार आवाज उठार्इ, लेकिन नहीं हुई सुनवाई

छात्रों ने कहा कि खाना बनाने वाला कांट्रेक्टर रोजाना धमकी देता है कि खाना ऐसा ही मिलेगा। सुबह के नाश्ते में एक्सपायरी डेट की ब्रेड मिलती है और दोपहर को बिल्कुल पानी की तरह सब्जी दी जाती है। अगर कोई अधिकारी आए तो अच्छा खाना बनाकर उन्हें खुश कर दिया जाता है। जब उन्होंने घटिया स्तर के खाने के खिलाफ आवाज उठाई तो सुनवाई नहीं हुई। छात्रों ने कहा कि एक तरफ सरकार सरकारी स्कूलों को स्मार्ट स्कूल व विद्यार्थियों को स्मार्ट फोन देने के दावे करती है, लेकिन हमें तो मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही।

प्रिंसिपल बोले- सभी आरोप निराधार, मैं खुद करता हूं चेकिंग

प्रिंसिपल गुरचरण सिंह से फोन पर संपर्क किया गया तो उन्होंने सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि वे तीन माह पहले ही प्रिंसिपल पद पर तैनात हुए हैं और पहले से काफी बेहतर सुधार किया गया है। समय-समय पर खाने की चेंकिंग की जाती है और वे खुद भी बना हुआ खाना चेक करते हैं।

कुछ विद्यार्थी करते हैं गड़बड़ी : अमित

कांट्रैक्टर अमित का कहना है कि खाना ठीक बनाया जाता है। दो-चार विद्यार्थी अपनी धौंस जमाते हैं और बाकी विद्यार्थियों को भी खराब कर रहे हैं। खाने की कंप्लेंट होने पर लुधियाना से टीम आई थी, इस दौरान कोई कमी नहीं पाई गई। विद्यार्थी खाना खाने से नहीं बल्कि सर्दी के कारण बीमार हुए हैं।

शिकायत के बाद आटा बदल दिया गया था

होस्टल वार्डन जसबीर सिंह का कहना है कि बीते दिनों विद्यार्थियों ने चपातियों में बदबू आने की बात कही थी। इसके बाद आटा बदल दिया गया और अब खाना ठीक बन रहा है।

कंटीन में काम कर रहे नाबालिग बच्चे

देखने में आया है कि कंटीन में नाबालिग बच्चों से काम लिया जा रहा है। इस संबंधी स्कूल प्रबंधकों को अवगत करवाया गया तो उनका कहना था कि नाबालिग बच्चों को काम करने से रोक देंगे।

पूर्व प्रिंसिपल ने भी की थी शिकायत

पूर्व प्रिंसिपल भी कंटीन में बनने वाले घटिया खाने की शिकायत कर चुके हैं। खाने के सैंपल भरवाने के लिए चीफ मेडिकल आफिसर से संपर्क भी कर चुके थे। सेंपल भरे गए, लेकिन आज तक रिपोर्ट उनके सामने नहीं आई। इस संबंधी डीजीएसई से भी शिकायत की चुकी है, लेकिन मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया। उन्होंने यह भी कहा है कि इस मामले को दबाने के लिए उन्हें कई आफर भी आई, पर उन्होंने समझौता नहीं किया। आखिरकार सवाल यह खड़ा होता है कि मेरिटोरियस स्कूल के खाने की रिपोर्ट सीएमओ द्वारा क्यों नहीं जारी हुई।

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